बेतिया: वैसे तो परीक्षा में छात्र अपनी जानकारी और समझ से ऐसा जवाब देना चाहता है, जिससे उसे अच्छे मार्क्स मिले लेकिन कभी-कभी कुछ परीक्षार्थी ऐसा अजीब जवाब दे देते हैं जिस पर आप मजा लेने से खुद को नहीं रोक पाएंगे. पश्चिम चंपारण के बेतिया (Bettiah) में रामलखन सिंह यादव कॉलेज (Ram Lakhan Singh Yadav College) के दो छात्रों के ऐसे ही जवाबों वाली कॉपी की फोटो इन दिनों खूब वायरल हो रही है.
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शिवशंकर कुमार नाम के एक छात्र ने इतिहास में पूछे गए एक सवाल का इस अंदाज में जवाब दिया है, जिसे पढ़कर आप हंस-हंसकर लोटपोट हो जाएंगे. दरअसल परीक्षा में सवाल पूछा गया कि 'अकबर ने जजिया कर क्यों समाप्त कर दिया?'
इसके जवाब में छात्र शिवशंकर ने लिखा, 'अकबर की गर्लफ्रेंड का नाम रजिया था. रजिया को अकबर काफी प्यार करता था. इसलिए रजिया के कहने पर जजिया कर हटा दिया.'
शिवशंकर कुमार ने अपनी कॉपी में बॉलीवुड एक्टर सनी देओल को अपना पिता और हीरोइन प्रियंका चोपड़ा को अपनी मां बताया है. इसने विषय में इतिहास लिखा और कुछ सवालों के जवाब के रूप में अटपटी बातों को लिखा है. हालांकि, रोल नंबर वाली जगह को इसने खाली छोड़ दिया है.
इसी कॉलेज के एक और छात्र आदित्य कुमार की भी उत्तर पुस्तिका की तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है. इसमें माता का नाम रानी देवी और पिता का नाम अमरेंद्र कुशवाहा लिखा हुआ है. इसी महीने 20 अक्टूबर का डेट भी लिखा हुआ है. साथ ही रोल नंबर 170 बताया है. विषय के कॉलम में इसने बिजनेस स्टडीज लिखा है.
उत्तर पुस्तिका में आदित्य ने जो बातें लिखीं, वह वाकई में हैरान करने वाला है. आदित्य ने लिखा है कि "मेरी प्रेमिका ने हमको धोखा दे दिया है. वह एक नहीं पांच पदकों से बात करती है. मैं अपना हाल क्या सुनाऊं, वह लड़की बड़ी बेवफा निकली. मैं उसे बहुत लव करता था लेकिन उसे मेरे लव की कदर नहीं. अब वह बहुत बदल गई है. वह बेवफा है और मैं उससे नफरत करता हूं."
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वैसे आपको बता दें कि सर्वप्रथम भारत में जजिया कर मोहम्मद बिन कासिम ने लगाया था और सल्तनत के इतिहास में प्रथम बार फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाया. करीब 450 साल पहले मुगल शासक अकबर ने जजिया कर को खत्म कर दिया था. यह कर सिर्फ गैर-मुस्लिमों से ही वसूला जाता था और कई शासनकाल में इस कर को लेकर कुछ शर्ते थीं, जबकि कुछ शासकों ने इसे सभी गैर मुस्लिमों के लिए आवश्यक किया हुआ था.
दरअसल, जजिया एक प्रकार का धार्मिक कर है. इसे मुस्लिम राज्य में रहने वाली गैर मुस्लिम जनता से वसूल किया जाता था. इस्लामी राज्य में केवल मुसलमानों को ही रहने की अनुमति थी और यदि कोई गैर-मुसलमान उस राज्य में रहना चाहे तो उसे जजिया देना होता था. इसे देने के बाद गैर मुस्लिम लोग इस्लामिक राज्य में अपने धर्म का पालन कर सकते थे.