बेतिया: जिले के डमरापुर गांव में दर्जनों युवा पहलवानी सीख रहे हैं. कुश्ती के दांव-पेंच सीखने के लिए सुबह चार बजे पहलवान अखाड़े में पहुंच जाते हैं. 6 दशकों पहले गांव के गोरख यादव, जो कुश्ती में मास्टर हैं. वो युवाओं को बेहतीन गुर सिखा रहे हैं.
बारीकी से दांव-पेंच सीखाने के लिए गोरख यादव युवाओं के साथ दो-दो हाथ करते नजर आते हैं. वो ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि युवा पहलवान मनोवैज्ञानिक रूप से कुश्ती का दांव-पेंच सीख जाएं.
मिले सही मार्गदर्शन, तो रच देंगे इतिहास
डमरापुर निवासी गोरख ठाकुर ने बताया कि अगर इनको सही दिशा-निर्देश मिलें, तो ये युवा पहलवान जिला से लेकर अंतराष्ट्रीय मंच पर भी अपना पराक्रम दिखाने के लिए तैयार हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी युवा हैं और पहलवानी करना इनको भा रहा हैं. अगर इनको अच्छा दिशा-निर्देश और एक अच्छा कोच मिल जाए, तो ये बहुत आगे तक खेल सकते हैं. बेहतर दिशा-निर्देश नहीं मिलने से इनके अंदर छुपी प्रतिभा कुंठित हो रही हैं.
क्या कहते हैं युवा पहलवान?
कुश्ती का प्रशिक्षण ले रहे हैं युवा विशाल कुमार ठाकुर, राजा यादव, अमताब यादव, प्रदीप यादव, मुन्ना यादव और मनोज यादव ने बताया कि उनकीं पहचान कुश्ती है. वे लोग एक सफल और कुशल कोच के तलाश में हैं, जो इन्हें मैट पर कुश्ती खेलने का तौर तरीके और नियमों के बारें में बता सकें. उन लोगों ने बताया कि वे लोग राज्य और देश के लिए मैट पर कुश्ती खेलने के लिए उतरना चाहतें हैं.