रायपुर: विधानसभा चुनाव के पहले ही छत्तीसगढ़ के प्रमुख राजनीतिक दलों में दल बदलने का दौर शुरू हो गया है. इससे पार्टी के अंदर के वर्तमान विधायक और संभावित उम्मीदवारों की धड़कनें तेज हो गई है. बड़े नेताओं के पार्टी बदलने से उन्हें टिकट कटने का डर सता रहा है. दल बदलू ऐसे नेताओं को राजनीति की भाषा में पैराशूट नेता कहा जाता है. कई बार पैराशूट उम्मीदवार चुनाव का पूरी समीकरण ही बिगाड़ देते हैं. चुनाव में पैराशूट नेताओं की क्या भूमिका रहती है, चुनावी समीकरण कैसा रहता है ये जानने के लिए ETV भारत ने वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे से बात की.
यह है कांग्रेस भाजपा प्रवेश करने वाले चर्चित चेहरे: पहले बात करते हैं कुछ ऐसे चर्चित चेहरे, नेता, कलाकार अधिकारी सहित अन्य बुद्धिजीवियों कि जिन्होंने अपने दल को छोड़कर दूसरे दल में प्रवेश किया है या फिर अचानक बिना राजनीतिक बैकग्राउंड के सीधे राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम आदिवासी और भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय का है. जिन्होंने हाल ही में भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस प्रवेश किया है. भाजपा की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपरस्टार और पद्मश्री अनुज शर्मा, पदमश्री राधे श्याम बारले और रिटायर्ड आईएएस राजपाल सिंह त्यागी, लोक कलाकार कुलेश्वर ताम्रकर ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की हैं. उन्हें हाल ही में भाजपा में प्रवेश कराया गया है.
पैराशूट उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की संभावित सीट: कांग्रेस प्रवेश करने के बाद आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. साय ने कहा कि लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधि बनना जरूरी है. उनकी भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा है.
अपने क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे. कुनकुरी और पत्थलगांव आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. जहां से तय हो जाएगा, वहां से चुनाव लड़ लेंगे.-नंदकुमार साय, कांग्रेस नेता
मिंज और शिवरतन शर्मा का कट सकता है टिकट: ऐसे में अगर साय इस विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं. तो फिर यू डी मिंज का पत्ता कट सकता है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा पद्मश्री अनुज शर्मा को आने वाले विधानसभा चुनाव में भाटापारा सीट से उतार सकती है.वर्तमान में यहां से भाजपा के ही शिवरतन शर्मा विधायक हैं.
यह तो सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के 2 नाम हैं, जिन्हें लेकर पैराशूट उम्मीदवारों के तौर पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. ऐसे 90 विधानसभा में कई और पैराशूट उम्मीदवार है या फिर आने वाले समय में मैदान में देखने को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इन पैराशूट दावेदारों की बढ़ती संख्या ने वर्तमान के टिकट चाहने वाले विधायकों और उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है. हालांकि भाजपा और कांग्रेस के कुछ संभावित उम्मीदवारों से इस विषय को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि टिकट का फैसला पार्टी हाईकमान करेगी और जो उनका निर्णय होगा वह हमारे लिए मान्य होगा.
अनुज शर्मा के भाटापारा से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज: हाल ही में एक रिटायर्ड आईएएस अफसर और फिल्म कलाकार अनुज शर्मा ने भाजपा प्रवेश किया है. अनुज शर्मा के टिकट को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि पिछले चुनाव के दौरान भी अनुज शर्मा को भाटापारा से टिकट दिए जाने की चर्चा जोरों पर थी. जबकि इस दौरान अनुज ने भाजपा प्रवेश नहीं किया था. भाटापाराअनुज शर्मा का कर्म क्षेत्र रहा है. उनका बचपन वहीं पर गुजरा है. यही वजह है कि भाटापारा से उनके टिकट की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. हालांकि यहां से भाजपा के ही शिवरतन शर्मा विधायक है, जो काफी वरिष्ठ विधायक हैं.
भाजपा के आदिवासी वोट बैंक की काट है नंद कुमार साय: नंदकुमार साय के भाजपा से कांग्रेस प्रवेश के बाद से ही सीएम के बगल में देखा गया है. हर कार्यक्रम में नंद कुमार साय सीएम के आसपास नजर आए हैं. यानी कि कांग्रेस में उन्हें महत्व दिया जा रहा है. एक ओर भाजपा आदिवासी वोट बैंक को साधने बस्तर और सरगुजा में जोर लगा रही है वहीं कांग्रेस ने भी इसके काट के रूप में नंदकुमार साय को स्वागत किया है.
लोकसभा चुनाव 2004 में पहली बार उतरा था पैराशूट उम्मीदवार: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पैराशूट उम्मीदवार का उदय साल 2004 में हुआ था. जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल को भाजपा प्रवेश कराकर महासमुंद लोकसभा चुनाव लड़ाया. जिसके जवाब में कांग्रेस में अजीत जोगी को उतारा. क्योंकि विद्याचरण शुक्ल पैराशूट उम्मीदवार थे, इसलिए भाजपा के लोग उन्हें अंदर से स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, जिसका नतीजा यह हुआ है कि विद्याचरण शुक्ल अजीत जोगी से हार गए.
2018 में पैराशूट उम्मीदवार को करना पड़ा था हार का सामना: साल 2018 में तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ने कलेक्ट्री छोड़ भाजपा प्रवेश किया था. भाजपा ने ओपी चौधरी को खरसिया विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा. वहां से कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल को उम्मीदवार बनाया. यहां ओपी चौधरी एक पैराशूट उम्मीदवार के तौर पर भाजपा की ओर से उतारे गए थे. यही वजह थी कि वहां पर भी भाजपा में मिलीजुली प्रतिक्रिया थी, कुछ लोग ओपी चौधरी के साथ दिखे तो कुछ ने उनसे दूरी बनाई. इसका नतीजा यह हुआ कि ओपी चौधरी को खरसिया विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और उमेश पटेल ने जीत हासिल की.
आज कांग्रेस के 71 विधायक हैं. मुझे नहीं लगता कि सबको टिकट मिले. लगभग 15 से 20 टिकटें कटेगी. भाजपा एक प्रयोगवादी पार्टी रही है. विधानसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सारे चेहरे बदल दिए और वह फॉर्मूला उनका कामयाब रहा. 11 में से 9 लोकसभा सीट जीत कर आई. अनिश्चितता की स्थिति भारतीय जनता पार्टी में ज्यादा है. - वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे
15 से 20 कांग्रेस नेताओं का कट सकता है टिकट: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात के लिए लोगों के बीच पहुंचे. इस दौरान उन्होंने हर विधानसभा में विधायकों का काम नजदीक से देखा. उसके बाद उनका एक बयान भी आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि जो काबिल लोग हैं, जिन्होंने मेहनत किया है उनकी टिकट क्यों कटेगी, लेकिन जहां शिकायत होगी और गड्ढा होगा, वहां विचार किया जाएगा. यानी भूपेश बघेल ने साफ साफ इशारा कर दिया था कि परफॉरेमेंस के आधार पर ही विधानसभा चुनाव का टिकट मिलेगा. अब देखने वाली बात होगी कि किसको टिकट मिलता है और किसका टिकट कटता हैं.