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Shardiya navratri 2021 : 7 अक्टूबर को सुबह इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना

हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है. लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सबसे खास माना जाता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 से शुरू होने जा रहे हैं. 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं.

Shardiya navratri
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Published : Oct 5, 2021, 7:34 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 6:20 AM IST

हैदराबाद : सात अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है.

आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. आमजन से लेकर साधु-संन्यासी तक नवरात्रि पर्व का इंतजार करते हैं. 9 दिनों के इस पर्वकाल को जप-तप और साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फलदायक माना जाता है.

शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना.

15 अक्टूबर को विजयादशमी

शारदीय नवरात्रि यानी मां दुर्गा की उपासना के पावन नौ दिन. नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि आठ दिन के पड़ रहे हैं. तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगे. 15 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्योहार मनाया जाएगा.

Shardiya navratri
नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.

घटस्थापना के शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना अथवा कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ घट स्थापना की जाती है. 7 अक्टूबर 2021, प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना के लिए सुबह 06:17 AM से 07:08 AM तक पहला शुभ मुहूर्त होगा. इस वर्ष अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना विशेष फलदायी होगी. घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त- 11:51 AM से 12:38 PM तक रहेगा. कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी.

Shardiya navratri
इस साल दो तिथियां एक साथ लगने के कारण नवरात्रि आठ दिन के पड़ेंगे.

नवरात्रि के प्रथम दिन 7 अक्टूबर के महत्वपूर्ण मुहूर्त एवं समय

सूर्योदय - 06:21 AM

सूर्यास्त - 06:08 PM

तिथि - शुक्ल प्रतिपदा, 01:46 PM तक

योग - वैधृति, 01:40 AM अक्टूबर 08 तक

वार - गुरुवार

घटस्थापना पहला मुहूर्त - 06:21 AM से 07:08 AM

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:51 AM से 12:38 PM

09 अक्टूबर, शनिवार को तृतीया तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक ही रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी, जो कि अगले दिन 10 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 05 बजे तक रहेगी. इस साल दो तिथियां एक साथ लगने के कारण नवरात्रि आठ दिन के पड़ेंगे.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं. ऐसे में मां दुर्गा की सवारी पालकी होगी. मां दुर्गा पालकी या डोली से आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी. 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध समाप्त हो जाएंगे, जिसके अगले दिन यानी 07 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे.

माता रानी की पूजा में लगने वाली पूजन सामग्री

मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि.

नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • 9 दिनों में सात्विक भोजन ही करें और शराब, मांस-मछली का सेवन ना करें. साथ ही प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक चीजें भी ना खाएं.
  • गरीब या फिर किसी ब्राह्मण का अपमान ना करें, बल्कि उन्हें दान आदि दें.
  • मां दुर्गा की खंडित मूर्ति की पूजा ना करें.
  • नवरात्रि के दौरान दाढ़ी, बाल और नाखून भी नहीं काटें.
  • नवरात्रि में दिन के समय सोना नहीं चाहिए, क्योंकि इस दौरान माता धरती पर भ्रमण करती हैं.
  • 9 दिनों तक व्रत रखने वाले भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

पढ़ेंः इन रंगों के कपड़े पहनकर मां दुर्गा की करें आराधना, मुरादें होंगी पूरी

हैदराबाद : सात अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है.

आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. आमजन से लेकर साधु-संन्यासी तक नवरात्रि पर्व का इंतजार करते हैं. 9 दिनों के इस पर्वकाल को जप-तप और साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फलदायक माना जाता है.

शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना.

15 अक्टूबर को विजयादशमी

शारदीय नवरात्रि यानी मां दुर्गा की उपासना के पावन नौ दिन. नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि आठ दिन के पड़ रहे हैं. तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगे. 15 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्योहार मनाया जाएगा.

Shardiya navratri
नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.

घटस्थापना के शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना अथवा कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ घट स्थापना की जाती है. 7 अक्टूबर 2021, प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना के लिए सुबह 06:17 AM से 07:08 AM तक पहला शुभ मुहूर्त होगा. इस वर्ष अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना विशेष फलदायी होगी. घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त- 11:51 AM से 12:38 PM तक रहेगा. कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी.

Shardiya navratri
इस साल दो तिथियां एक साथ लगने के कारण नवरात्रि आठ दिन के पड़ेंगे.

नवरात्रि के प्रथम दिन 7 अक्टूबर के महत्वपूर्ण मुहूर्त एवं समय

सूर्योदय - 06:21 AM

सूर्यास्त - 06:08 PM

तिथि - शुक्ल प्रतिपदा, 01:46 PM तक

योग - वैधृति, 01:40 AM अक्टूबर 08 तक

वार - गुरुवार

घटस्थापना पहला मुहूर्त - 06:21 AM से 07:08 AM

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:51 AM से 12:38 PM

09 अक्टूबर, शनिवार को तृतीया तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक ही रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी, जो कि अगले दिन 10 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 05 बजे तक रहेगी. इस साल दो तिथियां एक साथ लगने के कारण नवरात्रि आठ दिन के पड़ेंगे.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं. ऐसे में मां दुर्गा की सवारी पालकी होगी. मां दुर्गा पालकी या डोली से आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी. 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध समाप्त हो जाएंगे, जिसके अगले दिन यानी 07 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे.

माता रानी की पूजा में लगने वाली पूजन सामग्री

मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि.

नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • 9 दिनों में सात्विक भोजन ही करें और शराब, मांस-मछली का सेवन ना करें. साथ ही प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक चीजें भी ना खाएं.
  • गरीब या फिर किसी ब्राह्मण का अपमान ना करें, बल्कि उन्हें दान आदि दें.
  • मां दुर्गा की खंडित मूर्ति की पूजा ना करें.
  • नवरात्रि के दौरान दाढ़ी, बाल और नाखून भी नहीं काटें.
  • नवरात्रि में दिन के समय सोना नहीं चाहिए, क्योंकि इस दौरान माता धरती पर भ्रमण करती हैं.
  • 9 दिनों तक व्रत रखने वाले भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

पढ़ेंः इन रंगों के कपड़े पहनकर मां दुर्गा की करें आराधना, मुरादें होंगी पूरी

Last Updated : Oct 7, 2021, 6:20 AM IST
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