नारायणपुर: दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के बार्डर पर अबूझमाड़ इलाके में नक्सलियों से मुठभेड़ हुई है. सुबह-सुबह पुलिस टीम का नक्सलियों से सामना हुआ. इस मुठभेड़ में डीआरजी का एक जवान शहीद हुआ है. जवान छोटेडोंगर थाने से सर्चिंग पर निकले थे. इसी दौरान नक्सलियों से उनकी मुठभेड़ हुई है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने इसकी पुष्टि की है. बता दें कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी आज बस्तर के बीजापुर दौरे पर हैं.
तुलारगुफा के पास हुई मुठभेड़: नारायणपुर में भारत तिब्बत सीमा पुलिस और डीआरजी की संयुक्त पार्टी छोटेडोंगर थाना क्षेत्र के छोटेडनबेरा और मंगारी में नक्सल विरोधी अभियान के लिए निकली थी. इस दौरान नारायणपुर और दंतेवाड़ा के सीमावर्ती क्षेत्र तुलारगुफा और मंगारी गांव में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हो गई. इस एनकाउंटर में डीआरजी में तैनात प्रधान आरक्षक सालिक राम मरकाम शहीद हो गए.37 वर्षीय सालिकराम भानुप्रतापपुर के चवेला गांव के निवासी थे.
एसपी सदानंद कुमार ने दी जानकारी: एसपी सदानंद कुमार ने बताया कि "इस क्षेत्र में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी. जिसको देखते हुए दंतेवाड़ा, कडेनार और आमदई की ओर तीन पुलिस पार्टी को रवाना किया गया. बुधवार को सुबह 8.15 पर जब जवान तुलारगुफा और मंगारी गांव के मध्य जंगल में थे. तभी नक्सलियों ने पुलिस दल पर फायरिंग सुरू कर दी. इसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की. मुठभेड़ के दौरान प्रधान आरक्षक सालिक राम को गोली लगी और वह शहीद हो गया". एसपी सदानंद कुमार ने दावा किया है कि "इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भी क्षति पहुंची है. क्षेत्र में सर्चिंग का काम अभी जारी है.
सालिक राम मरकाम की 2015 में हुई थी शादी: शहीद प्रधान आरक्षक सालिक राम मरकाम की साल 2015 में शादी हुई थी. उसके परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं. एक बच्चा पांच साल का है जबकि दूसरा बच्चा 6 महीने का है. हेलीकॉप्टर से शहीद जवान के शव को जिला मुख्यालय नारायणपुर लाया गया है.नक्सली घटना में शहीद प्रधान आरक्षक सालिक राम मरकाम को नारायणपुर में अंतिम विदाई एवं सलामी दी जाएगी. जिसके बाद शहीद जवान के पार्थिक शव को गृह ग्राम भेजा जाएगा".
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गर्मी में नक्सली हमले ज्यादा: नक्सली गर्मी के मौसम में ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. गर्मी के मौसम में ही नक्सली बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक जितनी बड़ी नक्सली घटनाएं हुई हैं, वह गर्मी के मौसम में हुईं हैं. 21 मार्च 2020 को सुकमा के मीनपा में हुए हमले में 17 जवान शहीद हो गये थे. 24 अप्रैल 2017 को सुकमा में लंच करने बैठे जवानों पर घात लगाकर नक्सलियों ने हमला किया था. इसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. 1 मार्च 2017 को सुकमा में सड़कों को खाली कराने के काम में जुटे सीआरपीएफ जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ था. इसमें 11 जवान शहीद जबकि 3 से ज्यादा घायल हो गए थे. 11 मार्च 2014 को झीरम घाटी के पास के एक इलाके में हुए नक्सली हमले में 15 जवान शहीद हो गए थे जबकि एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हुई थी. 12 अप्रैल 2014 को बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई. दिसंबर 2014 को सुकमा के चिंतागुफा इलाके में नक्सलियों के हमले में 14 जवान शहीद हो गए थे जबकि 12 लोग घायल हुए थे.