सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने 2019 में ही अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमआरआई मशीन लगाने के लिए राशि की स्वीकृति दे दी थी, लेकिन विभाग 3 वर्ष में टेंडर तक नहीं कर सका. अब आलम यह है कि अगर मार्च से पहले टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई तो एमआरआई मशीन के लिए स्वीकृत 7 करोड़ रुपए लैप्स हो जाएंगे.
राशि स्वीकृत होने के बाद भी नहीं लगी MRI मशीन
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए 7 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी, जिससे अस्पताल में एमआरआई मशीन लगाई जानी थी, लेकिन मशीन (lack of MRI facility in Ambikapur Medical College ) नहीं लगाई गई. अब इस लापरवाही का खामियाजा संभाग भर के उन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है जो गंभीर बीमारी या दुर्घटना ग्रस्त होकर यहां इलाज कराने आते हैं. शासन स्तर पर राशि स्वीकृत कराना एक लंबी प्रक्रिया होती है जबकि अंबिकापुर मेडिकल कालेज को यह राशि स्वीकृत हो चुकी है. अगर समय पर टेंडर नहीं हो सका तो दोबारा राशि कब स्वीकृत होगी और फिर ना जाने कब एमआरआई मशीन की सुविधा सरगुजावासियों को मिल सकेगी.
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एमआरआई मशीन का ज्यादातर उपयोग उन मरीजों के लिए होता है जो सड़क दुर्घटना में मस्तिष्क की गंभीर चोट से ग्रसित होते हैं. इस मशीन के जरिए मस्तिष्क का बारीक से बारीक परीक्षण किया जा सकता है. लंबे समय से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमआरआई मशीन और न्यूरोलॉजिस्ट की मांग रही है. अब जब इस दिशा में पहल हुई है तो विभाग की उदासीनता की वजह से काम कछुआ की गति से चल रहा है.
मार्च से पहले लगेगी MRI मशीन
इस मामले में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक लखन सिंह (Ambikapur Medical College Hospital Superintendent Lakhan Singh ) का कहना है कि कुछ तकनीकी कारणों से टेंडर निरस्त हो रहे थे. उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर फिर से री टेंडर की प्रक्रिया की जा रही है. जल्द से जल्द इसे पूरा कर लिया जाएगा. पूरी उम्मीद है कि मार्च से पहले एमआरआई मशीन के लिए टेंडर कर दिया जाएगा.