रायपुर: पिछले 15 सालों से इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में भारत सरकार की परियोजना के तहत ऐसे चावल की किस्म पर रिसर्च किया जा रहा है, जिसमें जिंक, आयरन और प्रोटीन की मात्रा भरपूर हो. इसी कड़ी में इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन, छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2, जिंकोराइस एमएस और प्रोटाजीन चावल के बीज तैयार किए गए हैं. चावल की इन किस्मों में प्रोटीन, जिंक और आयरन की भरपूर मात्रा मौजूद है. आज इन चावलों की डिमांड सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ रही है. इन सभी प्रकार के चावलों में कई तरह के गुण पाए जाते हैं.
जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल के फायदे
- छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 के चावल का दाना लंबा और मोटा होता है. यह पोहा बनाने के लिए काफी उत्तम है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 की फसल 110 दिनों में तैयार हो जाती है.
- जिंक राइस के उत्पादन की क्षमता प्रति हेक्टेयर करीब 5 टन है.
- छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1 में जिंक की भरपूर मात्रा है. इस चावल के सेवन से व्यक्ति के शरीर में जिंक की कमी नहीं होती.
- छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस 130 में होने वाली वैरायटी है. छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 और जिंको राइस एमएस के दाने मध्यम और मोटे होते हैं. यह वैरायटी भी फाइंड ग्रीन की वैरायटी है जिसमें जिंक की मात्रा भरपूर होती है.
- इन बीजों की खेती खरीफ और रबी दोनों समय की जा सकती है.
- जिंक राइस चावल और प्रोटोजीन/प्रोटाजीन चावल, आम चावलों की तरह ही दिखते हैं और इनकी खेती भी आम चावलों की ही तरह होती है.
- प्रोटाजीन चावल में आम चावल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा प्रोटीन होता है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ जिंक राइस 1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2 , जिंक राइस 2 एवं जिंकोराइस एमएस की फसल को अलग-अलग प्रदेशों में लगाया गया है. इसके लिए भारत सरकार ने SAARC के साथ एक एमओयू साइन भी किया है. छत्तीसगढ़ की इन वैरायटी में नार्मल चावल के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा जिंक पाया जाता है. इसके साथ ही प्रोटाजीन चावल में प्रोटीन की मात्रा नॉर्मल चावल के मुकाबले 2 गुना ज्यादा है. इंटरनेशनल रिसर्च राइस इंस्टीट्यूट फिलीपींस में जब प्रचार-प्रसार के माध्यम से नेपाल तक इस चावल के खासियत की खबर पहुंची तो वहां के किसानों ने इन चावलों के बीजों से फसल उगाने काफी दिलचस्पी दिखाई.'
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नेपाल में पहले चावल का किया जाएगा टेस्ट फिर भेजे जाएंगे चावल : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गिरीश चंदेल ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ जिंक राइस1, एस वन छत्तीसगढ़ जिंक राइस 2, जिंक राइस एमएस और प्रोटोजीन चावल का ट्रायल पहले नेपाल में किया जाएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि नेपाल, बांग्लादेश सहित भारत के आसपास देशों की जलवायु लगभग भारत की तरह ही है. और तो और इनकी सॉइल टाइप, एयर टाइप कंडीशन भारत जैसे ही रहती है. हम यह देखना चाहते हैं कि इनमें से किस वैरायटी की उपज नेपाल में और अच्छी होगी. इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा की नेपाल में अगर इसकी खेती की जाती है तो वहां जिंक की मात्रा ज्यादा या कम तो नहीं होती. इसकी जांच होने के बाद हमारी 1-2 वैरायटी को वहां पर रिलीज कर लार्ज स्केल पर इसकी खेती की जाएगी.'