कांकेरः कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन किया गया है. 3 मई तक यातायात के सभी साधन बंद हैं. जिसकी वजह से दूसरे राज्यों में काम करने गए कई लोग फंसे हुए हैं. ऐसा ही मामला आज कांकेर में देखने को मिला, जहां महाराष्ट्र अकोला से कोंडागांव काम करने आया एक परिवार फंसा हुआ था, लेकिन वे महाराष्ट्र में रहने वाले अपने परिवार की चिंता के कारण 650 किलोमीटर की यात्रा पर पैदल ही निकल पड़े. ईटीवी भारत की टीम ने इनसे बात की, तो इन्होंने अपनी तकलीफ बताई. उन्होंने बताया कि अकोला के पास इनका गांव है, जहां इनका परिवार रहता है और वहां कोई भी काम करने वाला नहीं है. परिवार के सदस्यों ने बताया कि गांव में इनके परिवार के सामने खाने-पीने तक की समस्या खड़ी हो गई है, इसलिए वहां जाने के लिए वे पैदल ही निकल पड़े हैं.
बुजुर्गों की चिंता में निकल पड़े पैदल
कोंडागांव में महाराष्ट्र के अकोला जिले से 8 मजदूर काम करने आए थे, इस बीच लॉकडाउन के कारण सभी यहां फंस गए. 5 मजदूर जिनके पास बाइक थी, वे किसी तरह अपने घर चले गए, लेकिन काम करने आई बुजुर्ग महिला अपने दो बेटों के साथ कोंडागांव में ही फंसी रही. इस बीच परिवार के बुजुर्गों ने फोन कर पैसे नहीं होने और राशन खत्म होने की बात कही. जिसके बाद रविवार की सुबह मां रेखा मोहिते और दोनों बेटे विकास और पृथ्वी पैदल ही गांव जाने के लिए निकल पड़े.
घर पहुंचने में सैकड़ों किलोमीटर बाकी
कांकेर पहुंचने पर ETV भारत की टीम ने इनसे बात की और वहीं रुकने और खाने की व्यस्वथा करने की बात कही. इन्हें समझाया भी गया, लेकिन अपने परिवार के बुजुर्ग सदस्यों तक पहुंचने की जिद में वे मानने को तैयार नहीं हुए. ये लोग कोंडागांव से कांकेर तक लगभग 85 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर चुके हैं और अभी इन्हें लगभग 550 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय करना बाकी है.
प्रशासन ने नहीं ली सुध
हैरान करने वाली बात तो यह है कि रास्तेभर पुलिस का पहरा है, फिर भी किसी ने इनकी सुध नहीं ली. कोंडागांव से कांकेर तक जगह-जगह पुलिस ने चेक पोस्ट लगाया है, इसके बावजूद मुख्य मार्ग से पैदल ही ये कांकेर तक पहुंच गए और किसी ने इन्हें रोका तक नहीं, न ही प्रशासन ने इनकी कोई मदद की.