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बीते वित्त वर्ष में बाजार ऋण में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंची

बीते वित्त वर्ष में राज्यों का बजटीय राजकोषीय घाटा करीब 2.5 प्रतिशत या 4,86,500 करोड़ रुपये रहा. इस दौरान राज्यों का बाजार ऋण 4,40,700 करोड़ रुपये रहा.

बीते वित्त वर्ष में बाजार ऋण में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंची
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Published : May 25, 2019, 3:05 PM IST

मुंबई: बीते वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण के लिए राज्यों की बाजार कर्ज पर निर्भरता बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंच गई. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

बीते वित्त वर्ष में राज्यों का बजटीय राजकोषीय घाटा करीब 2.5 प्रतिशत या 4,86,500 करोड़ रुपये रहा. इस दौरान राज्यों का बाजार ऋण 4,40,700 करोड़ रुपये रहा.

ये भी पढ़ें- संगठित क्षेत्र में मार्च में 11.38 लाख नौकरियों का सृजनः ईएसआईसी आंकड़े

इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2017-18 में राज्यों का बजटीय राजकोषीय घाटा 5,14,300 करोड़ रुपये और बाजार ऋण 3,85,000 करोड़ रुपये रहा. इस तरह राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण के लिए बाजार ऋण पर राज्यों की निर्भरता 75 प्रतिशत रही.

केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में राज्यों की बाजार ऋण हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई.

संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यों ने 2018-19 में बाजार से 4,78,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया.

मुंबई: बीते वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण के लिए राज्यों की बाजार कर्ज पर निर्भरता बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंच गई. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

बीते वित्त वर्ष में राज्यों का बजटीय राजकोषीय घाटा करीब 2.5 प्रतिशत या 4,86,500 करोड़ रुपये रहा. इस दौरान राज्यों का बाजार ऋण 4,40,700 करोड़ रुपये रहा.

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केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में राज्यों की बाजार ऋण हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई.

संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यों ने 2018-19 में बाजार से 4,78,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया.

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बीते वित्त वर्ष में बाजार ऋण में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंची

मुंबई: बीते वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण के लिए राज्यों की बाजार कर्ज पर निर्भरता बढ़कर 91 प्रतिशत पर पहुंच गई. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. 

बीते वित्त वर्ष में राज्यों का बजटीय राजकोषीय घाटा करीब 2.5 प्रतिशत या 4,86,500 करोड़ रुपये रहा. इस दौरान राज्यों का बाजार ऋण 4,40,700 करोड़ रुपये रहा. 

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केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में राज्यों की बाजार ऋण हिस्सेदारी बढ़कर 91 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई. 

संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यों ने 2018-19 में बाजार से 4,78,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. 


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