सरगुजा : अम्बिकापुर में हाउसिंग बोर्ड कॉरपोरेशन का अजब कारनामा सामने आया है. हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी में रहने वाले लोग 15 वर्ष बाद भी अपने मकान के पूरे मालिक नहीं बन (House sold without registration in Ambikapur) सके हैं. इस मामले में विवाद तब हुआ जब कुछ लोगों ने हाउसिंग बोर्ड में लिये मकान को बेचना चाहा. लेकिन रजिस्ट्रार ऑफिस में उस जमीन की रजिस्ट्री ही सम्भव नहीं थी. पता चला कि जिस जमीन पर मकान बनाकर हाउसिंग बोर्ड ने लोगों को बेचे हैं, वो जमीन आज तक हाउसिंग बोर्ड के नाम नहीं हो सकी है.
अंबिकापुर में हाउसिंग बोर्ड की बड़ी लापरवाही नहीं हो रही रजिस्ट्री : अम्बिकापुर के नमनाकला और गंगापुर में 17 साल पहले हाउसिंग बोर्ड (Chhattisgarh housing Board Corporation)ने प्रोजेक्ट शुरू किया. लॉटरी सिस्टम से मकान आवंटित किए गये. लोगों ने पैसे दिए और मकान में उन्हें कब्जा मिला. लोगों ने सारे नियमों का पालन किया और मकान अपने नाम कराया .लेकिन अब-जब इतने वर्ष बाद वो अपना मकान बेचना चाहते हैं तो उस जमीन की रजिस्ट्री ही नहीं हो रही.
नहीं हुआ है नामांतरण : रजिस्ट्रार ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड की जमीन का नामांतरण अभी तक नहीं हुआ है. जिस वजह से ऑनलाइन में यह जमीन स्वामी की नहीं है. ऐसी स्थिति में रजिस्ट्री नहीं की जा सकती. असल में जिस जमीन पर मकान बनाकर हाउसिंग बोर्ड ने बेचे वो आज तक हाउसिंग बोर्ड के नाम नहीं हुई है. लिहाजा अब लोग परेशान हैं.
जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे अधिकारी: बड़ी बात ये है कि अंबिकापुर में हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी नामांतरण की फाइल कलेक्टर को भेजने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं. जबकि हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही से वहां रहने वाले लोगों का बड़ा नुकसान होगा. कई वर्षों से लोग अपनी जमीन बेचना चाहते हैं. लेकिन रजिस्ट्री नहीं होने की वजह से बेच नहीं पा रहे. इधर जमीन की वेल्यू बढ़ती जा रही है, जिस वजह से उस पर रजिस्ट्री शुल्क भी बढ़ रहा है.
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ये था प्रोजेक्ट : अम्बिकापुर के गंगापुर में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी (Housing Board Colony in Gangapur) का निर्माण 2007 में कराया गया था. जिसमें 62 मकान बनाये गये. नमनाकला में वर्ष 2013 में 111 मकान बनाये थे, लेकिन अब इन कालोनियों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. लोग सुविधाओं के अभाव की भी बात कह रहे हैं . जमीन स्थानांतरित नहीं होने से न सिर्फ रजिस्ट्री रुकी है बल्कि नगर निगम के पास भी जमीन का रिकॉर्ड नहीं है. दरअसल नक्शे में आधिकारिक रिकॉर्ड हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का नहीं है.