सूरजपुर : जिले में विकास और चिकित्सकीय सुविधाओं के तमाम दावों के बावजूद दूरस्थ अंचल में रहने वाले गरीब तबके के लोगों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसा ही एक मामला बुधवार को ओड़गी ब्लॉक से सामने आया है, जिसमें एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, तब कहीं जाकर उसे एबुलेंस मिल पाई.
ओड़गी ब्लॉक के बैजनपाठ में रहने वाली एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद अस्पताल जाने के लिए पैदल ही निकलना पड़ा. एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण मितानिनों को प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को पत्थरीले रास्ते पर 10 किलोमीटर पैदल ही लेकर जाना पड़ा.
रास्ता न होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़
बता दें कि, बैजनपाठ खोहिर पंचायत का आश्रित गांव है, जो ऊंची पहाड़ियों पर बसा हुआ है. अस्पताल जाने के लिए यहां से करीब 10 किलोमीटर जंगल पहाड़ दुर्गम पगड़ड़ी रास्तों से चलना पड़ता है. बैजनपाठ गांव में रहने वाले कृष्णा की पत्नी रमदशिया पंडो को दोपहर एक बजे से अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी, जिसके बाद उसने पडोसियों के सहयोग से गांव के मितानिनों को सूचना दी. मितानिनों ने आनन-फानन मे 102, 108 पर फोन किया. लेकिन ग्रामीण जब भी फोन करते, कॉल दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो जाता था. लगातार कोशिश करते रहने पर किसी तरह से कॉल छत्तीसगढ में लगा, लेकिन कॉल सेंटर के कर्मचारी ने एम्बुलेंस के बंद होने और रास्ता न होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया.
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एक महीने के भीतर बाइक एंबुलेंस की व्यवस्था करने का दावा
दूसरी ओर घर में पुरषों के न होने के कारण प्रसुता और उसकी सास की सहमति से मितानिन पैदल ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिहारपुर के निकल गईं. 10 किलोमीटर पैदल चलने के बाद प्रसूता किसी तरह से खोहिर पंचायत तक पहुंची और वहां लंबा इंतजार किया, जिसके बाद आखिरकार एम्बुलेंस मौके पर पहुंची.
एंबुलेंस के पहुंचने के बाद प्रसूता को बिहारपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्र ले जाया गया. प्रसुता की स्थिति अधिक खराब होने पर उसे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के बैढ़न अस्पताल के लिए भेजा गया है. वहीं मामले की जानकारी मिलने पर सीएमएचओ ने बताया की जहां तक वाहन पहुंच सकता है, वहां तक एम्बुलेंस भेज दी गई थी, इसके साथ ही, जिन गांव तक वाहन नहीं पहुंच सकती वहां बाइक एंबुलेंस की व्यवस्था एक महीने के भीतर की जाएगी.