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मिसाल: किसी की ईंट, किसी का बालू, जनसहयोग से बन गया थाना - Construction of police station with donation of 10 lakhs

पूजहा थाने के थानेदार खालिद अख्तर ने पुलिस पब्लिक फ्रेंडली मिसाल कायम की है. थानेदार ने जनसहयोग से थाना बनवा दिया है. लगभग 10 लाख के जन सहयोग से गार्ड रूम, पदाधिकारी आवास, संत्री पोस्ट, चाहरदीवारी, गेट, झंडोत्तोलन चबूतरा जनसहयोग से बनाया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

बेतिया थाना
बेतिया का पूजहा थाना
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Published : Jan 28, 2021, 10:40 AM IST

बेतिया: पुलिस जब पब्लिक फ्रेंडली हो जाए तो इससे दोनों का फायदा है. कुछ ऐसा ही साबित कर दिखाया है श्रीनगर पूजहा थाने के थानेदार ने. दरअसल थानेदार खालिद अख्तर ने जर्जर हो चुके थाने को नया रूप दिया. इसके लिए उन्हें कोई सरकारी फंड नहीं मिला था. थाने की हालत एकदम जर्जर हो चुकी थी. लेकिन इन्होंने लोगों को प्रेरित किया. पुलिस और पब्लिक के बीच की दूरी को कम किया. नतीजा ये हुआ कि जनसहयोग से थाने का कायाकल्प हो गया. साथ ही साथ पुलिस-पब्लिक रिलेशन भी मजबूत हो गया.

यह भी पढ़ें: न हाजत न मालखाना, झोपड़ी में चलता दरभंगा का मोरो थाना

जीर्ण-शीर्ण हालत में चल रहा थाना थाना
पहले ये थाना जीर्ण- शीर्ण हालत में था. झोपड़ी में गार्ड रूम था. पदाधिकारी आवास भी नहीं था. 8 पंचायतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस थाने पर थी. हालाकि सच्चाई ये थी कि इस थाने में तैनात पुलिसवालों के ही सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं थी.

बेतिया
थानेदार, खालिद अख्तर

स्वंतत्रता दिवस पर थानेदार ने की थी स्थानीय लोगों से बात
15 अगस्त 2020 को झंडारोहण के बाद थाना अध्यक्ष ने स्थानीय लोगों से बात की. किसी से बालू मांगा, किसी ने ईंट दी. कोई थाने पर सीमेंट पहुंचा गया. किसी ने आर्थिक मदद देकर इस थाने का जीर्णोद्धार किया. इसतरह 10 लाख रुपए की लागत से कुछ ही महीनों में थाना बनकर तैयार हो गया.

बेतिया
पूजहा थाना पुलिसकर्मी

यह भी पढ़ें: NHAI और भू अर्जन विभाग के खाते से 28 करोड़ की निकासी, पटना पुलिस ने आरा से 2 को दबोचा

''थानेदार ने पहल कदमी की. जिससे इस थाने की सूरत बदल गई. पहले थाना जीर्ण शीर्ण था. फूस का था. सभी लोगों ने चंदा इकट्ठा किया. जनसहयोग से यह थाना बन गया. पुलिस हमारी रक्षा करती है. हम पुलिस की रक्षा के लिए सहयोग किए हैं. और लगभग 10 लाख की सहयोग से थाना बन गया है''- स्थानीय मुखिया

बेतिया
संत्री पोस्ट का निर्माण

पुलिस-पब्लिक के बीच बेहतर तालमेल से हुआ निर्माण
इस मामले में बेतिया एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा ने बताया कि श्रीनगर पूजहा थाना के लिए जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है. बहुत जल्द भवन का निर्माण भी होगा. जो आज थाना चलाया जा रहा है वह गंडक विभाग का भवन है. जिसकी हालत अच्छी नहीं थी. वहां के थानेदार के द्वारा काफी प्रयास कर पुलिस पब्लिक रिलेशन को साकार करते हुए जनसहयोग से कुछ काम कराया गया, कुछ हमारे स्तर से जो विधिसम्मत हो सकता है उसका फंड भेजा गया. कुछ काम सरकारी योजना से कराया गया. कुल मिलाकर अभी के जो वर्तमान थानेदार हैं, जो पूर्व में थानेदार थे. उनके द्वारा जो पब्लिक रिलेशन बनाया गया था उसी का यह परिणाम है.

बेतिया
गार्ड रूम

''श्रीनगर पुजहा थाने के लिए जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है, बहुत जल्द ही भवन का निर्माण भी हो जाएगा. पूर्व में जो थानेदार थे और वर्तमान में जो थानाध्यक्ष हैं उन्होंने पुलिस-पब्लिक रिलेशन बनाया उसी का नतीजा है कि थाना जनसहयोग से बनकर तैयार है''- उपेन्द्रनाथ वर्मा- एसपी, बेतिया

श्रीनगर पुजहां थाना बिहार पुलिस के लिए मिसाल है. बिहार के ज्यादातर थानों की हालत खराब है. सरकारी फंड के इंतजार में सालों से पुलिसकर्मी जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं. इस थाने के थानाध्यक्ष ने जो राह दिखाई है. उससे यही लगता है कि बिहार के सभी थानों को पुलिस और पब्लिक के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध होना चाहिए. इससे न सिर्फ अपराध में कमी आएगी बल्कि बेहतर समाज का भी निर्माण हो सकेगा.

बेतिया: पुलिस जब पब्लिक फ्रेंडली हो जाए तो इससे दोनों का फायदा है. कुछ ऐसा ही साबित कर दिखाया है श्रीनगर पूजहा थाने के थानेदार ने. दरअसल थानेदार खालिद अख्तर ने जर्जर हो चुके थाने को नया रूप दिया. इसके लिए उन्हें कोई सरकारी फंड नहीं मिला था. थाने की हालत एकदम जर्जर हो चुकी थी. लेकिन इन्होंने लोगों को प्रेरित किया. पुलिस और पब्लिक के बीच की दूरी को कम किया. नतीजा ये हुआ कि जनसहयोग से थाने का कायाकल्प हो गया. साथ ही साथ पुलिस-पब्लिक रिलेशन भी मजबूत हो गया.

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जीर्ण-शीर्ण हालत में चल रहा थाना थाना
पहले ये थाना जीर्ण- शीर्ण हालत में था. झोपड़ी में गार्ड रूम था. पदाधिकारी आवास भी नहीं था. 8 पंचायतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस थाने पर थी. हालाकि सच्चाई ये थी कि इस थाने में तैनात पुलिसवालों के ही सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं थी.

बेतिया
थानेदार, खालिद अख्तर

स्वंतत्रता दिवस पर थानेदार ने की थी स्थानीय लोगों से बात
15 अगस्त 2020 को झंडारोहण के बाद थाना अध्यक्ष ने स्थानीय लोगों से बात की. किसी से बालू मांगा, किसी ने ईंट दी. कोई थाने पर सीमेंट पहुंचा गया. किसी ने आर्थिक मदद देकर इस थाने का जीर्णोद्धार किया. इसतरह 10 लाख रुपए की लागत से कुछ ही महीनों में थाना बनकर तैयार हो गया.

बेतिया
पूजहा थाना पुलिसकर्मी

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बेतिया
संत्री पोस्ट का निर्माण

पुलिस-पब्लिक के बीच बेहतर तालमेल से हुआ निर्माण
इस मामले में बेतिया एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा ने बताया कि श्रीनगर पूजहा थाना के लिए जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है. बहुत जल्द भवन का निर्माण भी होगा. जो आज थाना चलाया जा रहा है वह गंडक विभाग का भवन है. जिसकी हालत अच्छी नहीं थी. वहां के थानेदार के द्वारा काफी प्रयास कर पुलिस पब्लिक रिलेशन को साकार करते हुए जनसहयोग से कुछ काम कराया गया, कुछ हमारे स्तर से जो विधिसम्मत हो सकता है उसका फंड भेजा गया. कुछ काम सरकारी योजना से कराया गया. कुल मिलाकर अभी के जो वर्तमान थानेदार हैं, जो पूर्व में थानेदार थे. उनके द्वारा जो पब्लिक रिलेशन बनाया गया था उसी का यह परिणाम है.

बेतिया
गार्ड रूम

''श्रीनगर पुजहा थाने के लिए जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है, बहुत जल्द ही भवन का निर्माण भी हो जाएगा. पूर्व में जो थानेदार थे और वर्तमान में जो थानाध्यक्ष हैं उन्होंने पुलिस-पब्लिक रिलेशन बनाया उसी का नतीजा है कि थाना जनसहयोग से बनकर तैयार है''- उपेन्द्रनाथ वर्मा- एसपी, बेतिया

श्रीनगर पुजहां थाना बिहार पुलिस के लिए मिसाल है. बिहार के ज्यादातर थानों की हालत खराब है. सरकारी फंड के इंतजार में सालों से पुलिसकर्मी जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं. इस थाने के थानाध्यक्ष ने जो राह दिखाई है. उससे यही लगता है कि बिहार के सभी थानों को पुलिस और पब्लिक के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध होना चाहिए. इससे न सिर्फ अपराध में कमी आएगी बल्कि बेहतर समाज का भी निर्माण हो सकेगा.

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