जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर जिले से करीब बीस किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच बसा तामुलिया पंचायत का तामुलिया गांव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इस गांव का 28 वर्षीय युवक अमित गोराई ने अपने घर के रखे कबाड़ के माध्यम से एक छोटा हवाई जहाज बनाया है. करीब पांच फीट लंबा यह हवाई जहाज 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ता है.
एक किलोमीटर रेडियस में उड़ाया जा सकता है
अमित ने बताया कि इस हवाई जहाज को एक किलोमीटर रेडियस में उड़ाया जा सकता है. पुरी तरह जुगाड़ टेक्नोलॉजी से बना यह जहाज लैंडिंग के समय अगर कुछ बिगड़ भी जाए तो अमित इसे तुरंत ठीक कर सकता है. अमित का दावा है कि अगर इस जहाज में सीसीटीवी लगा दिया जाए तो इससे पुरे जिले की निगरानी की जा सकती है. उन्होंने बताया कि किसान इस हवाई जहाज का उपयोग दवा का छिड़काव में भी कर सकते हैं. इसे बनाने में खर्च न के बराबर लगता है, हालांकि अमित ने इस जहाज की स्पीड अभी कम रखी है.
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मैट्रिक के बाद नहीं कर पाया पढ़ाई
अमित अपने माता-पिता का एकलौता संतान है. पिता की मौत के बाद अमित मैट्रिक के बाद पढ़ाई नहीं कर पाया, क्योंकि घर की जिम्मेदारी संभालनी थी. अमित की मां ने बताया कि वह अपने दोस्तों की मदद से गाड़ी चलाना सीखा और फिलहाल वह अधिकारियों की कार चलाता है. लाॅकडाउन में काम नहीं रहने के कारण वह घर में बैठकर जुगाड़ू टेक्निक के सहारे हवाई जहाज बना डाली. इसमें अमित ने ब्रसलेस मोटर, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोलर जैसे उपकरण का इस्तेमाल कर इसे बनाया है.
अमित की मां इस बात से काफी खुश है उसे आशा है कि अगर अमित को कोई मदद मिलेगी तो वह इस कार्य को बड़े स्तर पर कर सकता है. क्योंकि उसके मां के अनुसार अमित में बचपन से प्रतिभा छिपी है. अमित की मां को इस बात का दुख है कि वह अपने बेटे को नहीं पढ़ा पाई नहीं तो आज अमित एक सफल इंजीनियर होता.
गांव वाले भी करते हैं प्रशंसा
अमित के इस कारनामे से उसके पंचायत के लोग काफी खुश हैं. अमित जब भी अपने हवाई जहाज का टेस्ट करने के लिए मैदान की ओर जाता है तो उसके अगल-बगल वाले भी पीछे-पीछे उसके साथ आ जाते हैं और उसके कारनामे को देखते हैं. यही नहीं उस वक्त लोग अमित की मदद भी करते हैं.
वहीं, पंचायत के वार्ड पार्षद भी अमित के इस कारनामे से काफी खुश हैं. उनका मानना है कि अमित के इस कार्य के कारण उनके पंचायत का क्षेत्र का नाम बढ़ा है. वे इसको लेकर जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों के पास जाएंगे ताकि प्रशासन इसके कार्यों को देखे और इसके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक रूप से मदद करें.
बहरहाल, मैट्रिक पास अमित का किया गया यह कार्य निश्चय ही सराहनीय है. अगर अमित को आर्थिक रूप से मदद मिल जाए तो वह इस प्रोजेक्ट को और बड़े स्तर पर कर सकता है. अब देखना है कि जिला प्रशासन अमित के कार्यों को किस प्रकार देखती है.
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