सरगुजा: महिला स्वंय सहायता के सदस्यों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा गया है. (rural women trained in surguja) उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. पहले 31 पशु सखियों को ट्रेंड कर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किए गये प्रयास में सफलता मिली है. (National Rural Livelihood Mission) जिसके बाद अब जिले की सभी पशु सखियों को इनके लिये प्रशिक्षित कर दिया गया है. (surguja news update)
सरगुजा में 550 से अधिक पशु सखियां ट्रेंड: जिले की लगभग 525 पशु सखी हैं. जिनमें से प्रथम चरण में ग्रेडिंग कर 31 प्रथम श्रेणी के कैडरों को पशु चिकित्सा विभाग ने सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण पहले ही दिया था. ये 31 पशु सखियां पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम कर रही थी. इनके काम का परिणाम बेहतर आने के बाद अब 525 अन्य पशु सखियों को भी ट्रेंड किया गया है. जिले भर में अब 552 पशु सखियां काम करेंगी. surguja Women doing vaccination of animals
इंसेंटिव से हो रही कमाई: पशु सखी पशुओं के आवास प्रबन्धन, टीकाकरण, कीड़े की दवा पिलाना, इंजेक्शन लगाने सहित पशु के खान पान की सही जानकारी दे रही हैं. इस काम के लिये पशु चिकित्सा विभाग महिलाओं को इंसेटिव देता है. हर काम के लिये अलग कीमत है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट में काम कर रही महिलाओं की कमाई 4 से 5 हजार रुपये प्रति माह तक हो गई है.
पहले इंजेक्शन देख कर लगता था डर: पशु सखी ने बताया "पहले हम एक सुई देख कर डर जाते थे. आज जानवरों को टीका लगा रहे हैं अब डर नहीं लगता है. हम अभी बकरियों को टीका लगा रहे हैं. इस काम से बकरियों में अच्छा बदलाव दिख रहा है. हम लोग पशु पालकों को समझाइस देते हैं. साथ ही बीमारी के इलाज के लिये पशु चिकित्सक से सलाह लेकर उचित इलाज कराते हैं. इससे एक वर्ष में बकरियों का वजन दोगुना से भी अधिक बढ़ रहा है. इससे आर्थिक आय का जरिया भी बढ़ा है. 3 से 4 हजार रुपये महीने इस काम से आमदनी हो जा रही है"
महिलाओं ने दस हजार से ज्यादा बकरियों को टीके लगाए: पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही 31 पशु सखियों ने 10 हजार 546 जानवरों में टीकाकरण किया है. अब फील्ड में कार्य करने वाली सभी 525 महिलाओं को तकनीकी सहयोग पशु चिकित्सा विभाग ने दिया है. जिससे अब यह काम और तेजी से होगा और जिले के पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी.
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बकरियों के वजन में आश्चर्यजनक वृद्धि: पशु पालक सोनाली सिंह बताती हैं कि "मेरे पास 2 बकरी, एक बकरा और 2 बच्चे हैं. इससे लाभ ये मिला है कि पहले के हिसाब से जो हम लोग खिलाते थे. चारा दाना उससे वजन नहीं बढ़ता था. साल भर में 12 से 15 किलो ही वजन होता था. लेकिन पशु सखियों की सलाह से आहार और इलाज कराने के बाद अब एक साल में 30 से 35 किलो बकरियों का वजन हो रहा है. जिससे अच्छी आमदनी हो रही है"