नारायणपुर: अबूझमाड़ के 90 गांव के प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने अपना घर बार छोड़ दिया है. उन्होंने घने जंगलों के बीच अपना नया आशियाना बनाया है. यहीं से वह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण को बचाने के लिए वह दिन रात आंदोलन कर रहे हैं. बीते 80 दिनों से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन जारी है.
ग्रामीणों ने बताया कि "अबूझमाड़ के प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का घर धरनास्थल से अधिक दूरी पर होने की वजह से आने जाने की दिक्कतें हो रही थी. इसलिए घने जंगलों के बीच ही अपना नया आशियाना बनाया है." यहां अबूझमाड़ क्षेत्र के 14 ग्राम पंचायत के करीब 90 गांवों के हजारों ग्रामीण हैं. जहां 50 से अधिक आशियाना बनाया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि "जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा."
ग्रामीणों की मांगें
- ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना खदान कारखाना जैसे परियोजनाओं को कॉरपोरेट कंपनियों को न दिया जाए. ऐसे सभी समझौते रद्द किए जाए
- माड़ के आदिवासियों को नक्सली के नाम से प्रताड़ित नहीं किया जाए. ऐसे पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए
- बस्तर संभाग में हवाई हमला करना बंद किया जाए
- नया पेसा कानून को वापस लिया जाए
- बस्तर के जल जंगल और जमीन पर वहां के स्थानीय ग्राम सभा का अधिकार माना जाए. उनकी अनुमति से काम किया जाए
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आने जाने वाले लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर: आंदोलन स्थल ओरछा नदी पारा मुख्य मार्ग पर है. यहां अस्थाई नाका ग्रामीणों द्वारा बनाया गया है. इस मार्ग से अबूझमाड़ की ओर आने जाने वाले लोगों से पूछताछ किया जाता है. इसके लिए कुछ युवाओं की ड्यूटी लगाई गई है, जो रजिस्टर में एंट्री करने के बाद लोगों को जाने दे रहे हैं. इसके माध्यम से ग्रामीण सभी लोगों पर पैनी नजर रखते हैं.ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वही शाम के समय में आदिवासी संस्कृति, परंपरा और गोटूल नाच गाना कर मनोरंजन करते हैं.
आज के आधुनिक युग में बिजली, शुद्ध पानी और रहने के लिए एक पक्का मकान के बिना मानव जीवन जीने की कल्पना नहीं की जा सकती. इसके विपरीत अबूझमाड़ के ग्रामीण बिना सुख सुविधाओं के बीच जंगल में अपना नया आशियाना बनाकर 80 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. वे लोग अपने आंदोलन को जारी रखे हुए हैं.