सरगुजा: सरगुजा संभाग के newborn death in ambikapur medical college अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के SNCU यानी शिशु गहन चिकित्सा इकाई में चार नवजात की मौत से हड़कंप मच गया है. परिजनों का आरोप है कि एसएनसीयू वार्ड में बिजली कट जाने से वेंटिलेटर बंद हो गया और बच्चों की मौत हुई है. ambikapur medical college hospital जबकि सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने परिजनों के आरोपों को खारिज किया है. एक साल पहले भी इस SNCU में बच्चों की मौत हुई थी. फिर एक साल बाद दोबारा ऐसी घटना ने अंबिकापुर के स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि इन मौतों में 2 नवजात बच्चों की मौत पावर कट की वजह से हुई है. जबकि 24 घंटे में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अन्य कारणों से भी 2 बच्चों की मौत हुई.power cut in Ambikapur SNCU infants died
कैसे हुई बच्चों की मौत: नवजात बच्चे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में भर्ती थे. यहां रविवार देर रात यानी सोमवार तड़के बिजली गुल हुई. सुबह पता चला कि चार बच्चों की मौत हुई. परिजनों ने घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाना शुरू कर दिया. यह पूरी घटना अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मातृ शिशु अस्पताल यूनिट की है.surguja latest news
सरगुजा कलेक्टर ने बिजली कटने की बात से किया इनकार: इस पूरी घटना के बाद सरगुजा जिला प्रशासन हरकत में आया. कलेक्टर कुंदन कुमार ने अस्पताल में डॉक्टरों और डीन की बैठक ली. उसके बाद कलेक्टर ने अस्पताल में बिजली कटने की बात से इनकार किया. कलेक्टर ने विभाग प्रमुख और टेक्निकल स्टाफों के बयान पर जानकारी देते हुए कहा कि" "ये सच है कि 4 नवजात बच्चों की मौत आज हुई है. इनमें से 2 बच्चे एसएनसीयू में थे. अभी भी 6 में से 4 बच्चे एसएनसीयू में हैं. अलग अलग कारणों से बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. आज एमसीएच में 48 बच्चे एडमिट थे जिनमें से 4 की मौत हो चुकी है और 2 की हालत गंभीर बनी हुई है.बिजली की समस्या से वेंटिलेटर या अन्य जो भी सुविधाएं होती हैं. वो बंद नहीं हुई थी. सरगुजा जिला प्रशासन इसकी जांच कराएगा "
स्वास्थ्य मंत्री के गढ़ में ऐसी घटना चिंता का विषय, एक्शन में हेल्थ मिनिस्टर सिंहदेव : सरगुजा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का गढ़ है. सरगुजा के अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इस तरह की घटना हेल्थ सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर रही है. घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव हरकत में आए. उन्होंने अस्पताल पहुंच कर अस्पताल प्रबंधन के आला अधिकारियों से बात की. सिंहदेव ने करीब एक घंटे तक अस्पताल में कैंप किया और हर पहलू पर बारीकी से पूछताछ की. सिंहदेव के साथ स्वास्थ्य सचिव आर प्रसन्ना भी मौजूद थे.
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SNCU में नवजात की मौत पर जांच टीम गठित: सिंहदेव ने नवजातों की मृत्यु को संवेदनशील और गम्भीर बताते हुए जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिेए हैं. सिंहदेव ने 48 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जांच में जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उस पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान रायपुर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ खण्डेलवाल ने एसएनसीयू के वेंटिलेटर एवं वॉर्मर का जांच कर स्थिति का जायजा लिया. जांच में सभी उपकरण सही काम करते हुए पाए गए हैं.स्वास्थ्य मंत्री ने पूछताछ के दौरान रात्रि में वरिष्ठ चिकित्सकों के द्वारा भ्रमण नहीं करने की स्थिति को लेकर गंभीरता दिखाते हुए अब प्रतिदिन एक वरिष्ठ चिकित्सक की रात्रि विजिट हेतु मासिक ड्यूटी चार्ट बनाने के निर्देश दिए तथा ऑन कॉल पर शीघ्र पहुंचने कहा. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डीन एवं चिकित्सा अधीक्षक को कड़ाई से मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए. इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज के कितने डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं और कितने निजी अस्पताल को रेफर करते हैं, उसकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए.
क्या है स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान: सिंहदेव ने कहा कि "आज अस्पताल आना पड़ा है 4 बच्चों की मृत्यु सुबह 5 साढ़े पांच बजे से 8 बजे के बीच में हुई है. 2 बच्चे वेंटिलेटर में थे, 2 बच्चे वार्ड में थे. ये बच्चे बहुत नाजुक स्थिति में रहते हैं. किसी को हार्ट डिजीज थी. कोई अंडर वेट है. किसी का हार्ट का ट्रबल था. किस को कंजेनाइटल एक्सपेसिया था. ये बात आ रही है कि बिजली के नहीं रहने से ऐसा हुआ. ये बात या रही है कि जो पैनल था, उसमें शॉर्ट सर्किट हुआ. पहले 11 बजे उसे बनाया गया, फिर रात में 1 बजे बनाया गया. दूसरा जितने वेंटिलेटर बेड हैं, उनमें बैकअप फैसिलिटी है. जैसे ही बिजली जाती है ये बैकअप सिस्टम चालू हो जाता है. बिजली के जाने से वेंटिलेटर के पलंग पर बच्चे को कोई भी असुविधा नहीं हो सकती है"
एक साल पहले भी ऐसी घटना हुई थी: सालभर पहले अक्टूबर 2021 में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऐसा ही हादसा हुआ था. इसमें तीन दिनों के भीतर 7 नवजात बच्चों की मौत हुई थी. जिसमें पांच बच्चे नवजात थे. उसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा था. अब करीब एक साल बाद दिसंबर में ऐसा वाकया अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुआ है.