बस्तर/कांकेर/दंतेवाड़ा/राजनांदगांव/कवर्धा/मोहला मानपुर : साल 2023 का विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में नए आयाम गढ़ने वाला है. चुनाव आयोग की तत्परता और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से जिस तेजी से मतदान का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है उससे चुनाव की आयोग की टीम भी खुश है. नक्सलियों ने जरूर हमेशा की तरह गांव वालों को चुनावों से दूर रहने की हिदायत दी थी. पर लाल आतंक के डर पर इस बार विकास का बैलेट भारी पड़ा है और लोग बड़ी संख्या में अपने घरों से निकलकर अपनी सरकार चुनने के लिए सामने आए हैं. कांकेर विधानसभा के महेशपुर मतदान केंद्र पर तो महज चार घंटों के भीतर ही 90 फीसदी तक मतदान हो गया, जो अपने आप में रिकार्ड है. वोटरों को जागरुक करने के लिए बिटिया हेल्प डेस्क भी इस बार लोगों को खास पसंद आ रहा है. बिटिया हेल्प डेस्क पर आकर युवा मतदाता अपनी सेल्फी भी ले रहे हैं. चुनाव आयोग की ओर से बिटिया हेल्प डेस्क पर आने वाली युवा मतदाताओं को फूल और गुलाल लगाकर सम्मानित भी किया जा रहा है.
लाल आतंक पर भारी लोकतंत्र का महापर्व: कांकेर से लेकर दंतेवाड़ा हो चाहे फिर चांदामेटा गांव हर ओर लोकतंत्र का महापर्व अपने चरम पर है. युवा तो युवा बड़े बुजुर्ग भी अपना वोट डालने के लिए न सिर्फ मतदान केंद्रों पर पहुंचे हैं बल्कि गांव वालों को भी वोट डालने के लिए खास तौर से प्रोत्साहित कर रहे हैं. कांकेर का एक ऐसा गांव है गुमझिर जहां कमार जनजाति के लोग रहते हैं. इस गांव के रहने वाले दीनालाल मरकाम अपना वोट डालने के लिए 170 किमी दूर पखांजूर पहुंचे. दीनालाल कहते हैं कि बीईओ दफ्तर में तैनात हैं, अपना कीमती वोट देने के लिए अपने मतदान केंद्र पर तो आना ही था, भूल कैसे सकते थे. दीनालाल की तरह कई और सरकारी कर्मचारी है जो वोट डालने के लिए अपने अपने गांव पहुंचे हैं. चांदामेटा एक ऐसा गांव है जहां आज तलक मतदान केंद्र नहीं बना था. इस बार आयोग ने यहां भी मतदान केंद्र बनाया है और गांव वाले बिना किसी डर के अपना वोट विकास के नाम पर दे रहे हैं.
दंतेवाड़ा में भी खूब हो रहा मतदान: दंतेवाड़ा में भी वोटरों में खासा उत्साह देखने को मिला है. यहां नए मतदाता के साथ बुजुर्ग मतदाता भी बढ़चढ़कर वोटिंग में हिस्सा ले रहे हैं. दिग्गज नेताओं ने भी मतदान प्रक्रिया में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. छविंद्र कर्मा, देवती कर्मा और चैतराम अटामी ने वोटिंग की है.
आतंक पर चोट, जनता का वोट: दीपावली का त्योहार अभी आने में देर है पर जिस तरह से नक्सलगढ़ में आम आदमी लोकतंत्र के पर्व में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा है, उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि अब यहां लाल आतंक का डर खत्म होने को है और विकास का पहिया पहुंचने को है, ये लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है.
इसके अलावा राजनांदगांव, पंडरिया, कवर्धा, मोहला मानपुर, खुज्जी, डोंगरगढ़, डोंगरगांव और खैरागढ़ में भी वोटिंग में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. पंडरिया के झिरियाखुर्द मतदान केंद्र में लोगों ने चुनाव बहिष्कार करने की सोची थी. लेकिन प्रशासन की समझाइस के बाद लोगों ने यहा वोट डाले