पश्चिमी चंपारण: भारत नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में अब बेशकीमती लकड़ियों, जड़ी बूटियों और वन्य जीवों की तस्करी नहीं होगी. इसको लेकर वनकर्मियों और महिला बटालियन को नए तरीके से ट्रेनिंग दी जा रही है. इन्हें ट्रेंड करने के लिए तमिलनाडु के एसटीएफ जवान सुरेश जे को बुलाया गया (Veerappan killer STF Team Member Suresh J giving training) है. सुरेश जे उसी एसटीएफ टीम का हिस्सा थे, जिस टीम ने कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का खात्मा किया था.
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वीरप्पन के खात्मे के लिए गठित एसटीएफ टीम का हिस्सा रहे सुरेश जे लगातार तीन महीने तक जंगल में रहे हैं. जंगल की मुश्किल जिंदगी को उन्होंने करीब से देखा है. हर मुश्किल का सामना उन्होंने और टीम ने किया था. इसलिए उन्हें वीटीआर बुलाकर वनकर्मियों को ट्रेनिंग दिलवायी जा रही है. इससे पहले भी सुरेश जे वीटीआर आ चुके हैं. कई वनकर्मियों को वे ट्रेंड भी कर चुके हैं. आपको बताएं कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों से लकड़ी चुराने वाले 'पुष्पा' यानी तस्करों को रोकने के लिए विशेष तैयारी की जा रही है. इस काम में सुरेश जे वन विभाग की मदद कर रहे हैं. तमिलनाडु से आए एसटीएफ टीम के सदस्य वनकर्मियों को तस्करों से लोहा लेने, बाढ़ के तेज धार में अचानक घिर जाने और घायल हो जाने पर प्राथमिक उपचार इत्यादि करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
एसटीएफ में रहकर कुख्यात वीरप्पन से लोहा लेने वाली टीम के सुरेश जे इन दिनों 940 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वनकर्मियों को लकड़ी तस्करों से निपटने का गुर सिखा रहे हैं. इन जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों और वन संपदाओं को तस्करी और तस्करों की टेढ़ी नजर से बचाने के लिए 600 वनकर्मियों को तैनात किया गया है. बताया जा रहा है कि वीटीआर में पिछले छह महीनों के दौरान लकड़ी तस्करी के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है.
50 से अधिक तस्करी के मामले सामने आने के बाद वीटीआर प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है. लिहाजा खुद वीटीआर डायरेक्टर डॉ नेशामणि ने पदभार संभालते ही तस्करों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इसलिए वनकर्मियों को तस्करों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं महिला स्वाभिमान बटालियन के जवान और वनकर्मी भी सरकार के इस पहल को लेकर बेहद उत्साहित हैं. वे नई तकनीक और ऊर्जा मिलने समेत आत्मविश्वास बढ़ने की बात कह रहे हैं और तस्करों के सफाये को लेकर तैयार हो रहे हैं.
'यहां सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई व्यवस्था के साथ ही सुरक्षा करनी है. इसलिए सुरेश जे. जंगल पेट्रोलिंग, मुठभेड़ के दौरान तस्करों से निपटने के तरीके व वन्यजीवों से तालमेल के तौर-तरीके भी बता रहे हैं. इसके अलावा एंबुस कैटवॉक पेट्रोलिंग (जिसमें दो कदम की दूरी पर मौजूद होने के बावजूद पत्ता खड़कने की आवाज नहीं होती) की बारीकी से भी वनकर्मियों को अवगत करा रहे हैं. तस्करों पर घात लगाने के तरीके भी वनकर्मी जान सकेंगे. जंगल से सटकर बहने वाली गंडक नदी भी तस्करी के लकड़ियों की ढुलाई का साधन रही है. इस पर रोक के लिए वनकर्मियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाया जा रहा है.' -डॉ. नेशामणि, डायरेक्टर, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व
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