नई दिल्ली : मोदी सरकार 12 जुलाई को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है. पिछले कुछ दिनों से कई नामों पर चर्चा की जा रही है, जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. खबर है कि भाजपा कुछ नए दलों को भी एनडीए में जोड़ सकती है. उन दलों के नेताओं को मंत्री बनाकर भाजपा इसका व्यापक राजनीतिक संदेश देना चाहती है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का यह आखिरी विस्तार माना जा रहा है.
जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल और शिवसेना के कुछ नेताओं के नाम प्रमुखता से शामिल हैं. केंद्र सरकार में अधिकतम 81 नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है. यानी लोकसभा की अधिकतम संख्या का 15 फीसदी. अभी मोदी मंत्रिमंडल में 78 मंत्री शामिल हैं. लिहाजा, नए व्यक्तियों को शामिल तभी किया जा सकता है, जब कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो. किसकी छुट्टी होगी, यह तो किसी को पता नहीं है. वैसे गत सप्ताह भाजपा के कई मंत्रियों की मुलाकात पार्टी अध्यक्ष से हुई थी.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भाजपा इस बार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और झारखंड पर विशेष फोकस कर रही है. यही वजह है कि पार्टी ने इन चारों राज्यों में नए अध्यक्षों के नामों की घोषणा की. इसी तरह से इस साल के अंत में होने वाले चुनावी राज्यों पर भी मोदी सरकार मेहरबान हो सकती है. इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल है. राजस्थान और छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. अब इन राज्यों में भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो उसे वहां के कुछ अन्य चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल करना होगा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ से सरोज पांडेय और विजय बघेल में से किसी एक को जगह मिल सकती है. राजस्थान से किरोड़ी लाल मीणा और दीया कुमारी के नामों की चर्चा है. मध्य प्रदेश से सुमेर सोलंकी और रीती पाठक को लेकर अटकलें लगाई जा रहीं हैं.
खबर यह भी है कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेद्र प्रधान को संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है. प्रधान के पास एचआरडी विभाग है, जबकि पीयूष गोयल के पास वाणिज्य विभाग है. क्योंकि गोयल बार-बार राजस्थान जा रहे हैं, इसलिए कहा जा रहा है कि गोयल को राजस्थान का प्रभार दिया जा सकता है.
इसी तरह से प्रधान को लेकर बड़े दावे किए जा रहे हैं. खबरों की मानें तो उन्हें यूपी का प्रभार दिया जा सकता है. भाजपा के लिए यूपी बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है. इसलिए वहां पर ऐसे लोगों की तैनाती करने पर विचार किया जा रहा है, जिनके बलबूते पार्टी अपना परफॉर्मेंस कायम रख सके.
यूपी से अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने को लेकर चर्चा चल रही है. हाथरस कांड में उनके बेटे का नाम सामने आया था. तभी से टेनी को हटाने को लेकर चर्चा चलती रहती है. टेनी के साथ-साथ महेंद्र नाथ पांडेय को लेकर अटकलें लगाई जा रहीं हैं. वह भारी उद्योग मंत्रालय देख रहे हैं.
जहां तक यूपी में जातिगत समीकरण को साधने की बात है तो पार्टी यहां से किसी दूसरे ब्राह्मण नेता को मौका दे सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इनमें लक्ष्मीकांत वाजपेयी और हरीश द्विवेदी के नाम पर विचार किया जा रहा है.
पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन को लेकर भाजपा संकट में घिरती हुई दिख रही थी, हालांकि, विधानसभा चुनाव में भाजपा का परफॉर्मेंस ठीक रहा था. इसलिए माना जा रहा है कि संजीव बालियान को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. उन्होंने वहां पर जाट आंदोलन से उपजी हुई नाराजगी को कम करने का काम किया था.
इसी तरह से भाजपा के लिए बिहार बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है. यहां पर जेडीयू से गठबंधन टूटने के बाद पार्टी सहयोगी की तलाश में है. राजद और जेडीयू का गठबंधन बहुत ही फॉर्मिडेबल माना जा रहा है. इसलिए खबर है कि भाजपा चिराग पासवान को मंत्रिपरिषद में जगह दे सकती है. बिहार में साढ़े चार फीसदी पासवान वोटर्स हैं.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और चिराग पासवान की मुलाकात पिछले सप्ताह ही हो चुकी है, इसके बाद उन्हें मंत्री बनाए जाने को लेकर खबर तेज है. खबर ये भी है कि यादव मतदाताओं तक अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए राम कृपाल यादव को मंत्री बनाया जा सकता है. वह भाजपा से हैं. एक समय वह लालू यादव के 'हनुमान' कहे जाते थे. खबरें अजय निषाद और संजय जायसवाल को लेकर भी है.
मीडिया में बिहार के जिन मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर करने की बात चल रही है, उनमें आरके सिंह, अश्विनी चौबे और पशुपति पारस शामिल हैं. वैसे आरके सिंह हमेशा से वोकल रहे हैं. वह पूर्व गृह सचिव रह चुके हैं. इस समय उनके पास ऊर्जा मंत्रालय है. क्योंकि चिराग पासवान को मंत्री बनाया जा सकता है, लिहाजा पशुपति पारस की छुट्टी संभव है. वैसे भी दोनों नेता एक ही पार्टी एलजेपी पर दावा करते हैं.
अभी गुजरात से पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख मांडविया, दर्शना जरदो, महेंद्र मुंजपरा और देवूसिंह चौहाण मंत्री हैं. इसके अलावा पीएम मोदी और अमित शाह खुद भी गुजरात से हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि इनमें से कुछ चेहरों को ड्रॉप किया जा सकता है, उन्हें पार्टी में जिम्मेदारी दी जा सकती है. वैसे, भी गुजरात में इसी साल विधानसभा के चुनाव हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट में गुजरात से सीआर पाटिल के नाम की चर्चा है.
भाजपा के लिए महाराष्ट्र प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. यहां शिवसेना का एक धड़ा भाजपा के साथ मिल गया. और अब एनसीपी का भी एक गुट भाजपा के साथ आकर खड़ा हो गया है. ऐसे में भाजपा को यहां पर एकनाथ शिंदे के साथ-साथ अजित पवार के गुट को भी साधना है. इसलिए संभव है कि पार्टी अपने कोटे के मंत्री को हटा सकती है.
इनमें नारायण राणे, पीयूष गोयल और रामदास आठवले का नाम आ रहा है. यहीं से राव साहेब दानवे और भारती पवार भी मंत्री हैं. हो सकता है इनमें से किसी की विदाई हो जाए. एकनाथ शिंदे गुट की ओर से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने के नामों पर विचार किया जा रहा है.
कर्नाटक विधानसभा में भाजपा चुनाव हार गई. इसके बाद भाजपा और जेडीएस के बीच रिश्तों में सुधार दिख रहा है. हालांकि, जेडीएस के किसी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं दिख रही है. यहां से भाजपा के छह मंत्री शामिल हैं. संभव है कि इनमें से किसी को हटाया जाए. यहां के प्रमुख नामों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हैं.
तेलंगाना में पार्टी ने अपने तेज तर्रार नेता संजय बंडी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया, उनकी जगह पर किशन रेड्डी को पार्टी की कमान सौंप दी. इसलिए रेड्डी की जगह पर किसी अन्य नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. जहां तक तमिलनाडु की बात है है तो यहां से एआईएडीएमके को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.
कब हुआ था मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार - नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. पहली बार पीएम ने 45 सहयोगियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी थी. इनमें 23 कैबिनेट स्तर के, 10 राज्य स्तर के स्वतंत्र प्रभार वाले और 12 राज्य मंत्री शामिल थे.
इसके बाद पीएम ने नौ नवंबर 2014 को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. इस बार उन्होंने 21 नए सहयोगियों को शामिल किया. इनमें चार कैबिनेट, तीन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार वाले और 14 राज्य मंत्रियों को शामिल किया गया था.
इसके बाद पांच जुलाई, 2016 को पीएम ने 16 अन्य नेताओं को मंत्रिपरिषद में जगह दी. फिर तीन सितंबर 2017 को पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल का अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार किया था. इस बार नौ मंत्रियों को शामिल किया गया था.
2019 में दूसरी बार पीएम पद का शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी ने सात जुलाई 2021 को कैबिनेट का विस्तार किया था. इसमें पीएम ने 43 मंत्रियों को शपथ दिलवाई थी. इसके बाद अब 12 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है.
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