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हेमंत सोरेन ने पांच साल पहले आज ही के दिन सीएम पद से दिया था इस्तीफा - झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला

झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन ने पांच साल पहले आज के ही दिन झारखंड विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. हेमंत सोरेन ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार 13 जुलाई, 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. वह इस पद पर 23 दिसंबर, 2014 तक बने रहे और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर वह 28 दिसंबर, 2014 तक पद पर बने रहे.

हेमंत सोरेन ( फाइल फोटो)
हेमंत सोरेन ( फाइल फोटो)
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Published : Dec 24, 2019, 12:09 AM IST

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन ने पांच साल पहले आज के ही दिन चुनाव में मिली हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

ठीक पांच वर्ष बाद भाजपा जहां गठबंधन विहीन चुनाव के मोर्चे पर उतरी और बुरी तरह हारी वहीं झामुमो के नेता सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत हासिल किया.

अब झारखंड बनने के 19 वर्ष बाद पहली बार झामुमो भी चुनाव पूर्व के अपने सहयोगियों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है.

हेमंत सोरेन ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार 13 जुलाई, 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. वह इस पद पर 23 दिसंबर, 2014 तक बने रहे और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर वह 28 दिसंबर, 2014 तक पद पर बने रहे.

दस अगस्त 1975 को जन्मे सोरेन पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के पुत्र हैं.

शिबू सोरेन ने राज्य की कमान तीन बार संभाली, लेकिन एक बार भी वह सरकार चला नहीं सके.

हेमंत ने यहां बीआईटी में इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था, लेकिन वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके.

पढ़ें- झारखंड में जेएमएम+ बहुमत की ओर, रघुबर दास ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा

वह 24 जून, 2009 से चार जनवरी, 2010 तक झारखंड से राज्यसभा के सदस्य रहे.

सितंबर, 2010 में गठित हुई अर्जुन मुंडा की सरकार में हेमंत ने उपमुख्यमंत्री का पद संभाला. उपमुख्यमंत्री के साथ ही उन्होंने वित्त मंत्रालय भी संभाला.

विपक्ष के नेता के तौर पर हेमंत सोरेन दिसंबर 2014 से अब तक जन मुद्दों की बात करते रहे और उन्होंने विशेषकर आदिवासियों की जमीन, जंगल की बात की और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की राज्य सरकार की कोशिशों का जमकर विरोध किया जिससे उन्हें गरीबों और आदिवासियों का भरपूर समर्थन मिला.

हेमंत ने अकेले चुनाव लड़कर 2014 में अपनी झामुमो को 19 सीट दिलाई, जबकि इससे पूर्व 2009 के चुनाव में उनके पिता के नेतृत्व में झामुमो ने सिर्फ 18 सीटें जीती थीं. इससे उनके नेतृत्व को लेकर पार्टी में चल रहा विरोध हमेशा के लिए दब गया.

इस बार हेमंत ने जिस प्रकार 2014 की भूल को सुधारते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन तैयार किया और उसी समय राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राज्य में बड़ी पार्टी होते हुए कांग्रेस को अधिक सीटें लड़ने को दीं.

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन ने पांच साल पहले आज के ही दिन चुनाव में मिली हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

ठीक पांच वर्ष बाद भाजपा जहां गठबंधन विहीन चुनाव के मोर्चे पर उतरी और बुरी तरह हारी वहीं झामुमो के नेता सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत हासिल किया.

अब झारखंड बनने के 19 वर्ष बाद पहली बार झामुमो भी चुनाव पूर्व के अपने सहयोगियों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है.

हेमंत सोरेन ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार 13 जुलाई, 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. वह इस पद पर 23 दिसंबर, 2014 तक बने रहे और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर वह 28 दिसंबर, 2014 तक पद पर बने रहे.

दस अगस्त 1975 को जन्मे सोरेन पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के पुत्र हैं.

शिबू सोरेन ने राज्य की कमान तीन बार संभाली, लेकिन एक बार भी वह सरकार चला नहीं सके.

हेमंत ने यहां बीआईटी में इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था, लेकिन वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके.

पढ़ें- झारखंड में जेएमएम+ बहुमत की ओर, रघुबर दास ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा

वह 24 जून, 2009 से चार जनवरी, 2010 तक झारखंड से राज्यसभा के सदस्य रहे.

सितंबर, 2010 में गठित हुई अर्जुन मुंडा की सरकार में हेमंत ने उपमुख्यमंत्री का पद संभाला. उपमुख्यमंत्री के साथ ही उन्होंने वित्त मंत्रालय भी संभाला.

विपक्ष के नेता के तौर पर हेमंत सोरेन दिसंबर 2014 से अब तक जन मुद्दों की बात करते रहे और उन्होंने विशेषकर आदिवासियों की जमीन, जंगल की बात की और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की राज्य सरकार की कोशिशों का जमकर विरोध किया जिससे उन्हें गरीबों और आदिवासियों का भरपूर समर्थन मिला.

हेमंत ने अकेले चुनाव लड़कर 2014 में अपनी झामुमो को 19 सीट दिलाई, जबकि इससे पूर्व 2009 के चुनाव में उनके पिता के नेतृत्व में झामुमो ने सिर्फ 18 सीटें जीती थीं. इससे उनके नेतृत्व को लेकर पार्टी में चल रहा विरोध हमेशा के लिए दब गया.

इस बार हेमंत ने जिस प्रकार 2014 की भूल को सुधारते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन तैयार किया और उसी समय राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राज्य में बड़ी पार्टी होते हुए कांग्रेस को अधिक सीटें लड़ने को दीं.

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.RANCHI CAL63
HEMANT SOREN-PROFILE
Hemant Soren set to return as Jharkhand CM
         Ranchi, Dec 23 (PTI) JMM leader Hemant Soren, the son
of Jharkhand architect Shibu Soren, is set to take up the
reins of the state for a second term as the opposition
coalition comprising the party, Congress and RJD is surging
ahead of the BJP in the 81-member seats in the Assembly.
         His first stint as chief minister of the tribal state
had lasted for just about 14 months since July 15 2013.
         But this time, he with support from his allies - the
Congress and the RJD have stopped the seemingly invincible
BJP.
         Hemant Soren had been the face of the opposition
alliance in the state.
         He was norn to Shibu Soren, known as 'Guruji' to his
innumerable followers, and his wife Roopi on August 10, 1975
at Nemra village in Ramgarh district of Jharkhand.
         The senior Soren, known as 'Guruji' to his followers
and had served as chief minister thrice, had been grooming his
elder son Durga Soren but fate had deemed otherwise.
         Durga Soren died of suspected kidney failure and Shibu
Soren was convicted in the Chirrudih massacre case. The
situation turned the focus on Hemant Soren who was then
entrusted with the responsibility of running JMM.
         It was only after Guruji quit the Manmohan Singh
cabinet owing to his court conviction, Hemant Soren emerged as
heir apparent of the 'Soren clan' and won the Dumka Assembly
seat in 2009.
         He went on to become a Rajya Sabha Member in 2009-
2010, before becoming Jharkhand's youngest chief minister in
2013 with the support of the Congress and the RJD.
         His rule was, however, short-lived as BJP seized power
in 2014 in the politically unstable state and Raghubar Das
took over.
         In 2014, Hemant Soren won a seat in the Jharkhand
assembly and became the leader of the opposition.
         During his political ascendency he was able to
sideline JMM's senior leaders like Stephen Marandi, Simon
Marandi and Hemlal Murmu, prompting them to quit the party.
         While Murmu and Simon Marandi joined the BJP, Stephen
Marandi floated a party along with the first BJP chief
minister of the state, Babulal Marandi.
         Stephen Marandi had later returned to JMM, accepting
Hemant Soren as the party's leader.
         Cornered in the last five years with the saffron
party accusing him and his family of violating the
Chhotanagpur Tenancy Act and Santhal Pargana Tenancy Act,
Hemant Soren took time but patiently overcame the storm and
formed the pre-poll alliance with old friends - the Congress
and RJD.
         He also managed to get the lion's share of 43 seats,
giving 31 to Congress and seven to the RJD in the pre-poll
seat pact, even as the Lalu Prasad-led party was left
frowning.
         Hemant Soren, who has two sons from his marriage with
Kalpana, came under severe criticism from the BJP which
accused him of "pariwarvad" for giving a JMM ticket to his
sister, Anjali, from Odisha's Mayurbhanj seat in the Lok Sabha
polls earlier this year. PTI PVR RMS
KK
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