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कृषि सुधार बिल के खिलाफ आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन

केंद्र सरकार ने लोकसभा और राजयसभा से तीन कृषि सुधार बिल पास किया है. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी पूरे देश में विरोध दिवस मना रही है.

Aam Aadmi Party protests againsted central government
आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Sep 28, 2020, 5:31 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 6:10 PM IST

बालोद: कृषि सुधार बिल के पास होने के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए किसानों की आवाज, विपक्ष की आवाज को अनसुनी कर पूंजीपतियों के दवाब में केंद्र सरकार पर बिल पास करने का आरोप लगाया है.

आप ने कहा है कि किसान विरोधी बिल को लेकर आम आदमी पार्टी किसानों के साथ खड़ी है. आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगया है कि केंद्र सरकार के द्वारा इन किसान विरोधी बिल के संबंध में जो बातें कही जा रही है वह किसानों को गुमराह करने वाली है. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होगा उनकी उपज पर बड़ी-बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा. किसान अपने ही खेत पर मजदूर की तरह हो जाएंगे.

'आप' नेता घनश्याम चंद्राकर ने केंद्र सरकार पर लगाए ये आरोप

आम आदमी पार्टी का कहना है कि सरकार की मंशा किसानों को बड़ी-बड़ी कंपनियों के गुलाम बनाने जैसा प्रतीत हो रहा है. घनश्याम चंद्राकर ने आगे कहा कि तीनों कानून किसानों पर असर कई तरीके से होगा. 'आप' नेता घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल के तहत किसान अपनी फसल को देश के किसी कोने में बेच सकते हैं, लेकिन आज भारत के अंदर 86 प्रतिशत किसान एक जिले से दूसरे जिले में अपनी फसल नहीं बेच सकते हैं, तो कैसे उम्मीद करें कि एक राज्य का किसान दूसरे राज्य में अपनी फसल बेच पायेगा.

किसानों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा अपना उत्पाद

‘आप’ नेता घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि पहले भी किसानों को मंडी के बाहर अपनी फसल बेचने के लिए कभी भी पाबंदी नहीं रही है. केंद्र सरकार के बिल में है कि मंडी के अंदर किसानों के फसल की खरीद बिक्री पर व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से साथ मंडी टैक्स देना पड़ेगा. वहीं बाहर फसलों की खरीद- बिक्री पर व्यापारियों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. जबकि मंडी के अंदर सरकार को दी जाने वाली टैक्स के कारण व्यापारी मंडी में आना बंद कर देंगे, जिससे धीरे-धीरे मंडी बंद हो जाएगी और उनकी जगह कंपनी की मंडियां ले लेगी. जहां किसानों को अपने उत्पादन को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा.

'किसानों के हित में लेना था फैसला'

घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि सरकार को किसानों के हित में अगर फैसला लेना ही था तो MSP का कानूनी अधिकार प्रदान करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. जिस कारण इस विधेयक को किसान अपने को कंपनियों के गुलाम बनाने का विधेयक करार दे रहे हैं. दूसरा केंद्र सरकार को मंडी और बाहर भी फसलों की खरीद- बिक्री पर समान टैक्स की प्रक्रिया अपनानी चाहिए.

बालोद: कृषि सुधार बिल के पास होने के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए किसानों की आवाज, विपक्ष की आवाज को अनसुनी कर पूंजीपतियों के दवाब में केंद्र सरकार पर बिल पास करने का आरोप लगाया है.

आप ने कहा है कि किसान विरोधी बिल को लेकर आम आदमी पार्टी किसानों के साथ खड़ी है. आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगया है कि केंद्र सरकार के द्वारा इन किसान विरोधी बिल के संबंध में जो बातें कही जा रही है वह किसानों को गुमराह करने वाली है. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होगा उनकी उपज पर बड़ी-बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा. किसान अपने ही खेत पर मजदूर की तरह हो जाएंगे.

'आप' नेता घनश्याम चंद्राकर ने केंद्र सरकार पर लगाए ये आरोप

आम आदमी पार्टी का कहना है कि सरकार की मंशा किसानों को बड़ी-बड़ी कंपनियों के गुलाम बनाने जैसा प्रतीत हो रहा है. घनश्याम चंद्राकर ने आगे कहा कि तीनों कानून किसानों पर असर कई तरीके से होगा. 'आप' नेता घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल के तहत किसान अपनी फसल को देश के किसी कोने में बेच सकते हैं, लेकिन आज भारत के अंदर 86 प्रतिशत किसान एक जिले से दूसरे जिले में अपनी फसल नहीं बेच सकते हैं, तो कैसे उम्मीद करें कि एक राज्य का किसान दूसरे राज्य में अपनी फसल बेच पायेगा.

किसानों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा अपना उत्पाद

‘आप’ नेता घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि पहले भी किसानों को मंडी के बाहर अपनी फसल बेचने के लिए कभी भी पाबंदी नहीं रही है. केंद्र सरकार के बिल में है कि मंडी के अंदर किसानों के फसल की खरीद बिक्री पर व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से साथ मंडी टैक्स देना पड़ेगा. वहीं बाहर फसलों की खरीद- बिक्री पर व्यापारियों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. जबकि मंडी के अंदर सरकार को दी जाने वाली टैक्स के कारण व्यापारी मंडी में आना बंद कर देंगे, जिससे धीरे-धीरे मंडी बंद हो जाएगी और उनकी जगह कंपनी की मंडियां ले लेगी. जहां किसानों को अपने उत्पादन को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा.

'किसानों के हित में लेना था फैसला'

घनश्याम चंद्राकर ने कहा कि सरकार को किसानों के हित में अगर फैसला लेना ही था तो MSP का कानूनी अधिकार प्रदान करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. जिस कारण इस विधेयक को किसान अपने को कंपनियों के गुलाम बनाने का विधेयक करार दे रहे हैं. दूसरा केंद्र सरकार को मंडी और बाहर भी फसलों की खरीद- बिक्री पर समान टैक्स की प्रक्रिया अपनानी चाहिए.

Last Updated : Sep 28, 2020, 6:10 PM IST
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