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बुजुर्गों की ऐसी मानवता की देहदान का लिया संकल्प, लोगों को भी कर रहे जागरूक

मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है. लेकिन राजधानी रायपुर के कुछ बुजुर्गों ने मौत के बाद भी अपने शरीर को जीवंत करने के साथ ही मानवता के लिए देहदान का निर्णय लिया है.elderly took resolution of body donation in raipur उनके इस महादान से न केवल मेडिकल के स्टूडेंट्स को रिसर्च करने में मदद मिलेगी. बल्कि उन लोगों की भी मदद की जा सकती है.badhte kadam organization जिन्हें इन बुजुर्गों के अंगों की आवश्यकता होगी.

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बुजुर्गों ने देहदान का लिया संकल्प
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Published : Jan 7, 2023, 10:20 PM IST

बुजुर्गों का महादान

रायपुर: हम बात कर रहे हैं संस्था बढ़ते कदम की ओर से संचालित आनंद आश्रम की, जहां के 12 बुजुर्गों ने मृत्युपरांत शरीर को दान करने का निर्णय लिया है.elderly took resolution of body donation in raipur आनंद आश्रम में कुल 35 बुजुर्ग निवासरत हैं. जिनमें 22 महिलाएं हैं. यहां महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड समेत अनेक राज्यों के बुजुर्गों को आश्रय दिया गया है. इनमें से 12 बुजुर्गों ने मानवता का संदेश देते हुए अपने देहदान का निर्णय लिया है. इन बुजुर्गों के इस फैसले की सराहना काफी ज्यादा हो रही है.badhte kadam organization ऐसे में ईटीवी भारत इन बुजुर्गो के पास पहुंचा और जानने की कोशिश की, आखिर देहदान का उन्होंने निर्णय क्यों लिया.

क्या कहते हैं दान दाता: नरेंद्र कौर कहती हैं कि "रायपुर की रहने वाली हूं. पिछले 2 साल से यहां रह रही हूं. इससे पहले 10 साल से संजीवनी में रह रही थी.elderly took resolution of body donation in raipur हम यह चाहते हैं कि हमारे देश के जो बच्चे हैं. जिन्हें डॉक्टर की पढ़ाई करनी है.badhte kadam organization उन बच्चों के लिए हमारे अंग काम आ सकें. देश में यह कार्य सभी करें, जिससे लोग जागरूक हो और प्रेरणा मिले कि देश के लिए हमें भी कुछ करना चाहिए.

"हमारा शरीर किसी के काम तो आए": नानक राम नामदेव कहते हैं कि "हमारे पास समाजिक संगठन के कुछ लोग आए थे. उन्होंने हमसे पूछा कि आप हमें कुछ दे सकते हैं क्या. elderly took resolution of body donation in raipur जिसके बाद हमने कहा कि बिल्कुल जो चाहिए ले सकते हैं.badhte kadam organization उन्होंने हमें देहदान के बारे में बताया. जिस पर हमने हामी भर दी. कम से हमारा शरीर किसी के काम तो आएं. क्योंकि बहुत से लोगों को शरीर के कुछ अंगों की जरूरत होती है. ऐसे में हमारी वजह से किसी की मदद हो जाए. इससे बेहतर और क्या हो सकता है."


"हम चाहते हैं कि हमें देखकर लोग भी आगे आएं": आशा प्रचन्डे कहती हैं कि "हमने इसकी शुरूआत की. हम चाहते हैं कि कम से कम हमें देखकर लोग भी आगे आएं.elderly took resolution of body donation in raipur क्योंकि अस्पतालों में बहुत से बच्चों को शरीर की जरूरत होती है.badhte kadam organization यदि उन्हें हमारे शरीर से कुछ फायदा हो जाए. इसलिए हमने भी देहदान का निर्णय लिया है."

यह भी पढ़ें: अमित शाह छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए लकी: सुशील आनंद शुक्ला

कब से हो रहा देह दान: संस्था के सुनील बताते हैं कि "हमारे संस्था का गठन 2005 में हुआ. हमारे संस्थापक की माता की मौत के बाद उनका देहदान किया गया था.elderly took resolution of body donation in raipur उसके बाद से अब तक 169 लोग देहदान कर चुके हैं. हमारे पास 300 वेटिंग फार्म है.badhte kadam organization हम लोगों को अवेयर करते हैं. उनसे फार्म भराते हैं. जहां भी रिक्वायरमेंट आती है. हम बॉडी वहां भेज देते हैं. देहदान को हम लोगों ने 2007 से शुरू किया है. हमारे संस्था में 35 लोग हैं. जिसमें से 12 लोगों ने देहदान की स्वीकृति दी है."

बुजुर्गों का महादान

रायपुर: हम बात कर रहे हैं संस्था बढ़ते कदम की ओर से संचालित आनंद आश्रम की, जहां के 12 बुजुर्गों ने मृत्युपरांत शरीर को दान करने का निर्णय लिया है.elderly took resolution of body donation in raipur आनंद आश्रम में कुल 35 बुजुर्ग निवासरत हैं. जिनमें 22 महिलाएं हैं. यहां महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड समेत अनेक राज्यों के बुजुर्गों को आश्रय दिया गया है. इनमें से 12 बुजुर्गों ने मानवता का संदेश देते हुए अपने देहदान का निर्णय लिया है. इन बुजुर्गों के इस फैसले की सराहना काफी ज्यादा हो रही है.badhte kadam organization ऐसे में ईटीवी भारत इन बुजुर्गो के पास पहुंचा और जानने की कोशिश की, आखिर देहदान का उन्होंने निर्णय क्यों लिया.

क्या कहते हैं दान दाता: नरेंद्र कौर कहती हैं कि "रायपुर की रहने वाली हूं. पिछले 2 साल से यहां रह रही हूं. इससे पहले 10 साल से संजीवनी में रह रही थी.elderly took resolution of body donation in raipur हम यह चाहते हैं कि हमारे देश के जो बच्चे हैं. जिन्हें डॉक्टर की पढ़ाई करनी है.badhte kadam organization उन बच्चों के लिए हमारे अंग काम आ सकें. देश में यह कार्य सभी करें, जिससे लोग जागरूक हो और प्रेरणा मिले कि देश के लिए हमें भी कुछ करना चाहिए.

"हमारा शरीर किसी के काम तो आए": नानक राम नामदेव कहते हैं कि "हमारे पास समाजिक संगठन के कुछ लोग आए थे. उन्होंने हमसे पूछा कि आप हमें कुछ दे सकते हैं क्या. elderly took resolution of body donation in raipur जिसके बाद हमने कहा कि बिल्कुल जो चाहिए ले सकते हैं.badhte kadam organization उन्होंने हमें देहदान के बारे में बताया. जिस पर हमने हामी भर दी. कम से हमारा शरीर किसी के काम तो आएं. क्योंकि बहुत से लोगों को शरीर के कुछ अंगों की जरूरत होती है. ऐसे में हमारी वजह से किसी की मदद हो जाए. इससे बेहतर और क्या हो सकता है."


"हम चाहते हैं कि हमें देखकर लोग भी आगे आएं": आशा प्रचन्डे कहती हैं कि "हमने इसकी शुरूआत की. हम चाहते हैं कि कम से कम हमें देखकर लोग भी आगे आएं.elderly took resolution of body donation in raipur क्योंकि अस्पतालों में बहुत से बच्चों को शरीर की जरूरत होती है.badhte kadam organization यदि उन्हें हमारे शरीर से कुछ फायदा हो जाए. इसलिए हमने भी देहदान का निर्णय लिया है."

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कब से हो रहा देह दान: संस्था के सुनील बताते हैं कि "हमारे संस्था का गठन 2005 में हुआ. हमारे संस्थापक की माता की मौत के बाद उनका देहदान किया गया था.elderly took resolution of body donation in raipur उसके बाद से अब तक 169 लोग देहदान कर चुके हैं. हमारे पास 300 वेटिंग फार्म है.badhte kadam organization हम लोगों को अवेयर करते हैं. उनसे फार्म भराते हैं. जहां भी रिक्वायरमेंट आती है. हम बॉडी वहां भेज देते हैं. देहदान को हम लोगों ने 2007 से शुरू किया है. हमारे संस्था में 35 लोग हैं. जिसमें से 12 लोगों ने देहदान की स्वीकृति दी है."

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