बगहा: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बगहा के आदिवासियों ने मणिपुर हिंसा को लेकर विरोध जताया और इस दिवस को शोक दिवस के रूप में मनाया. आदिवासियों ने बगहा दो प्रखण्ड के सेमरा बाजार से विरोध रैली निकाली और आदिवासी क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों से होते हुए कदमहवा पहुंचे, जहां रैली एक सभा में तब्दील हो गई.
विश्व आदिवासी दिवस पर विरोध प्रदर्शन: एक तरफ देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समुदाय हर्षोल्लास पूर्वक विश्व आदिवासी दिवस मना रहा है. कई तरह के पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, वहीं पश्चिमी चंपारण जिला के बगहा में बसे लाखों आदिवासियों ने इस खुशी के मौके को शोक दिवस के तौर पर मनाया है. इस शोक दिवस की अध्यक्षता उरांव महासंघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश उरांव ने की. सभा के माध्यम से आदिवासी उरांव संघ ने मणिपुर हिंसा पर रोष व्यक्त किया.
"मणिपुर की घटना, एमपी में आदिवासी के साथ दुर्व्यवहार, यूसीसी कानूना, वन अधिनियम 2023 कानून का हम विरोध कर रहे हैं. ये आदिवासियों के हित में नहीं है. हम अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. मूल निवासियों के साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."- राजेश उरांव, नेता आदिवासी उरांव महासभा
आदिवासियों ने जाहिर की नाराजगी: सभा में आदिवासियों ने मणिपुर हिंसा के दोषियों पर अविलंब कार्रवाई को लेकर जोरदार ढंग से मांग की. सभा को संबोधित करते हुए चंपारण आदिवासी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश उरांव ने यूसीसी कानून और देशभर में आदिवासी समुदाय के लोगों पर हो रहे शोषण एवं अत्याचार पर लोगों को एकजुट होने का आह्वान किया. साथ ही साथ अपने अधिकारों को लेकर सरकार के समक्ष एकजुटता प्रदर्शन करने की बात कही. आदिवासी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने वन अधिनियम 2023 का विरोध करते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.
सभा का आयोजन: बता दें कि आदिवासियों को जंगल से दूर रखने पर लोग बेहद आक्रोशित हैं. लिहाजा कहा जा रहा है कि सरकार आदिवासियों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर रही है. जिसे आदिवासी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. यहीं वजह है की आज आदिवासियों ने सेमरा बाजार से रैली निकाली और फिर कदमहवा में एकजुट होकर सभा का आयोजन किया. इसमें हजारों आदिवासी पुरुष व महिला शामिल हुए.