बगहा: बिहार सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लाख दावे कर ले, लेकिन अब तक बगहा रेफरल अस्पताल ( Bagaha Referral Hospital ) में एक भी सरकारी डोम ( प्रयोगशाला सहायक ) की बहाली नहीं हो पाई है, लिहाजा निजी डोम से पोस्टमार्टम कराया जाता है. ऐसे में वे मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं और बगहा अनुमंडल अस्पताल में पोस्टमार्टम ( Post Mortem ) कराने आए परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी 24 घंटे तो कभी 36 घंटे तक पोस्टमार्टम कराने के लिए परिजनों को इंतजार करना पड़ता है.
इधर, गुरुवार को बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में समय पर शवों का पोस्टमार्टम नहीं होने से नाराज परिजनों ने जमकर हंगामा किया है. दरअसल, सरकारी डोम नहीं होने के कारण आये दिन पोस्टमार्टम की बात को लेकर हंगामा होता रहता है. बुधवार की शाम से दो शव अस्पताल में पड़े हैं लेकिन अब तक उनका पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है, क्योंकि मूड बनाने की बात कह डोम मौके से फरार हो गया.
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जानकारी के अनुसार, बुधवार को शाम में अनुमंडलीय अस्पताल में दो शव आया. एक महिला का जो कि दहेज हत्या का मामला है और दूसरा सड़क हादसे में एक बच्चे का. दोनों के परिजन बुधवार के शाम से ही पोस्टमार्टम का इंतजार कर रहे हैं.
हद तो तब हो गई जब सुबह लाश का चिरफाड़ करने वाला अस्थाई कर्मी आया, लेकिन परिजनों से पैसा लेकर चलता बना. पोस्टमार्टम कराने आए परिजनों के सब्र का बांध जब टूट गया तो उन्होंने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया. परिजनों ने आरोप लगाया कि बुधवार शाम से अनुमंडलीय अस्पताल में बैठे हैं लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं किया गया.
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हंगामे को शांत कराने के लिए डॉ राजेश कुमार नीरज प्रशासनिक उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल बगहा को आकर इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. जिसके बाद मामले को किसी तरह से शांत कराया गया, हालांकि तब तक दोनों शवों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था.
प्रशासनिक उपाधीक्षक डॉ राजेश कुमार नीरज ने बताया कि अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान चीर फार करने वाला कर्मी की स्थाई नियुक्ति नहीं है. जिसके कारण पोस्टमार्टम में विलंब हुआ. हालांकि वह सुबह में आया था लेकिन मूड बनाने चला गया है. अब यह मूड बनाना क्या होता है, खुद डॉक्टर साहब को भी पता नहीं है. लेकिन मूड बनाने की बात स्वयं प्रशासनिक प्रभारी उपाधीक्षक ही कह रहे हैं.