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इस गांव के हर घर में सेना के जवान, 1994 के बाद से कोई भी सैनिक नहीं हुआ शहीद - हर घर में सेना के जवान

इस गांव में बड़ी संख्या में सैनिकों के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है. वर्ष 1994 में इस गांव के चार युवा भारतीय सेना में शामिल हुए. उनके द्वारा सभी को प्रोत्साहित किया गया. अब 240 से अधिक गांव के युवा विभिन्न सैन्य बलों में शामिल होकर और देश की सेवा कर रहे हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक
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Published : Mar 4, 2021, 10:06 PM IST

दावणगेरे: सेना में जाकर देश सेवा करना हर एक का सपना होता है. कर्नाटक के कोडागु जिला में यह कहावत एकदम सही साबित होती है. कोडागु जिले के मदिकेरी तालुक ने भारतीय सेना में सबसे अधिक सैनिक दिए हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

हालांकि, अगर हम किसी गांव की बात करें तो दावणगेरे जिले के तोलहुनेज गांव ने समग्र रूप से सैनिकों की संख्या में सबसे अधिक योगदान दिया. आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव के प्रत्येक घर में दो या चार व्यक्ति हैं जो देश की सेवा कर रहे हैं. अब तक इस गांव के एक भी सैनिक की किसी भी ऑपरेशन में जान नहीं गई है.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

टोलाहुनास दावणगेरे जिले का एक सुदूर गांव है जो कभी सूती मिलों के लिए प्रसिद्ध था. इस गांव में हर घर में दो या चार व्यक्ति देश की सेवा कर रहे हैं. इसलिए स्वाभाविक रूप से इस गांव को सैनिकों के गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव के सैकड़ों युवा भारतीय सेना, नौसेना, एयरफोर्स और पैरा सैन्य बलों की सेवा कर रहे हैं. बता दें, इस गांव की आबादी चार हजार के आसपास है. लगभग आधे ग्रामीण आजीविका के लिए गांव के बाहर हैं. अब इस गांव में लगभग 2,000 व्यक्ति निवास करते हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

इस गांव में बड़ी संख्या में सैनिकों के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है. वर्ष 1994 में इस गांव के चार युवा भारतीय सेना में शामिल हुए. उनके द्वारा प्रोत्साहित किया गया. अब 240 से अधिक गांव के युवा विभिन्न सैन्य बलों में शामिल होकर और देश की सेवा कर रहे हैं. 30 व्यक्ति पहले ही अपनी सेवा पूरी कर चुके हैं और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वे युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जिम में काम करते हुए लड़कों का दिखना आम बात है.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

इस गांव के युवक भारत की सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ आदि में सेवा दे रहे हैं. युवाओं का कहना है कि उनकी माताएं उन्हें सशस्त्र सेना में शामिल होने से कभी नहीं रोकतीं. इसके बजाय वे उन्हें देश की सेवा करने के सपने को साकार करने में आपकी मदद कर रही हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

पढ़ें: कर्नाटक: 'सेक्स सीडी' कांड में रमेश जारकीहोली पहले नेता नहीं, लंबी है फेहरिस्त

यहां की माताएं और सगे-संबंधी सेना में चयन होने पर अपने बेटों को देशभक्ति का संदेश देती हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार 1994 के बाद से देश के किसी भी हिस्से में इस गांव के किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई.

दावणगेरे: सेना में जाकर देश सेवा करना हर एक का सपना होता है. कर्नाटक के कोडागु जिला में यह कहावत एकदम सही साबित होती है. कोडागु जिले के मदिकेरी तालुक ने भारतीय सेना में सबसे अधिक सैनिक दिए हैं.

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दावणगेरे में हर घर में सैनिक

हालांकि, अगर हम किसी गांव की बात करें तो दावणगेरे जिले के तोलहुनेज गांव ने समग्र रूप से सैनिकों की संख्या में सबसे अधिक योगदान दिया. आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव के प्रत्येक घर में दो या चार व्यक्ति हैं जो देश की सेवा कर रहे हैं. अब तक इस गांव के एक भी सैनिक की किसी भी ऑपरेशन में जान नहीं गई है.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

टोलाहुनास दावणगेरे जिले का एक सुदूर गांव है जो कभी सूती मिलों के लिए प्रसिद्ध था. इस गांव में हर घर में दो या चार व्यक्ति देश की सेवा कर रहे हैं. इसलिए स्वाभाविक रूप से इस गांव को सैनिकों के गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव के सैकड़ों युवा भारतीय सेना, नौसेना, एयरफोर्स और पैरा सैन्य बलों की सेवा कर रहे हैं. बता दें, इस गांव की आबादी चार हजार के आसपास है. लगभग आधे ग्रामीण आजीविका के लिए गांव के बाहर हैं. अब इस गांव में लगभग 2,000 व्यक्ति निवास करते हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

इस गांव में बड़ी संख्या में सैनिकों के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है. वर्ष 1994 में इस गांव के चार युवा भारतीय सेना में शामिल हुए. उनके द्वारा प्रोत्साहित किया गया. अब 240 से अधिक गांव के युवा विभिन्न सैन्य बलों में शामिल होकर और देश की सेवा कर रहे हैं. 30 व्यक्ति पहले ही अपनी सेवा पूरी कर चुके हैं और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वे युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जिम में काम करते हुए लड़कों का दिखना आम बात है.

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दावणगेरे में हर घर में सैनिक

इस गांव के युवक भारत की सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ आदि में सेवा दे रहे हैं. युवाओं का कहना है कि उनकी माताएं उन्हें सशस्त्र सेना में शामिल होने से कभी नहीं रोकतीं. इसके बजाय वे उन्हें देश की सेवा करने के सपने को साकार करने में आपकी मदद कर रही हैं.

This village is known for sending soldiers to Indian military
दावणगेरे में हर घर में सैनिक

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यहां की माताएं और सगे-संबंधी सेना में चयन होने पर अपने बेटों को देशभक्ति का संदेश देती हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार 1994 के बाद से देश के किसी भी हिस्से में इस गांव के किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई.

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