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काशी की काष्ठ कला से तैयार, मैसूर के म्यूजियम में सजा राम दरबार

वाराणसी की काष्ठ कला (wood art of varanasi) की गूंज दशहरे के लिए विख्यात कर्नाटक के मैसूर में भी सुनाई दे रही है. दरअसल काशी की इस कारीगरी से तैयार राम दरबार को मैसूर के डॉल म्यूजियम (Doll Museum of Mysore) में काफी सराहा जा रहा है. काष्ठ कला को जरिया बनाकर रामायण के विभिन्न प्रसंगों को उकेर रही हैं काशी की ही डिजाइनर शुभि (designer shubhi).

वाराणसी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 1, 2023, 7:06 PM IST

वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार मैूसू के म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है.

वाराणसी : अपनी संस्कृति के लिए जग विख्यात काशी की काष्ठ कला के चर्चे भी दूर-दूर तक हो रहे हैं. अगले साल जनवरी में रामलला अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इससे पहले हर तरफ रामनाम की ही गूंज सुनाई दे रही है. मैसूर का डॉल म्यूजियम भी इससे अछूता नहीं है. यहां भगवान राम का भव्य दरबार सजाया गया है. लेकिन यह संभव हुआ है काशी की बेटी शुभि की बदौलत. जी हां! काशी की काष्ठ कला से राम दरबार को शुभि ने उकेरा है. जहां बकायदा भगवान राम के साथ माता सीता, भाई लक्ष्मण के साथ परम भक्त हनुमान विराजमान हैं.

लॉकडाउन में रामायण देखी तो आया आइडिया : शुभि ने बताया कि राम दरबार का बनाने का आइडिया लॉकडाउन में आया. जब रामायण और महाभारत का टीवी पर दोबारा प्रसारण शुरू हुआ. हमारा पूरा परिवार सीरियल देखता था. तभी आइडिया आया कि क्यों न राम दरबार बनाया जाए. राम की छवि, उनकी प्रतिमा सभी के घरों में रहे. इसके बाद हमने अपने इस आइडिया पर काम करना शुरू किया. हमने इसके लिए डिजाइनिंग का काम शुरू किया. आज हम लोग राम दरबार से जुड़े अलग-अलग तरीके के मॉडल बना रहे हैं. रामायण की अलग-अलग स्टोरीज पर मॉडल तैयार कर रहे हैं.

वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार.
वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार.

करीब 2 साल से मैसूर के ऑर्डर पर चल रहा था काम : शुभि बताती हैं, हाल ही में हमें मैसूर से ऑर्डर मिला है. मैसूर के म्यूजियम में राम दरबार और रामायण की सीरीज गई है. हमारे वाराणसी की काष्ठ कला मैसूर में सराही जा रही है. शुभि कहती हैं, मैसूर के प्रोजेक्ट पर पिछले दो साल से हम लोग काम कर रहे थे. डिजाइनिंग का काम हो रहा था. दो साल से अलग-अलग मॉडल तैयार हुए. इसके बाद इस साल जुलाई में सारे मॉडल तैयार हो गए और उन्हें पेंट किया गया. जुलाई के अंत तक सारा ऑर्डर मैसूर भेज दिया गया.

मैसूर से मिल रहे ऑर्डर : शुभि बताती हैं, मैसूर के म्यूजियम में जब लोग इसे देख रहे हैं तो हमारे पास ऑर्डर कर रहे हैं. हमने उन ऑर्डर्स को सप्लाई भी किया. जिन लोगों ने वहां के फेस्टिवल में हमारे मॉडल को देखा है, उनका फोन हमारे पास आ रहा है. लोग उन मॉडल्स को पसंद कर रहे हैं. उनसे हमारी बातचीत भी चल रही है. मैसूर का जो ऑर्डर हमें मिला था वह करीब 25 लाख का था. यह न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि उन सभी कारीगरों का उत्साह बढ़ाने वाला रहा, जो इससे साथ जुड़े हुए हैं.

22 से अधिक प्रसंगों पर मॉडल : शुभि बताती हैं कि हमने राम दरबार तैयार करने के बाद सैंपल भेजा. इसके बाद जब इसे पास कर दिया गया तो लगभग दो साल की मेहनत और 40 लोगों की टीम की लगन के बाद इस ऑर्डर को तैयार किया गया. लगभग 22 से अधिक अलग-अलग प्रसंगों को तैयार कर मैसूर के म्यूजियम में भेजा गया. बीते दशहरे पर म्यूजियम में इसका उद्घाटन किया गया था. अब भी अलग-अलग काष्ठ-कलाकृतियों की मांग जारी है. काशी से भगवान राम के जीवन से जुड़े हुए प्रसंगों को भेजा जा रहा है.

नौकरी करने से बेहतर दूसरों को काम देना : राम दरबार को बनाने वाली काशी के लोकार्क कुंड की शुभि पढ़ाई पूरी करने के बाद काष्ठ कला से जुड़ गईं. उनका डिजाइन किया हुआ राम दरबार मैसूर के डाल म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है. शुभि कहती हैं, बचपन से ही हम लोग अपने घर में यह काम होता देख रहे हैं. जब पढ़ाई करते थे तो पापा की जरूरत के मुताबिक एक-दो घंटे कारखाने में भी बिताते थे. घर में भी पैकिंग होती थी. हमेशा से ही हम इस काम को देखते और सीखते रहते थे. इसके बाद मैं दिल्ली चली गई. वहां दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. पढ़ाई करने के बाद जब काशी आई तो यहां महिला कारीगरों को काम करते हुए देखा. मुझे लगा कि अगर नौकरी करती हूं तो किसी के लिए काम करना होगा. अगर अपनी पढ़ाई का उपयोग करते हुए यहीं काम करती हूं तो दूसरों को भी रोजगार मेरे जरिए मिलेगा.

कितनी पुरानी है काशी की काष्ठ कला : कारीगर बताते हैं कि यह कला करीब 400 साल पुरानी है. कुछ शिल्पकार मानते हैं कि यह कला भगवान राम के जमाने से चली आ रही है. कहते हैं, डिब्बी (सिंदूरदान), थाली, जांता, ऊखली, मुसल, ग्लास, लोटिया, बेगुना, चूल्हा, चक्की, रोटी, तवा और कलछुल और अन्य सामग्रियां कई दशक से बनारस में बनाई जा रही हैं. बनारस में बनने वाला सिंदूर दान कई राज्यों में भेजा जाता है. बीते कुछ सालों से यह व्यवसाय खराब दौर से गुजर रहा था. मोदी और योगी सरकार ने मिलकर इसे दोबारा से गति प्रदान की है.
यह भी पढ़ें : साबरमती की तर्ज पर अब काशी में तैयार होगा रिवर फ्रंट, खिंचे चले आएंगे पर्यटक

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी के वाराणसी में दिखेगी दिल्ली के कनॉट प्लेस की झलक

वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार मैूसू के म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है.

वाराणसी : अपनी संस्कृति के लिए जग विख्यात काशी की काष्ठ कला के चर्चे भी दूर-दूर तक हो रहे हैं. अगले साल जनवरी में रामलला अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इससे पहले हर तरफ रामनाम की ही गूंज सुनाई दे रही है. मैसूर का डॉल म्यूजियम भी इससे अछूता नहीं है. यहां भगवान राम का भव्य दरबार सजाया गया है. लेकिन यह संभव हुआ है काशी की बेटी शुभि की बदौलत. जी हां! काशी की काष्ठ कला से राम दरबार को शुभि ने उकेरा है. जहां बकायदा भगवान राम के साथ माता सीता, भाई लक्ष्मण के साथ परम भक्त हनुमान विराजमान हैं.

लॉकडाउन में रामायण देखी तो आया आइडिया : शुभि ने बताया कि राम दरबार का बनाने का आइडिया लॉकडाउन में आया. जब रामायण और महाभारत का टीवी पर दोबारा प्रसारण शुरू हुआ. हमारा पूरा परिवार सीरियल देखता था. तभी आइडिया आया कि क्यों न राम दरबार बनाया जाए. राम की छवि, उनकी प्रतिमा सभी के घरों में रहे. इसके बाद हमने अपने इस आइडिया पर काम करना शुरू किया. हमने इसके लिए डिजाइनिंग का काम शुरू किया. आज हम लोग राम दरबार से जुड़े अलग-अलग तरीके के मॉडल बना रहे हैं. रामायण की अलग-अलग स्टोरीज पर मॉडल तैयार कर रहे हैं.

वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार.
वाराणसी की काष्ठ कला से तैयार किया गया राम दरबार.

करीब 2 साल से मैसूर के ऑर्डर पर चल रहा था काम : शुभि बताती हैं, हाल ही में हमें मैसूर से ऑर्डर मिला है. मैसूर के म्यूजियम में राम दरबार और रामायण की सीरीज गई है. हमारे वाराणसी की काष्ठ कला मैसूर में सराही जा रही है. शुभि कहती हैं, मैसूर के प्रोजेक्ट पर पिछले दो साल से हम लोग काम कर रहे थे. डिजाइनिंग का काम हो रहा था. दो साल से अलग-अलग मॉडल तैयार हुए. इसके बाद इस साल जुलाई में सारे मॉडल तैयार हो गए और उन्हें पेंट किया गया. जुलाई के अंत तक सारा ऑर्डर मैसूर भेज दिया गया.

मैसूर से मिल रहे ऑर्डर : शुभि बताती हैं, मैसूर के म्यूजियम में जब लोग इसे देख रहे हैं तो हमारे पास ऑर्डर कर रहे हैं. हमने उन ऑर्डर्स को सप्लाई भी किया. जिन लोगों ने वहां के फेस्टिवल में हमारे मॉडल को देखा है, उनका फोन हमारे पास आ रहा है. लोग उन मॉडल्स को पसंद कर रहे हैं. उनसे हमारी बातचीत भी चल रही है. मैसूर का जो ऑर्डर हमें मिला था वह करीब 25 लाख का था. यह न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि उन सभी कारीगरों का उत्साह बढ़ाने वाला रहा, जो इससे साथ जुड़े हुए हैं.

22 से अधिक प्रसंगों पर मॉडल : शुभि बताती हैं कि हमने राम दरबार तैयार करने के बाद सैंपल भेजा. इसके बाद जब इसे पास कर दिया गया तो लगभग दो साल की मेहनत और 40 लोगों की टीम की लगन के बाद इस ऑर्डर को तैयार किया गया. लगभग 22 से अधिक अलग-अलग प्रसंगों को तैयार कर मैसूर के म्यूजियम में भेजा गया. बीते दशहरे पर म्यूजियम में इसका उद्घाटन किया गया था. अब भी अलग-अलग काष्ठ-कलाकृतियों की मांग जारी है. काशी से भगवान राम के जीवन से जुड़े हुए प्रसंगों को भेजा जा रहा है.

नौकरी करने से बेहतर दूसरों को काम देना : राम दरबार को बनाने वाली काशी के लोकार्क कुंड की शुभि पढ़ाई पूरी करने के बाद काष्ठ कला से जुड़ गईं. उनका डिजाइन किया हुआ राम दरबार मैसूर के डाल म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है. शुभि कहती हैं, बचपन से ही हम लोग अपने घर में यह काम होता देख रहे हैं. जब पढ़ाई करते थे तो पापा की जरूरत के मुताबिक एक-दो घंटे कारखाने में भी बिताते थे. घर में भी पैकिंग होती थी. हमेशा से ही हम इस काम को देखते और सीखते रहते थे. इसके बाद मैं दिल्ली चली गई. वहां दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. पढ़ाई करने के बाद जब काशी आई तो यहां महिला कारीगरों को काम करते हुए देखा. मुझे लगा कि अगर नौकरी करती हूं तो किसी के लिए काम करना होगा. अगर अपनी पढ़ाई का उपयोग करते हुए यहीं काम करती हूं तो दूसरों को भी रोजगार मेरे जरिए मिलेगा.

कितनी पुरानी है काशी की काष्ठ कला : कारीगर बताते हैं कि यह कला करीब 400 साल पुरानी है. कुछ शिल्पकार मानते हैं कि यह कला भगवान राम के जमाने से चली आ रही है. कहते हैं, डिब्बी (सिंदूरदान), थाली, जांता, ऊखली, मुसल, ग्लास, लोटिया, बेगुना, चूल्हा, चक्की, रोटी, तवा और कलछुल और अन्य सामग्रियां कई दशक से बनारस में बनाई जा रही हैं. बनारस में बनने वाला सिंदूर दान कई राज्यों में भेजा जाता है. बीते कुछ सालों से यह व्यवसाय खराब दौर से गुजर रहा था. मोदी और योगी सरकार ने मिलकर इसे दोबारा से गति प्रदान की है.
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