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केवटी से अंतागढ़ के बीच पहली बार की गई इंजन रोलिंग की सफलतापूर्वक जांच

रावघाट रेल परियोजना के तहत केवटी से अंतागढ़ 17 किलोमीटर तक रेल लाइन बिछाई गई है. इस ट्रैक पर पहली 30 जुलाई को पहली बार इंजन रोलिंग की जांच सफलतापूर्वक की गई. इस दौरान इंजन की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा रही.

Engine rolling successfully tested
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Published : Jul 31, 2020, 8:05 PM IST

कांकेर: जगदलपुर-रावघाट-दल्लीराजहरा परियोजना के तहत कुल 235 किलोमीटर तक रेल लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है. इसी रेल लाइन का केवटी से अंतागढ़ तक 17 किलोमीटर तक विस्तार किया गया है.

इस रेलवे ट्रैक पर पहली बार इंजन रोलिंग की जांच सफलतापूर्वक 30 जुलाई को की गई थी. केवटी से अंतागढ़ तक इसकी स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा रही. वापसी में इंजन की स्पीड को थोड़ा और बढ़ाया गया. इसके बाद CSR निरीक्षण और उससे संबंधित प्रक्रियाएं की जा रही हैं. इस सफलता के बाद अंतागढ़ से आगे के कार्य को तेजी से पूरा करने की बात कही जा रही है.

विकास कार्यों में आएगी तेजी

यह कार्य छत्तीसगढ़ शासन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है. इसके पहले चरण में रायपुर रेल मंडल ने दल्लीराजहरा से रावघाट तक कुल 95 किलोमीटर की दूरी तक पटरी बिछाने का लक्ष्य रखा है, जिसके तहत दिल्लीराजहरा से अंतागढ़ तक लगभग 59 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाने में सफलता प्राप्त की जा चुकी है और दल्लीराजहरा से केवटी तक लगभग 42 किलोमीटर लोगों को रेल यात्रा की सुविधा दी जा रही है.

पढ़ें:- मलेरिया मुक्त बस्तर अभियानः नारायणपुर में दूसरे चरण के दौरान 1 लाख 53 हजार लोगों की हुई जांच

केवटी से अंतागढ़ तक रेल सुविधा शुरू हो जाने से निश्चय ही यहां के स्थानीय लोगों को रेल सुविधा मिलने के साथ क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी. लोग के दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने में रेल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.

बस्तर के सुदूर कस्बों तक पहुंचेगी रेल की पटरी

बता दें कि बस्तर में फिलहाल एक रेल मार्ग है, जो किरंदुल से विशाखापटनम तक जाता है. इस लाइन को केके रेल लाइन कहा जाता है और इससे बैलाडीला से लौह अयस्क की ढुलाई की जाती है. किरंदुल से जगदलपुर होते हुए केके रेल लाइन ओडिशा और आंध्रप्रदेश चली जाती है.बस्तर संभाग के सात जिलों में से सिर्फ बस्तर और दंतेवाड़ा में रेल लाइन है. दल्ली राजहरा-जगदलपुर रेललाइन बनने से कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जिले रेलवे के मानचित्र में होंगे. यह रेल लाइन बस्तर के सुदूर कस्बों मसलन अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, भानपुरी, सोनारपाल आदि से होकर गुजरेगी.

कांकेर: जगदलपुर-रावघाट-दल्लीराजहरा परियोजना के तहत कुल 235 किलोमीटर तक रेल लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है. इसी रेल लाइन का केवटी से अंतागढ़ तक 17 किलोमीटर तक विस्तार किया गया है.

इस रेलवे ट्रैक पर पहली बार इंजन रोलिंग की जांच सफलतापूर्वक 30 जुलाई को की गई थी. केवटी से अंतागढ़ तक इसकी स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा रही. वापसी में इंजन की स्पीड को थोड़ा और बढ़ाया गया. इसके बाद CSR निरीक्षण और उससे संबंधित प्रक्रियाएं की जा रही हैं. इस सफलता के बाद अंतागढ़ से आगे के कार्य को तेजी से पूरा करने की बात कही जा रही है.

विकास कार्यों में आएगी तेजी

यह कार्य छत्तीसगढ़ शासन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है. इसके पहले चरण में रायपुर रेल मंडल ने दल्लीराजहरा से रावघाट तक कुल 95 किलोमीटर की दूरी तक पटरी बिछाने का लक्ष्य रखा है, जिसके तहत दिल्लीराजहरा से अंतागढ़ तक लगभग 59 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाने में सफलता प्राप्त की जा चुकी है और दल्लीराजहरा से केवटी तक लगभग 42 किलोमीटर लोगों को रेल यात्रा की सुविधा दी जा रही है.

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केवटी से अंतागढ़ तक रेल सुविधा शुरू हो जाने से निश्चय ही यहां के स्थानीय लोगों को रेल सुविधा मिलने के साथ क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी. लोग के दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने में रेल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.

बस्तर के सुदूर कस्बों तक पहुंचेगी रेल की पटरी

बता दें कि बस्तर में फिलहाल एक रेल मार्ग है, जो किरंदुल से विशाखापटनम तक जाता है. इस लाइन को केके रेल लाइन कहा जाता है और इससे बैलाडीला से लौह अयस्क की ढुलाई की जाती है. किरंदुल से जगदलपुर होते हुए केके रेल लाइन ओडिशा और आंध्रप्रदेश चली जाती है.बस्तर संभाग के सात जिलों में से सिर्फ बस्तर और दंतेवाड़ा में रेल लाइन है. दल्ली राजहरा-जगदलपुर रेललाइन बनने से कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जिले रेलवे के मानचित्र में होंगे. यह रेल लाइन बस्तर के सुदूर कस्बों मसलन अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, भानपुरी, सोनारपाल आदि से होकर गुजरेगी.

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