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Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे की भूमिका !

Effect of third front छत्तीसगढ़ में चुनावी साल का आगाज हो चुका है. कांग्रेस और बीजेपी के साथ ही तीसरा मोर्चा भी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाएगा. कांग्रेस को जीत का भरोसा है तो बीजेपी सत्ता वापसी के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. तीसरा मोर्चा भी एक्टिव मोड में आ गया है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतरेगी. वोटों के बंटवारे के साथ क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी चुनावी नतीजों में बड़ा फेरबदल कर सकती है. आइए जानते हैं तीसरा मोर्चा की वजह से भाजपा कांग्रेस को नफा नुकसान का सियासी समीकरण.BJP Congress election war in chhattisgarh

Effect of third front
तीसरे मोर्चे का चुनाव पर असर
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Published : Apr 10, 2023, 3:46 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा थी. ऐसा माना जा रहा था कि साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनेगी.लेकिन, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से अलग होकर विद्याचरण शुक्ल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली, फिर कई कांग्रेसियों को एनसीपी में प्रवेश कराया. परिणाम ये रहा कि, कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का किला ढह गया. भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ. इसके बाद तो 15 साल तक बीजेपी ने प्रदेश में राज किया.2003 में एनसीपी को 7.02 फीसदी वोट और 1 सीट मिली. बसपा को 4.45 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें मिली. भले ही 2003 में दोनों ही क्षेत्रीय दलों ने ज्यादा विधायक विधानसभा नहीं भेजे लेकिन एक बड़ा वोट जरुर कैप्चर किया.

हर चुनाव में अलग स्थिति : वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि, '' छत्तीसगढ़ में हर चुनाव में अलग-अलग परिस्थितियां रही हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय जब काशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई. तब छत्तीसगढ़ में उन्होंने दाऊ राम रत्नाकर और डॉ कुन्ती कुर्रे को जिमेदारी सौंपी थी. इसके बाद से ही बहुजन समाज पार्टी हर चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है. तत्कालीन मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के क्षेत्र से 1 से 2 सीटें बसपा को मिलती रहीं हैं. पामगढ़, जैजैपुर नैला जांजगीर जैसे क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी का असर है. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम जिनकी, छत्तीसगढ़ में 1 सीट थी. जब राज्य का गठन हुआ तब यह लग रहा था कि, आदिवासी क्षेत्र को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी प्रभावित कर सकती है. लेकिन धीरे-धीरे पार्टी कमजोर हो गई. साल 2003 चुनाव में एनसीपी के साथ समाजवादी पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में कदम रखा था. एनसीपी को 7 प्रतिशत वोट मिले और अजीत जोगी की सरकार बनते बनते रह गई.''

2008 में पार्टियों के वोट शेयर पर नजर : इसके बाद साल 2008 में विधानसभा चुनाव में 70.51 प्रतिशत मत पड़े. भारतीय जनता पार्टी को 40.35 प्रतिशत मत मिले और 50 सीटें भाजपा जीतने में सफल रही.कांग्रेस पार्टी को 38.63 प्रतिशत वोट मिले और 38 विधायक जीत कर आए. बहुजन समाज पार्टी को 6.11 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. वहीं इस चुनाव में बसपा को 2 सीटें हासिल हुईं. नेशनल कांग्रेस पार्टी को 0.52 प्रतिशत वोट मिले. इस साल एनसीएपी को एक सीट से हाथ धोना पड़ा. अन्य दलों को 5.92 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए और निर्दलीय प्रत्याशियों का 8.47 प्रतिशत वोट शेयर रहा.

2013 में पार्टियों का वोट शेयर : साल 2013 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 41.4 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए 49 सीटों पर भाजपा विजय रही. कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत वोट मिले और 39 विधायक जीत कर आए. बहुजन समाज पार्टी को 4.27 प्रतिशत वोट मिले. एक विधायक की जीत हुई. इस चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई. निर्दलीय प्रत्याशियों को 5.3 प्रतिशत वोट मिले. इस चुनाव में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच को 1.7 प्रतिशत वोट मिले. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 1.6 प्रतिशत , अन्य पार्टी और कैंडिडेट को 2.7 प्रतिशत और नोटा में 3.1 प्रतिशत वोट पड़े.



2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टियों का वोट प्रतिशत : 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 43.1 प्रतिशत से अधिक वोट मिले और 67 विधायक जीत कर आए. भारतीय जनता पार्टी को 32.8% वोट मिले और 15 सीटें हासिल हुई. बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. ऐसे में गठबंधन को 11 फीसदी वोट मिले. जिसमें जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 7.4 प्रतिशत वोट मिला. 5 विधायक जीते.वहीं बसपा को 3.7 प्रतिशत वोट मिला और 2 विधायक जीतकर आए. आम आदमी पार्टी को 0.9 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. सीपीआई को 0.3 प्रतिशत वोट मिले.


जोगी कांग्रेस का करिश्मा : 2018 विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में जेसीसीजे ने करिश्मा दिखाया. जोगी कांग्रेस के 5 विधायक जीतकर आए. इस समय पार्टी को 7 प्रतिशत वोट मिले.

आम आदमी पार्टी करेगी प्रभावित : वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि "आम आदमी पार्टी भी छत्तीसगढ़ में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है. आप को अपनी जमीन और मजबूत करनी होगी. दूसरी तरफ, अमित जोगी ने भी कुछ दिन पहले कहा है कि उनकी राजनीति में बहुत ज्यादा दखल नहीं रहेगी. क्योंकि उनकी मां रेणु जोगी बीमार हैं. 2023 विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही होगा. इसके अलावा अन्य किसी पार्टी का ज्यादा असर नहीं होगा. बस्तर क्षेत्र में आम आदमी पार्टी वोट को प्रभावित कर सकती है. आगामी चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला है. लेकिन तीसरा मोर्चा और अन्य राजनीतिक दल, दोनों ही पार्टी के वोट प्रतिशत को प्रभावित कर सकते हैं"

ये भी पढ़ें- नारायण चंदेल ने सीएम भूपेश बघेल के खत का दिया जवाब



कैसे रहेगा चुनावी समीकरण : साल के अंत मे विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प है. सत्तासीन कांग्रेस सत्ता में दोबारा हासिल करने के लिए जोर लगा रही है. वहीं बीजेपी सत्ता में वापस आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. आम आदमी पार्टी इस चुनाव को लेकर अपनी जड़ें मजबूत कर रही हैं, तो जोगी कांग्रेस भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, इस बार का मुकाबला भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होने वाला है. लेकिन कहीं ना कहीं क्षेत्रीय पार्टियां और अन्य राजनीतिक दल दोनों ही पार्टियों के लिए मुसीबत जरुर पैदा करेंगे.

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा थी. ऐसा माना जा रहा था कि साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनेगी.लेकिन, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से अलग होकर विद्याचरण शुक्ल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली, फिर कई कांग्रेसियों को एनसीपी में प्रवेश कराया. परिणाम ये रहा कि, कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का किला ढह गया. भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ. इसके बाद तो 15 साल तक बीजेपी ने प्रदेश में राज किया.2003 में एनसीपी को 7.02 फीसदी वोट और 1 सीट मिली. बसपा को 4.45 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें मिली. भले ही 2003 में दोनों ही क्षेत्रीय दलों ने ज्यादा विधायक विधानसभा नहीं भेजे लेकिन एक बड़ा वोट जरुर कैप्चर किया.

हर चुनाव में अलग स्थिति : वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि, '' छत्तीसगढ़ में हर चुनाव में अलग-अलग परिस्थितियां रही हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय जब काशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई. तब छत्तीसगढ़ में उन्होंने दाऊ राम रत्नाकर और डॉ कुन्ती कुर्रे को जिमेदारी सौंपी थी. इसके बाद से ही बहुजन समाज पार्टी हर चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है. तत्कालीन मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के क्षेत्र से 1 से 2 सीटें बसपा को मिलती रहीं हैं. पामगढ़, जैजैपुर नैला जांजगीर जैसे क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी का असर है. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम जिनकी, छत्तीसगढ़ में 1 सीट थी. जब राज्य का गठन हुआ तब यह लग रहा था कि, आदिवासी क्षेत्र को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी प्रभावित कर सकती है. लेकिन धीरे-धीरे पार्टी कमजोर हो गई. साल 2003 चुनाव में एनसीपी के साथ समाजवादी पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में कदम रखा था. एनसीपी को 7 प्रतिशत वोट मिले और अजीत जोगी की सरकार बनते बनते रह गई.''

2008 में पार्टियों के वोट शेयर पर नजर : इसके बाद साल 2008 में विधानसभा चुनाव में 70.51 प्रतिशत मत पड़े. भारतीय जनता पार्टी को 40.35 प्रतिशत मत मिले और 50 सीटें भाजपा जीतने में सफल रही.कांग्रेस पार्टी को 38.63 प्रतिशत वोट मिले और 38 विधायक जीत कर आए. बहुजन समाज पार्टी को 6.11 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. वहीं इस चुनाव में बसपा को 2 सीटें हासिल हुईं. नेशनल कांग्रेस पार्टी को 0.52 प्रतिशत वोट मिले. इस साल एनसीएपी को एक सीट से हाथ धोना पड़ा. अन्य दलों को 5.92 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए और निर्दलीय प्रत्याशियों का 8.47 प्रतिशत वोट शेयर रहा.

2013 में पार्टियों का वोट शेयर : साल 2013 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 41.4 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए 49 सीटों पर भाजपा विजय रही. कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत वोट मिले और 39 विधायक जीत कर आए. बहुजन समाज पार्टी को 4.27 प्रतिशत वोट मिले. एक विधायक की जीत हुई. इस चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई. निर्दलीय प्रत्याशियों को 5.3 प्रतिशत वोट मिले. इस चुनाव में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच को 1.7 प्रतिशत वोट मिले. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 1.6 प्रतिशत , अन्य पार्टी और कैंडिडेट को 2.7 प्रतिशत और नोटा में 3.1 प्रतिशत वोट पड़े.



2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टियों का वोट प्रतिशत : 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 43.1 प्रतिशत से अधिक वोट मिले और 67 विधायक जीत कर आए. भारतीय जनता पार्टी को 32.8% वोट मिले और 15 सीटें हासिल हुई. बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. ऐसे में गठबंधन को 11 फीसदी वोट मिले. जिसमें जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को 7.4 प्रतिशत वोट मिला. 5 विधायक जीते.वहीं बसपा को 3.7 प्रतिशत वोट मिला और 2 विधायक जीतकर आए. आम आदमी पार्टी को 0.9 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. सीपीआई को 0.3 प्रतिशत वोट मिले.


जोगी कांग्रेस का करिश्मा : 2018 विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में जेसीसीजे ने करिश्मा दिखाया. जोगी कांग्रेस के 5 विधायक जीतकर आए. इस समय पार्टी को 7 प्रतिशत वोट मिले.

आम आदमी पार्टी करेगी प्रभावित : वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि "आम आदमी पार्टी भी छत्तीसगढ़ में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है. आप को अपनी जमीन और मजबूत करनी होगी. दूसरी तरफ, अमित जोगी ने भी कुछ दिन पहले कहा है कि उनकी राजनीति में बहुत ज्यादा दखल नहीं रहेगी. क्योंकि उनकी मां रेणु जोगी बीमार हैं. 2023 विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही होगा. इसके अलावा अन्य किसी पार्टी का ज्यादा असर नहीं होगा. बस्तर क्षेत्र में आम आदमी पार्टी वोट को प्रभावित कर सकती है. आगामी चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला है. लेकिन तीसरा मोर्चा और अन्य राजनीतिक दल, दोनों ही पार्टी के वोट प्रतिशत को प्रभावित कर सकते हैं"

ये भी पढ़ें- नारायण चंदेल ने सीएम भूपेश बघेल के खत का दिया जवाब



कैसे रहेगा चुनावी समीकरण : साल के अंत मे विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प है. सत्तासीन कांग्रेस सत्ता में दोबारा हासिल करने के लिए जोर लगा रही है. वहीं बीजेपी सत्ता में वापस आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. आम आदमी पार्टी इस चुनाव को लेकर अपनी जड़ें मजबूत कर रही हैं, तो जोगी कांग्रेस भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, इस बार का मुकाबला भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होने वाला है. लेकिन कहीं ना कहीं क्षेत्रीय पार्टियां और अन्य राजनीतिक दल दोनों ही पार्टियों के लिए मुसीबत जरुर पैदा करेंगे.

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