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Kanker latest news नक्सलगढ़ में शिक्षा का बुरा हाल, झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर नौनिहाल !

कांकेर जिला मुख्यालय से 145 किलोमीटर दूर आमाबेड़ा क्षेत्र में किसकोड़ो गांव Education in Naxalgarh है. Education bad in kiskodo of Amabeda यहां नक्सलियों ने साल 2003 में स्कूल भवन को बम से उड़ा दिया था Ground report from Naxal affected Kanker. नक्सलियों के हमले के बाद ग्रामीणों ने झोपड़ीनुमा स्कूल बनाया ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो Children forced to study in hut in kanker लेकिन ग्रामीणों की कई बार पक्के स्कूल भवन की मांग पर अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई है. kanker latest news ETV भारत की टीम दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्र किसकोड़ो पहुंची. Kanker district education आइये जानते हैं यहां के स्कूल का हाल

Education system in Bastar of Chhattisgarh
नक्सलगढ़ में शिक्षा
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Published : Dec 30, 2022, 8:35 PM IST

नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था स्कूल

कांकेर: अतिसंवेदनशील आमाबेड़ा क्षेत्र के किसकोड़ो kiskodo of Amabeda गांव में नक्सलियों की दहशत की वजह से मासूमों की शिक्षा पर ग्रहण लग चुका Education in Naxalgarh था. स्कूल भवन को नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था, लेकिन अब सालों बाद यहां की तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है. Children forced to study in hut in kanker जिस जगह स्कूल भवन को ब्लास्ट कर नक्सलियों ने उड़ा दिया था Kanker district education अब उसी जगह फिर से झोपड़ी में स्कूल संचालित कर शिक्षा की अलख जगाई जा रही है.

बच्चे झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ने को मजबूर: किसकोड़ो के ग्रामीण जनक लाला दुग्गा ने बताया कि "साल 2003 में नक्सलियों ने स्कूल भवन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. स्थानीय ग्रामीणों की मदद से यहां फिर से झोपड़ीनुमा स्कूल बनाया गया है, लेकिन झोपड़ीनुमा स्कूल अब जर्जर हो चुका है. Ground report from Naxal affected Kanker झोपड़ी की लकड़ियों में दीमक लगा हुआ है. 20 साल बाद भी एक पक्का स्कूल भवन नहीं बनाया गया है. नक्सली घटना के बाद एक पोटाकेबिन बालक छात्रवास बनाया गया है. छात्रावास के बच्चे भी इसी झोपड़ीनुमा स्कूल भवन में पढ़ाई करते हैं.

यह भी पढ़ें: kanker latest news कोविड के नए वेरिएंट से निपटने के लिए क्या है कांकेर में तैयारियां, जानिए


कई बार पक्के स्कूल की मांग कर चुके ग्रामीण: एक अन्य ग्रामीण रामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि "किसकोड़ो में आश्रम 1990 से संचालित हो रहा है. पहले कच्चा मकान था. आश्रम के बच्चों के लिए ही पक्का स्कूल बनाया गया था, जिसे नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दियाा." ग्रामीण बताते हैं "आश्रम के 50 बच्चे और 20 गांव के प्रायमरी स्कूल के बच्चे इस झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ाई करते हैं. ग्रामीणों ने कई बार पक्के स्कूल की मांग की, लेकिन अब तक स्कूल भवन नहीं बनाया गया है. बरसात में पढ़ाई करने में बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है."

कलेक्टर ने स्कूल भवन निर्माण का दिया भरोसा: कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने कहा कि Education system in Bastar of Chhattisgarh "किसी भी समाज का उत्थान शिक्षा पर निर्भर रहता है. बच्चे अगर पढ़ने लगे, तो वहां का विकास संभव है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उनको जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, शिक्षक चाहिए, भवन चाहिए, वह हमें दें. उस जगह जो भी जरूरत है, वह उपलब्ध कराया जाएगा. स्कूल भवन के अगर निर्माण कार्य रुके हुए हैं, तो उसे पूरा किया जाएगा."

नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था स्कूल

कांकेर: अतिसंवेदनशील आमाबेड़ा क्षेत्र के किसकोड़ो kiskodo of Amabeda गांव में नक्सलियों की दहशत की वजह से मासूमों की शिक्षा पर ग्रहण लग चुका Education in Naxalgarh था. स्कूल भवन को नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था, लेकिन अब सालों बाद यहां की तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है. Children forced to study in hut in kanker जिस जगह स्कूल भवन को ब्लास्ट कर नक्सलियों ने उड़ा दिया था Kanker district education अब उसी जगह फिर से झोपड़ी में स्कूल संचालित कर शिक्षा की अलख जगाई जा रही है.

बच्चे झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ने को मजबूर: किसकोड़ो के ग्रामीण जनक लाला दुग्गा ने बताया कि "साल 2003 में नक्सलियों ने स्कूल भवन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. स्थानीय ग्रामीणों की मदद से यहां फिर से झोपड़ीनुमा स्कूल बनाया गया है, लेकिन झोपड़ीनुमा स्कूल अब जर्जर हो चुका है. Ground report from Naxal affected Kanker झोपड़ी की लकड़ियों में दीमक लगा हुआ है. 20 साल बाद भी एक पक्का स्कूल भवन नहीं बनाया गया है. नक्सली घटना के बाद एक पोटाकेबिन बालक छात्रवास बनाया गया है. छात्रावास के बच्चे भी इसी झोपड़ीनुमा स्कूल भवन में पढ़ाई करते हैं.

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कई बार पक्के स्कूल की मांग कर चुके ग्रामीण: एक अन्य ग्रामीण रामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि "किसकोड़ो में आश्रम 1990 से संचालित हो रहा है. पहले कच्चा मकान था. आश्रम के बच्चों के लिए ही पक्का स्कूल बनाया गया था, जिसे नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दियाा." ग्रामीण बताते हैं "आश्रम के 50 बच्चे और 20 गांव के प्रायमरी स्कूल के बच्चे इस झोपड़ीनुमा स्कूल में पढ़ाई करते हैं. ग्रामीणों ने कई बार पक्के स्कूल की मांग की, लेकिन अब तक स्कूल भवन नहीं बनाया गया है. बरसात में पढ़ाई करने में बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है."

कलेक्टर ने स्कूल भवन निर्माण का दिया भरोसा: कांकेर कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने कहा कि Education system in Bastar of Chhattisgarh "किसी भी समाज का उत्थान शिक्षा पर निर्भर रहता है. बच्चे अगर पढ़ने लगे, तो वहां का विकास संभव है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उनको जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, शिक्षक चाहिए, भवन चाहिए, वह हमें दें. उस जगह जो भी जरूरत है, वह उपलब्ध कराया जाएगा. स्कूल भवन के अगर निर्माण कार्य रुके हुए हैं, तो उसे पूरा किया जाएगा."

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