रायपुर: जीएसटी की क्षतिपूर्ति को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान बंद किया जाना, बड़ा आर्थिक नुकसान है. उत्पादक राज्य होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था के विकास में हमारा योगदान उन राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, जो वस्तुओं व सेवाओं के अधिक उपभोग के कारण जीएसटी कर प्रणाली में लाभान्वित हुए हैं.
5000 करोड़ राजस्व हानि की संभावना: भूपेश बघेल ने कहा है कि यदि जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान जून 2022 के पश्चात नहीं दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ को आगामी वर्ष में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की हानि की संभावना है. कई अन्य राज्यों को भी आगामी वर्ष में राजस्व में कमी का सामना करना होगा. जिससे राज्य में चल रहे जनहित और विकास के कार्यों में राशि की कमी की व्यवस्था करना मुश्किल होगा.
केंद्र सरकार से सकारात्मक निर्णय की अपेक्षा: मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों के साथ दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित केंद्रीय बजट 2022-23 के पूर्व की चर्चा बैठक का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों ने इस बैठक में जीएसटी अनुदान को बढ़ाए जाने का अनुरोध किया था. राज्यों को इस संबंध में केंद्र सरकार से सकारात्मक निर्णय की अपेक्षा है.
दस साल तक क्षतिपूर्ति राशि का आग्रह: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जीएसटी कर प्रणाली लागू होने के बाद राज्यों के पास करारोपण के अधिकार बहुत सीमित हो गए हैं. वाणिज्य कर के अतिरिक्त अन्य कर राजस्व में राजस्व संबंधी बहुत संभावनाएं नहीं हैं. राजस्व के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन कोविड-19 के कारण राज्यों की अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभावों से उबरने और जीएसटी कर प्रणाली के वास्तविक लाभ मिलने तक कम से कम वर्तमान क्षतिपूर्ति अनुदान व्यवस्था को 10 साल तक जारी रखा जाना चाहिए.
वैकल्पिक स्थाई व्यवस्था की अपील: मुख्यमंत्री ने उत्पादक राज्यों को राजस्व की भरपाई की कोई वैकल्पिक स्थाई व्यवस्था केंद्र सरकार की ओर से करने की भी अपील की है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री राज्यों की इस चिंता से सहमत होंगे और सहकारी संघवाद की भावना के मुताबिक इस महत्वपूर्ण विषय पर राज्यों के हित में विचार कर इसका समाधान करेंगे.
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एएनआई