बेतियाः बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको टूरिज्म सेंटर को मंगलवार से पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में घूमते हुए पकड़े जाने पर जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है.
दरअसल मानसून की दस्तक की वजह से हर साल इस समय इको टूरिज्म सेंटर बंद हो जाता है. फिर अक्टूबर से पर्यटकों के लिए वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के इको टूरिज्म सेंटर को खोला जाता है. इस बार अक्टूबर महीने से वाल्मिकी टाइगर रिजर्व का इको टूरिज्म सेंटर नए रूप रंग में देखने को मिलेगा.
30 सितंबर तक रहता है बंद
बरसात में जंगल होने की वजह से बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है और जगह जगह जलजमाव की स्थिति हो जाती है. ऐसे में पूरी तरह से इको टूरिज्म सेंटर को बंद कर दिया जाता है. ताकि लोगों का आवागमन बंद रहे. वहीं, मॉनसून के दौरान बाघों को एकांत चाहिए. जुलाई से सितंबर तक बाघों का मिलने का समय होता है. इस वजह से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 30 सितंबर तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है.
सफारी का उठा सकेंगे आनंद
बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का इको टूरिज्म सेंटर मानसून में पूरी तरह से बंद रहता है. 3 महीने बाद अक्टूबर में यह टूरिज्म सेंटर खुलेगा. जिसके बाद फिर से पर्यटक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के इको टूरिज्म सेंटर और सफारी का आनंद उठा सकेंगे. पर्यटक जंगल सफारी में बाघ, गैंडा, भालू, चीता, हाथी, हिरण तथा अन्य जंगली जानवरों को देख सकेंगे. साथ ही गंडक नदी के शिकारा पर बोटिंग भी कर सकेंगे.
गौरतलब है कि वाल्मीकि नगर बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के सबसे उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास बेतिया से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां एक छोटा सा कस्बा है. जहां कम आबादी है और यह अधिकांशत: वन क्षेत्र के अंदर है. यहां वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इको टूरिज्म पार्क उत्तर में नेपाल के चितवन नेशनल पार्क और पश्चिमी चंपारण के हिमालय पर्वत की गंडक नदी से घिरा हुआ है.