ETV Bharat / bharat

सोम प्रदोष व्रत : जानिए भगवान शिव और पार्वती की पूजा कैसे करें - शिव पूजा

शिव कौन हैं ? ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव के मुताबिक भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति के सबसे अहम देव, महादेव शिव, के बारे में कई गाथाएं और दंतकथाएं सुनने को मिलती हैं. विशेष अवसरों पर भगवान शिव की पूजा अर्चना से लाभ होते हैं. 28 फरवरी को त्रयोदशी और द्वादशी की तिथि मिलने से सोम प्रदोष का संयोग अद्भुत बन गया है. इस दिन प्रदोष व्रत करने वाले लोग भगवान शिव की प्रतिमा के सामने महामृत्युंजय का बीज मंत्र या मृत्युंजय जाप भक्त अवश्य करें इसके अलावा शिव चालीसा का पाठ करें. पंडित जितेन्द्र जी महाराज ने पूजा-अर्चना और महाशिवरात्रि के दिन शिव उपासना से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया.

pardosh
प्रदोष व्रत
author img

By

Published : Feb 28, 2022, 4:02 AM IST

Updated : Feb 28, 2022, 9:31 AM IST

रांची : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 फरवरी को प्रदोष व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा भक्त विधि विधान के साथ करेंगे. 28 फरवरी को पड़ने वाली प्रदोष व्रत का संयोग बहुत ही उत्तम माना गया है. प्रदोष व्रत को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि सोमवार को पड़ने वाला सोम प्रदोष तीनों प्रदोष व्रत में ज्यादा महत्व रखता है. तीन तरह के प्रदोष व्रत होते हैं सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं जो व्यक्ति सोम प्रदोष को विधि विधान के साथ करता है उसे तीनों प्रदोष के फल प्राप्त होते हैं. क्योंकि सोम प्रदोष से ही व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है और संतान से ही संपत्ति और सुख की प्राप्ति हो सकती है. इसीलिए तीनों प्रदोष में सोम प्रदोष को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि सोम प्रदोष भगवान शिव के लिए अति प्रिय है क्योंकि सोमवार भगवान शिव और द्वादशी तिथि भी भगवान शिव के लिए ही होता है. 28 फरवरी को द्वादशी के साथ-साथ त्रयोदशी का भी संयोग बन रहा है. इसीलिए भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की आराधना और उपासना भक्त अवश्य करें. क्योंकि त्रयोदशी का तिथि माता पार्वती को समर्पित होता है.

भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जानकारी देते पंडित जितेन्द्र जी महराज

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाला सोम प्रदोष ऐसे तो सभी राशि के लोगों के लिए बेहतर बताया जा रहा है लेकिन मकर, वृष, कन्या,तुला राशि के लोगों के लिए अति फलदायक है. इस राशि के लोग यदि पूरी विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का उपासना और सोम प्रदोष का व्रत पूरी विधि-विधान से करते हैं तो उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी.

इन मंत्रों का करें जाप-

  • ओम नमः शिवाय
  • ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
  • ओम नीलकंठाय
  • ओम पार्वतीपतये नमः

भगवान शंकर कौन हैं
भगवान शिव के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि जब हम शिव कहते हैं, तो हम एक विशेष योगी की बात कर रहे होते हैं, वे जो आदियोगी या पहले योगी हैं, और जो आदिगुरू, या पहले गुरु भी हैं. आज हम जिसे योगिक विज्ञान के रूप में जानते हैं, उसके जनक शिव ही हैं.

यह भी पढ़ें- शिवरात्रि विशेष : जानें क्या हैं 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी खास मान्यता

सद्गुरु बताते हैं कि आज के आधुनिक विज्ञान ने साबित किया है कि इस सृष्टि में सब कुछ शून्यता से आता है और वापस शून्य में ही चला जाता है. इस अस्तित्व का आधार और संपूर्ण ब्रम्हांड का मौलिक गुण ही एक विराट शून्यता है. शिव ही वो गर्भ हैं जिसमें से सब कुछ जन्म लेता है, और वे ही वो गुमनामी हैं, जिनमें सब कुछ फिर से समा जाता है. सब कुछ शिव से आता है, और फिर से शिव में चला जाता है.

रांची : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 फरवरी को प्रदोष व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा भक्त विधि विधान के साथ करेंगे. 28 फरवरी को पड़ने वाली प्रदोष व्रत का संयोग बहुत ही उत्तम माना गया है. प्रदोष व्रत को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि सोमवार को पड़ने वाला सोम प्रदोष तीनों प्रदोष व्रत में ज्यादा महत्व रखता है. तीन तरह के प्रदोष व्रत होते हैं सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं जो व्यक्ति सोम प्रदोष को विधि विधान के साथ करता है उसे तीनों प्रदोष के फल प्राप्त होते हैं. क्योंकि सोम प्रदोष से ही व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है और संतान से ही संपत्ति और सुख की प्राप्ति हो सकती है. इसीलिए तीनों प्रदोष में सोम प्रदोष को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि सोम प्रदोष भगवान शिव के लिए अति प्रिय है क्योंकि सोमवार भगवान शिव और द्वादशी तिथि भी भगवान शिव के लिए ही होता है. 28 फरवरी को द्वादशी के साथ-साथ त्रयोदशी का भी संयोग बन रहा है. इसीलिए भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की आराधना और उपासना भक्त अवश्य करें. क्योंकि त्रयोदशी का तिथि माता पार्वती को समर्पित होता है.

भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जानकारी देते पंडित जितेन्द्र जी महराज

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाला सोम प्रदोष ऐसे तो सभी राशि के लोगों के लिए बेहतर बताया जा रहा है लेकिन मकर, वृष, कन्या,तुला राशि के लोगों के लिए अति फलदायक है. इस राशि के लोग यदि पूरी विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का उपासना और सोम प्रदोष का व्रत पूरी विधि-विधान से करते हैं तो उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी.

इन मंत्रों का करें जाप-

  • ओम नमः शिवाय
  • ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
  • ओम नीलकंठाय
  • ओम पार्वतीपतये नमः

भगवान शंकर कौन हैं
भगवान शिव के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि जब हम शिव कहते हैं, तो हम एक विशेष योगी की बात कर रहे होते हैं, वे जो आदियोगी या पहले योगी हैं, और जो आदिगुरू, या पहले गुरु भी हैं. आज हम जिसे योगिक विज्ञान के रूप में जानते हैं, उसके जनक शिव ही हैं.

यह भी पढ़ें- शिवरात्रि विशेष : जानें क्या हैं 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी खास मान्यता

सद्गुरु बताते हैं कि आज के आधुनिक विज्ञान ने साबित किया है कि इस सृष्टि में सब कुछ शून्यता से आता है और वापस शून्य में ही चला जाता है. इस अस्तित्व का आधार और संपूर्ण ब्रम्हांड का मौलिक गुण ही एक विराट शून्यता है. शिव ही वो गर्भ हैं जिसमें से सब कुछ जन्म लेता है, और वे ही वो गुमनामी हैं, जिनमें सब कुछ फिर से समा जाता है. सब कुछ शिव से आता है, और फिर से शिव में चला जाता है.

Last Updated : Feb 28, 2022, 9:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.