कोलकाता: कोलकाता में 'पाथुरियाघाट पंचर पल्ली' का दुर्गा पूजा पंडाल इस साल अपने विशेष थीम के लिए चर्चा में हैं. मासिक धर्म, स्वच्छता-थीम वाला यह पंडाल मासिक धर्म से जुड़ी सीमाओं और मिथकों को तोड़ता दर्शाया गया है. पूजा पंडाल मासिक धर्म स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता को दर्शाता है. यहां पूजा का 84वां वर्ष है.
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#WATCH | West Bengal: A puja committee in Kolkata has made a Durga Puja pandal based on the theme of menstrual hygiene. pic.twitter.com/91JPBozuKy
— ANI (@ANI) October 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पाथुरियाघाट पंचर पल्ली सर्बोजनिन दुर्गोत्सब समिति की कार्यकारी अध्यक्ष एलोरा साहा इस थीम के पीछे प्रमुख व्यक्ति हैं. दुनिया को मासिक धर्म को वर्जित मानने से रोकने को लेकर एलोरा साहा ने कहा, 'हमने मासिक धर्म स्वच्छता या 'ऋतुमति' का विषय चुना है. हम निश्चित रूप से उत्सुक हैं कि वे इस विचारशील विचार को कैसे प्रस्तुत करते हैं. मासिक धर्म एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है और इसे किसी भी तरह के पर्दे में रखने की जरूरत नहीं है. यह सही समय है जब हम मिथकों को तोड़ें और पहले कदम में ऐसे मुद्दों को सामने लाना होगा. उन्होंने कहा, 'हमारे समाज में लोग मासिक धर्म को लेकर बहुत सारी मिथक हैं.
जब एक महिला मासिक धर्म के दौरान होती है तो उसे रसोई में जाने की अनुमति नहीं होती है. उसे अपने पति के साथ बिस्तर साझा करने की अनुमति नहीं होती है. उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. उन्हें व्यक्तिगत स्वास्थ्य और स्वच्छता मामलों के बारे में नहीं सिखाया जाता है. सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी इस बात की सही और वैज्ञानिक तरीके से जानकारी लेनी चाहिए.
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#WATCH | West Bengal: Ellora Saha, working president of Pathuriaghata Pancher Pally Sarbojonin Durgotsab Committee says, "We have named this year's theme 'Ritumati', which means menstruating woman. There are a lot of taboos and superstitions around menstruation. Women are not… pic.twitter.com/nUVjcEisRS
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लोगों को इसे अन्य प्रणालियों की तरह एक सरल, सामान्य जैविक प्रक्रिया के रूप में लेना चाहिए. महिमामंडन करने के लिए कुछ भी नहीं, छिपाने के लिए कुछ भी नहीं. हमें इन अंधविश्वासों से बाहर निकलना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इस पंडाल को बनाने में तीन महीने और लगभग 18 लाख रुपये लगे. हमारा पूजा पंडाल पेंटिंग, मॉडल जैसी स्थापना कलाओं पर आधारित है. ग्राफिक्स मासिक धर्म चक्र के दौरान स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करते हैं. पंडाल के मुख्य कलाकार मानस रॉय ने कहा, 'मूर्ति निर्माता कुमारटुली के सनातन पॉल हैं. वह विषय के आधार पर मूर्तियों को आकार देते हैं.