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सम्मेद शिखर को लेकर जैन समाज का देशव्यापी विरोध, जयपुर में मुनि ने त्यागे प्राण, MP और गुजरात में भी विरोध - आदिनाथ मन्दिर खजुराहो

सम्मेद शिखर को लेकर जैन समाज का देशव्यापी विरोध जारी है, जैन समाज के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने से पर्यटकों की गतिविधि बढ़ जाएगी जिससे धार्मिक भावना आहत होगी. पूरे देश में चल रहे विरोध में जयपुर में एक जैन मुनि ने प्राण त्यागे और दूसरे शहरों में भी विरोध जारी है.

Sammed Shikhar
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Published : Jan 3, 2023, 10:35 PM IST

रांची: गिरिडीह में पारसनाथ स्थित जैन धर्म के सबसे पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को लेकर झारखंड सरकार के फैसले को विरोध जैन समुदाय के लोग का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर शुरू हो गया हैं. सरकार के आदेश के विरोध में जयपुर में जैन धर्म गुरु ने 3 दिसम्बर को अपना प्राण त्याग दिया. झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में इंदौर, जयपुर और गुजरात के विभिन्न शहरों में विरोध जारी हैं तो वहीं 3 दिसम्बर को रांची में जैन समुदाय के लोगों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के नीतियों का विरोध किया.

ये भी पढ़ें- जानिए क्या है सम्मेद शिखर से जुड़ा पूरा विवाद, जिसके लिए जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने त्यागे प्राण


ये है इतिहास: सम्मेद शिखर जैन समुदाय का सबसे पवित्र स्थल है, जैन धर्म की मान्यता के अनुसार 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 ने इसी पारसनाथ पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया है. जैन धर्म के लोगों के लिए पहाड़ी मंदिर है. इसलिए ये पूरा क्षेत्र जैन समाज के लिए बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण है. जैन समुदाय का कहना है कि सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल और ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने से इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी, 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने पारसनाथ अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित करते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. 2019 में केंद्र सरकार के तरफ से कुछ आपत्तियां इस आधार पर झारखंड सरकार को भेजी गई कि इसे लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है. जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने से गैर जैन समुदाय से जुड़े पर्यटकों की गतिविधि बढ़ रही है. इसकी वजह से उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. जैन समुदाय के लोग पूरी तरह से निरामिश होते हैं लेकिन इको सेंसिटिव जोन से पर्यटकों की गतिविधि बढ़ेगी जिसमें मांसाहारी भोजन भी यहां बनेगा और परोसा जाएगा जिससे धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. 2019 के बाद कोरोने का हालात और बंद हुए पर्यटन के कारण यह मामला दबा रहा.


झारखंड सरकार ने रखा पक्ष:- जैन समुदाय की नाराजगी को लेकर केन्द्र सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर पूरे मामले की जानकारी ली. भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु पर्यावरण मंत्रालय के वन महानिदेशक सह विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल ने अपने पत्र में लिखा है कि 2 अगस्त 2019 के आदेश को लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है उनका कहना है कि उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. इसको लेकर झारखंड सरकार की तरफ से 22 दिसंबर 2022 को पत्र भेजकर यह भरोसा दिलाया गया था कि पारसनाथ में जैन आस्था को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. लेकिन उस पत्र में ईको सेंसिटिव जोन से जुड़े नोटिफिकेशन में बदलाव का कोई जिक्र नहीं था. इसलिए जैन धर्मावलंबियों ने आस्था की बात और उसे लेकर विरोध शुरू कर दिया जो पूरे भारत में अब विरोध का रूप का ले चुका है.

ये भी पढ़ें- जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने त्यागे प्राण, झारखंड के सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के खिलाफ थे


क्या है सरकार का पक्ष : झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने ईटीवी भारत के खास बात करते हुए कहा कि जैन समाज के लोगो उनसे लगातार संपर्क में है और सरकार इस पूरे मामले को लेकर संवेदनशील है. पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन स्थल की श्रेणी से निकालने को लेकर जैन धर्म के लोगों ने चर्चा की है. साथ ही समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस विषय पर बात करने लिए समय दिलाने की भी बात हमसे कहीं है और एक से दो दिनो के भीतर सीएम से समय लेकर उनकी बातों के रखा जाएगा. पर्यटन मंत्री ने कहा की जैन समुदाय के लोगों की हर भावना का पूरा ध्यान रखा जाएगा और सरकार कुछ भी ऐसा निर्णय नहीं लेगी जिससे किसी की भी धार्मिक भावना आहत हो.


राज्यपाल ने केंद्र को भेजा पत्र -'सम्मेद शिखर' मामले को लेकर जैन समुदाय के लोगों ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी. जैन समुदाय के लोगें ने राज्यपाल से भी अनुरोध किया था सरकार ने जो फैसला लिया है उसे बदला जाए. इस मामले को लेकर 23 दिसम्बर को राज्यपाल रमेश बैस ने केन्द्र सरकार को जैन धर्म के लोगों की मांग को लेकर उनकी भावना पर विचार करने के लेकर एक पत्र भी भेजा है.

ये भी पढ़ें- रांची में जैन समाज के लोगों ने निकाला मौन जुलूस, पारसनाथ को पर्यटन स्थल बनाए जाने का कर रहे विरोध


जयपुर में मुनि ने त्यागे प्राण:- विश्व विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने का देशभर में विरोध जारी है. इसी क्रम में उपवास कर रहे 72 वर्षीय जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने मंगलवार सुबह संघी जी जैन मंदिर में प्राण त्याग दिए. मुनि सम्मेद शिखर मामले को लेकर 25 दिसम्बर से अन्न जल त्याग कर आमरण अनशन पर थे. जिसके चलते आचार्य के सानिध्य में पंच परमेष्ठी का ध्यान करते हुए उन्होंने अपना देह त्याग दिया. वो मध्यम सिंह निष्क्रिड़ित व्रत में उतरते हुए उपवास कर रहे थे. मुनि सुज्ञेय सागर सांगानेर स्थित संघी जी मंदिर में विराजित पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनील सागर के शिष्य थे. और 'सम्मेद शिखर' से जुडे हुए थे.


मध्यप्रदेश - सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन और पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में मध्यप्रदेश में भी विरोध प्रदर्शन जारी है. इंदौर के बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर अपने फैसले पर फिर से विचार करने को निवेदन किया है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो विरोध जारी रहेगा. वही मध्यप्रदेश के दूसरे जैन धार्मिक स्थलों सोनागिरी जैन तीर्थ स्थल ( 108 मंदिर ), दतिया पुष्प गिरी शिक्षा केंद्र , देवास, मंगल गिरी सागर, कुंडलपुर दमोह, मुक्तागिरी ( मंदिर ) बैतूल, पार्श्व नाथ व आदिनाथ मन्दिर खजुराहो, बावनगजा जैन तीर्थ स्थल बड़वानी, पावागिरी खरगोन, मोहनखेड़ा जैन तीर्थ स्थल मोहनखेडा और श्री भोपावर जैन तीर्थ स्थल धार में सरकार के फैसले के विरोध में जुलूस और प्रदर्शन कर रहे हैं


गुजरात में विरोध- जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर गुजरात के विभिन्न शहरों में जैन धर्मावलंबियों ने विरोध प्रदर्शन किया है. विगत कई दिनों से गुजरात के कई शहरों में जैन समुदाय को लोग झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में जुलूस और प्रदर्शन कर रहे हैं.


झारखंड में विरोध- विश्व विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने को लेकर झारखंड में विरोध जारी है. 3 दिसंबर को रांची में जैन धर्म के महिला पुरुष ने मौन जुलूस निकाला. जैन धर्म को लोगों का कहना है कि सरकार सम्मेद शिखर मामले को लेकर बदलाव करें, नहीं तो विरोध और तेज होगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए जैन समुदाय को लोगों ने कहा कि सरकार ने जो नोटीफिकेशन किया है उससे सम्मेद शिखर की पवित्रता खत्म हो जाएगी.

रांची: गिरिडीह में पारसनाथ स्थित जैन धर्म के सबसे पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को लेकर झारखंड सरकार के फैसले को विरोध जैन समुदाय के लोग का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर शुरू हो गया हैं. सरकार के आदेश के विरोध में जयपुर में जैन धर्म गुरु ने 3 दिसम्बर को अपना प्राण त्याग दिया. झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में इंदौर, जयपुर और गुजरात के विभिन्न शहरों में विरोध जारी हैं तो वहीं 3 दिसम्बर को रांची में जैन समुदाय के लोगों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के नीतियों का विरोध किया.

ये भी पढ़ें- जानिए क्या है सम्मेद शिखर से जुड़ा पूरा विवाद, जिसके लिए जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने त्यागे प्राण


ये है इतिहास: सम्मेद शिखर जैन समुदाय का सबसे पवित्र स्थल है, जैन धर्म की मान्यता के अनुसार 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 ने इसी पारसनाथ पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया है. जैन धर्म के लोगों के लिए पहाड़ी मंदिर है. इसलिए ये पूरा क्षेत्र जैन समाज के लिए बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण है. जैन समुदाय का कहना है कि सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल और ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने से इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी, 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने पारसनाथ अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित करते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. 2019 में केंद्र सरकार के तरफ से कुछ आपत्तियां इस आधार पर झारखंड सरकार को भेजी गई कि इसे लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है. जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने से गैर जैन समुदाय से जुड़े पर्यटकों की गतिविधि बढ़ रही है. इसकी वजह से उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. जैन समुदाय के लोग पूरी तरह से निरामिश होते हैं लेकिन इको सेंसिटिव जोन से पर्यटकों की गतिविधि बढ़ेगी जिसमें मांसाहारी भोजन भी यहां बनेगा और परोसा जाएगा जिससे धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. 2019 के बाद कोरोने का हालात और बंद हुए पर्यटन के कारण यह मामला दबा रहा.


झारखंड सरकार ने रखा पक्ष:- जैन समुदाय की नाराजगी को लेकर केन्द्र सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर पूरे मामले की जानकारी ली. भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु पर्यावरण मंत्रालय के वन महानिदेशक सह विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल ने अपने पत्र में लिखा है कि 2 अगस्त 2019 के आदेश को लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है उनका कहना है कि उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. इसको लेकर झारखंड सरकार की तरफ से 22 दिसंबर 2022 को पत्र भेजकर यह भरोसा दिलाया गया था कि पारसनाथ में जैन आस्था को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. लेकिन उस पत्र में ईको सेंसिटिव जोन से जुड़े नोटिफिकेशन में बदलाव का कोई जिक्र नहीं था. इसलिए जैन धर्मावलंबियों ने आस्था की बात और उसे लेकर विरोध शुरू कर दिया जो पूरे भारत में अब विरोध का रूप का ले चुका है.

ये भी पढ़ें- जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने त्यागे प्राण, झारखंड के सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के खिलाफ थे


क्या है सरकार का पक्ष : झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने ईटीवी भारत के खास बात करते हुए कहा कि जैन समाज के लोगो उनसे लगातार संपर्क में है और सरकार इस पूरे मामले को लेकर संवेदनशील है. पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन स्थल की श्रेणी से निकालने को लेकर जैन धर्म के लोगों ने चर्चा की है. साथ ही समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस विषय पर बात करने लिए समय दिलाने की भी बात हमसे कहीं है और एक से दो दिनो के भीतर सीएम से समय लेकर उनकी बातों के रखा जाएगा. पर्यटन मंत्री ने कहा की जैन समुदाय के लोगों की हर भावना का पूरा ध्यान रखा जाएगा और सरकार कुछ भी ऐसा निर्णय नहीं लेगी जिससे किसी की भी धार्मिक भावना आहत हो.


राज्यपाल ने केंद्र को भेजा पत्र -'सम्मेद शिखर' मामले को लेकर जैन समुदाय के लोगों ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी. जैन समुदाय के लोगें ने राज्यपाल से भी अनुरोध किया था सरकार ने जो फैसला लिया है उसे बदला जाए. इस मामले को लेकर 23 दिसम्बर को राज्यपाल रमेश बैस ने केन्द्र सरकार को जैन धर्म के लोगों की मांग को लेकर उनकी भावना पर विचार करने के लेकर एक पत्र भी भेजा है.

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जयपुर में मुनि ने त्यागे प्राण:- विश्व विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने का देशभर में विरोध जारी है. इसी क्रम में उपवास कर रहे 72 वर्षीय जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने मंगलवार सुबह संघी जी जैन मंदिर में प्राण त्याग दिए. मुनि सम्मेद शिखर मामले को लेकर 25 दिसम्बर से अन्न जल त्याग कर आमरण अनशन पर थे. जिसके चलते आचार्य के सानिध्य में पंच परमेष्ठी का ध्यान करते हुए उन्होंने अपना देह त्याग दिया. वो मध्यम सिंह निष्क्रिड़ित व्रत में उतरते हुए उपवास कर रहे थे. मुनि सुज्ञेय सागर सांगानेर स्थित संघी जी मंदिर में विराजित पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनील सागर के शिष्य थे. और 'सम्मेद शिखर' से जुडे हुए थे.


मध्यप्रदेश - सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन और पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में मध्यप्रदेश में भी विरोध प्रदर्शन जारी है. इंदौर के बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर अपने फैसले पर फिर से विचार करने को निवेदन किया है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो विरोध जारी रहेगा. वही मध्यप्रदेश के दूसरे जैन धार्मिक स्थलों सोनागिरी जैन तीर्थ स्थल ( 108 मंदिर ), दतिया पुष्प गिरी शिक्षा केंद्र , देवास, मंगल गिरी सागर, कुंडलपुर दमोह, मुक्तागिरी ( मंदिर ) बैतूल, पार्श्व नाथ व आदिनाथ मन्दिर खजुराहो, बावनगजा जैन तीर्थ स्थल बड़वानी, पावागिरी खरगोन, मोहनखेड़ा जैन तीर्थ स्थल मोहनखेडा और श्री भोपावर जैन तीर्थ स्थल धार में सरकार के फैसले के विरोध में जुलूस और प्रदर्शन कर रहे हैं


गुजरात में विरोध- जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर गुजरात के विभिन्न शहरों में जैन धर्मावलंबियों ने विरोध प्रदर्शन किया है. विगत कई दिनों से गुजरात के कई शहरों में जैन समुदाय को लोग झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में जुलूस और प्रदर्शन कर रहे हैं.


झारखंड में विरोध- विश्व विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने को लेकर झारखंड में विरोध जारी है. 3 दिसंबर को रांची में जैन धर्म के महिला पुरुष ने मौन जुलूस निकाला. जैन धर्म को लोगों का कहना है कि सरकार सम्मेद शिखर मामले को लेकर बदलाव करें, नहीं तो विरोध और तेज होगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए जैन समुदाय को लोगों ने कहा कि सरकार ने जो नोटीफिकेशन किया है उससे सम्मेद शिखर की पवित्रता खत्म हो जाएगी.

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