नई दिल्ली : राज्यसभा ने मंगलवार को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष बढ़ाने और पांच वर्ष की अवधि तक उसे विस्तार दिये जाने का प्रावधान है. अभी तक सीबीआई निदेशक के कार्यकाल की सीमा दो वर्ष थी.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश भ्रष्टाचार, काले धन और अंतरराष्ट्रीय अपराध के तिहरे खतरे का सामना कर रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीपी वत्स ने कहा, निर्देशक का कार्यकाल 7 साल से 10 साल का रहा है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में भी वरिष्ठ अधिकारियों का औसत कार्यकाल 5-10 साल रहा है. जहां तक भारत का सवाल है, प्रधानमंत्री की शून्य सहिष्णुता नीति एक कदम आगे है.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस बिल का महत्व पार्टी लाइनों से परे है. उन्होंने कहा कि इतिहास उन लोगों को माफ नहीं कर सकता है जिन्होंने बिल पर चर्चा करने से खुद को दूर रखा. उन्होंने कहा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उनकी सरकार ने तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा दायर सभी मामलों के लिए सीबीआई का सहयोग किया था. सिंह कहते हैं कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल कम है.
राज्यसभा में 'दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक, 2021' पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे देश की सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी को देखते हुए यह विधेयक अत्यंत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि सीबीआई की इतनी विश्वसनीयता है कि बड़े मामलों की जांच इस एजेंसी को देने की मांग की जाती है.
सिंह ने कहा यह धारणा न जाने कहां से फैल गई कि सीबीआई प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. ऐसा नहीं है. सीबीआई प्रमुख का कार्यकाल सीमित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई, सीवीसी जैसी संस्थाओं को उच्च गरिमा के स्थान पर रखा है और इन संस्थाओं का स्वतंत्र रूप से कामकाज सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा कि अभी तक कानून में कार्यकाल के संबंध में केवल न्यूनतम सीमा तय थी और कार्यकाल को लेकर कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई थी, हमने इसकी सीमा पांच वर्ष तय कर दी है. हर साल कार्यकाल बढ़ाने के समय पूरे कारण बताए जाएंगे. यह मनमाने तरीके से नहीं होगा.
सिंह ने कहा कि ऐसे भी उदाहरण हैं कि किसी मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है और वह जांच बहुत लंबे समय तक चली है. कई देशों में जांच एजेंसी के प्रमुख का कार्यकाल तय है और कहीं नहीं भी है. उन्होंने कहा हमारे देश में जब हम जांच एजेंसी के प्रमुख का कार्यकाल तय कर रहे हैं तो इसके बारे में भ्रामक बातें फैलाई जा रही हैं.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी देश की ऐसी एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के कार्यकाल की सीमा दो वर्ष नहीं है. सिंह ने कहा कि सीबीआई, ईडी के निदेशकों का चयन शीर्ष स्तर की समिति करती है, ऐसे में अगर ऐसी समिति की बुद्धिमता पर भरोसा नहीं होगा, तब कौन फैसला करेगा.
उन्होंने कहा वर्तमान सरकार के सात साल पूरे हो गए हैं लेकिन एक भी मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है.
सिंह ने कहा नयी प्रौद्योगिकियों और समय के साथ साथ अपराध के तरीके, उसकी प्रकृति में भी बदलाव आया है. इसे देखते हुए हर स्तर पर पूरी तैयारी रखनी चाहिए.
मंत्री के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. लोकसभा में यह विधेयक नौ दिसंबर को पारित हो चुका है.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक के प्रस्तावों में कहा गया है कि ''इसके तहत दिल्ली पुलिस विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम 1946 में लोकहित में इसकी धारा 4 की उपधारा 1 के अधीन समिति की सिफारिश के आधार पर एक बार में एक वर्ष की अवधि के लिये विस्तार किया जायेगा लेकिन पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा.'' सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है.
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बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई को सौंपे गए 500 से ज्यादा मामले 20 साल से अधिक समय से लंबित हैं वहीं करीब 2900 मामले पांच-दस साल से लंबित हैं. उन्होंने कहा कि एजेंसी में कर्मियों की कमी के कारण भी जांच प्रक्रिया प्रभावित होती है. सरकार को इस दिशा में सक्रियता से पहल करनी चाहिए.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता एम थंबीदुरै ने कहा कि पूरे देश में लोगों का सीबीआई पर भरोसा है और इसे कायम रखा जाना चाहिए. वहीं जनता दल (यू) सदस्य रामनाथ ठाकुर ने कई मामलों की जांच में काफी समय लगने पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि 1975 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या हुयी थी और उस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी थी लेकिन 46 साल हो जाने के बाद भी उसकी जांच पूरी नहीं हो सकी.
टीएमसी (एम) सदस्य जी के वासन ने भी विधेयक का समर्थन किया और लंबित मामलों की जल्दी जांच कराए जाने की मांग की. असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने विधेयक को समय की मांग बताया और कहा कि इसके प्रावधानों से एजेंसी को मजबूती मिलेगी.
भाजपा सदस्य बृजलाल ने कहा कि सीबीआई को मिलने वाले मामले जटिल और पुराने होते हैं और एजेंसी ने अब तक बेहतरीन काम किया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामलों में दोषसिद्धि दर 70 प्रतिशत रही है जिसे बहुत अच्छा माना जाता है.
उन्होंने कहा कि कई ऐसे उदाहरण हैं जब व्यापारियों का अपहरण कर उनसे वसूली गयी फिरौती की रकम का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े मामलों की जांच में भी अहम भूमिका निभायी है.
कुछ सदस्यों ने कई मामलों की जांच में काफी देरी होने पर चिंता जतायी और जवाबदेही तय करने की मांग की. विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से वाकआउट किया.
इस विधेयक में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष बढ़ाने और पांच वर्ष की अवधि तक उसे विस्तार दिये जाने का प्रावधान है. अभी तक इनके कार्यकाल की सीमा दो वर्ष थी.
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प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिह ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक, 2021 पेश करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति पर कायम है और उसने अब तक इस दिशा में ऐसे कदम उठाए हैं जिससे उसकी नीति स्पष्ट होती है.
सिंह ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद और धनशोधन सहित विभिन्न समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि अभी तक कानून में कार्यकाल के संबंध में केवल न्यूनतम सीमा तय थी और कार्यकाल को लेकर कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई थी, हमने इसकी सीमा पांच वर्ष तय कर दी है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया भर की मशहूर जांच एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के कार्यकाल की सीमा दो वर्ष नहीं है.
सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है.
चर्चा की शुरूआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के डीपी वत्स ने कहा कि भ्रष्टाचार देश की एक प्रमुख समस्या है और इस विधेयक के प्रावधानों से इस समस्या पर काबू पाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों की प्रमुख जांच एजेंसियों के निदेशकों का औसत कार्यकाल पांच से 10 साल का होता है.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के बारे में कहा था कि यह 'पिंजरे में बंद तोता' है और यह विधेयक उसे मुक्त कराने की दिशा में एक प्रयास है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष अब भी चाहता है कि तोता पिंजरे में ही बंद रहे.