प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद से अजान पर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है. अजान इस्लाम का धार्मिक भाग है. मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है.
कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के शैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.
मालूम हो कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश व्यापीलाक डाउन के कारण सभी प्रकार के आयोजनों एवं एक स्थान पर इकट्ठा होने पर प्रदेश में रोक लगाई गई है. लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक है.
याचिकाकर्ता ने लाउडस्पीकर से मस्जिद से रमजान माह में अजान की अनुमति न देने को धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने की मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की मांग की. मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर ली और सरकार से पक्ष रखने को कहा. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.
शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है. इसलिए स्पीकर से अजान पर रोक सही है. कोर्ट ने कहा कि जब स्पीकर नहीं था, तो भी अजान होती थी, इसलिए यह नहीं कह सकते कि स्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है.
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देती है. वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती है. एक निश्चित ध्वनि से अधिक तेज आवाज बिना अनुमति बजाने की छूट नहीं है. रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक स्पीकर की आवाज पर रोक का कानून है.