सरगुजा: पूर्व प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा देश को दिया था. लेकिन यह नारा सरगुजा में कोरोना जैसी भयंकर महामारी के दौर में चरितार्थ होती देखी गई. जब एक सीआरपीएफ जवान ने कोरोना संक्रमण की परवाह किये बिना एक किसान की मदद की और गंभीर रूप से पीड़ित किसान की बेटी के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में रक्तदान किया.जवान की बहादुरी और मानव सेवा से सीआरपीएफ की 62वीं बटालियन के C.O बीवी राजू ने रक्त दान करने वाले जवान को न सिर्फ नकद पुरस्कार दिया बल्कि कैम्प में आने पर जवान का स्वागत ढोल नगाड़ों व फूल मालाओं से किया गया.
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सरगुजा के बरगीडीह के किसान रमेश कुमार अपनी 14 वर्षीय बेटी का इलाज कराने अंबिकापुर आये हुये थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से उन्हें ब्लड नहीं मिल पा रहा था. गंभीर रूप से पीड़ित बेटी के लिए ब्लड की तलाश में भटक रहा पिता सीआरपीएफ की 62 वीं बटालियन के गेट में पहुंच गया और वहां जाकर उसने मदद मांगी, जिसके बाद मुख्य द्वार पर ड्यूटी पर तैनात जवानों ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी और फिर कमांडेंट ने हिमाचल प्रदेश के रहने वाले अपने जवान सर्वजीत को ब्लड देने भेजा. सर्वजीत कोरोना संक्रमण की चिंता किये बिना झट से रक्तदान के लिए तैयार हो गये और फिर सीआरपीएफ कैम्प से बाहर निकलकर एक जवान ने किसान की मदद की. रक्तदान कर वापस आने पर अधिकारियों ने सर्वजीत का सम्मान फूल माला व ढोल नगाड़ों के साथ किया, साथ ही उसे नगद राशि व प्रमाण पत्र से भी नवाजा गया.
कोरोना जैसी भयंकर महामारी के डर से जहां लोग घर से निकलने में भी परहेज कर रहे हैं. वहीं सर्वजीत जैसे लोग मानव सेवा को ही धर्म मानते हुये एक अपरचित की मदद के लिये आगे आते हैं तो ऐसे में इनका सम्मान होना भी लाजमी है. हजारों मील दूर हिमांचल प्रदेश का एक जवान जिसका सरगुजा के इस किसान से न तो कोई रिश्ता था न ही कोई जान पहचान, लेकिन मानवता का धर्म निभाते हुये उसने ये जोखिम उठाया, और रक्त दान कर एक जीवन को बचाने में अपना योगदान दिया.