अंबिकापुर: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जटिल ऑपरेशन करने की कड़ी में एक और उपलब्धि जुड़ गई है. अस्पताल में चिकित्सकों ने दो घंटे के कठिन ऑपरेशन के बाद एक युवती के जबड़े और मस्तिष्क की हड्डी को अलग करने में सफलता पाई है. पूरा बचपन लिक्विड डाइट में गुजारने के बाद अब बच्ची जल्द ही अपने मुंह से खाना खा पाएगी. इस ऑपरेशन को करने के बाद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन के हौसले बुलंद हुए हैं.
बचपन से अब तक लिया सिर्फ लिक्विड डाइट
सुरजपुर जिले के धरतीपारा निवासी 19 वर्षीय युवती सोनकुंवर बचपन में खेलते समय गिर गई थी. इस दौरान उसके जबड़े की हड्डी टूट गई थी. उस समय परिजन ने इस पर ध्यान नहीं दिया. कुछ समय बाद जबड़े की हड्डी, मस्तिष्क की हड्डी से जुड़ गई. जिसके बाद बच्ची का मुंह खुलना बन्द हो गया. बच्ची का मुंह सिर्फ एक तरफ से थोड़ा खुलता था. ऐसे में वह कोई अनाज नहीं खा पाती थी. 12-13 सालों से दूध, जूस व अन्य लिक्विड डाइट के भरोसे ही अपना जीवन गुजार रही थी. परिजन ने सोनकुंवर को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने बच्ची के जबड़े और मस्तिष्क की हड्डियों को अलग करने का निर्णय लिया.
ऑपरेशन कर युवती के मस्तिष्क और जबड़े की हड्डी को अलग किया
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. एसपी कुजूर, डॉ. अभिषेक व अन्य चिकित्सकों ने बच्ची का ऑपरेशन किया. इस ऑपरेशन के दौरान एक और कठिनाई थी कि बच्ची को एनेस्थेसिया देना आसान नहीं था. करीब दो घंटे तक चले कठिन ऑपरेशन के बाद युवती के मस्तिष्क व जबड़े की हड्डी को अलग करने में सफलता मिली. विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने पहली बार इस तरह का केस देखा था और चिकित्सकों के अनुभव का उपयोग करते हुए इस ऑपरेशन को करने में सफलता पाई है.
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मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने बताया कि 'स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के दिशा निर्देश में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है. हमने पहली बार ऐसा केस देखा था. अनुभवी चिकित्सकों ने दो घंटे की, मेहनत के बाद सफल ऑपरेशन किया है. यह पुराने ओटी में संभव नहीं था. लेकिन ओटी में व्यवस्थाएं बेहतर हुई है और स्वास्थ्य मंत्री का भी निर्देश है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए जिन चीजों की आवश्यकता है वह उपलब्ध कराई जाएगी'.
इस ऑपरेशन के बाद पूरा बचपन लिक्विड डाइट में गुजारने के बाद अब युवती आसानी से भोजन कर पाएगी और एक सामान्य जीवन गुजार पाएगी. मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने बताया कि हमने पहली बार ऐसा केस देखा था. अनुभवी चिकित्सकों ने दो घंटे की मेहनत के बाद सफल ऑपरेशन किया है.