बेतिया: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हम आपको मिलाने जा रहे है बिहार के उस किसान से, जिसने पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी पेड़-पौधों के नाम कर दी. हम बात कर रहे हैं नरकटियागंज प्रखंड के बढ़निहार गांव के रहने वाले किसान विजय पांडे उर्फ आलू पांडे की.
किसान विजय पांडे ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक नर्सरी खोल रखी है. इस नर्सरी से हर साल 5 लाख पौधे तैयार होते हैं. इनमें से 3 लाख पौधे सरकार के चलाए जा रहे वृक्षारोपण अभियान के लिए भेजे जाते हैं. वहीं, 2 लाख पौधे सामाजिक क्षेत्रों में दिये जाते हैं. यही नहीं, विजय की नर्सरी में फल्मों की शूटिंग भी की जाती है.
खेती से शुरू किया सफर
विजय बताते हैं कि उन्होंने यह काम खेती से शुरू किया. जब उन्होंने देखा कि विश्वभर में पर्यावरण को लेकर संकट गहराने लगा, तो उन्होंने अपने खेतों को नर्सरी में बदल दिया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के बिना न तो स्वास्थ्य सही रहेगा, न मिट्टी की मर्यादा सही रहेगी, न समाज सही रहेगा, न राजनीति सही रहेगी और न गांव सही रहेगा. मैं चंपारण को हरित चंपारण बनाकर जाना चाहता हूं.
वार्षिक आय करोड़ों में
पौधों की बिक्री से किसान विजय पांडे की वार्षिक आय करोड़ों की है. इनकी नर्सरी में सागवान, महोगनी, अर्जुन, सफेदा, सिल्वर, अम्रपाली, यूकेलिप्टस आदि पौधे की प्रजातियां मौजूद हैं. जिनकी देख रेख हाईटेक टेक्नोलॉजी के जरिए की जाती है.
नर्सरी में काम करते हैं 50 मजदूर
विजय की नर्सरी से रोजगार के अवसर बढ़ें हैं. वर्तमान में यहां 40 से 50 मजदूर काम कर रहे हैं. इन सभी को ससमय वेतन दिया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान भी विजय ने सभी को वेतन दिया है.
पीएम मोदी और सीएम नीतीश ने किया सम्मानित
- हरित क्रांति के वाहक बने विजय पांडे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सम्मानित कर चुके हैं. सीएम नीतीश ने उन्हें दो लाख का चेक देकर सम्मानित किया था.
- बिहार सरकार की ओर से विजय पांडे को 'किसान भूषण' से भी सम्मानित किया जा चुका है.
- वहीं साल 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 51 हजार की चेक राशि देकर विजय पांडे को सम्मानित किया था.
- इसके साथ-साथ राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार विजय को दर्जनों बार सम्मानित कर चुकी है.
- विजय को इजराइल की सरकार की तरफ से भी सम्मानित किया जा चुका है.
निश्चित रूप से ऐसे किसान का नाम सुन और काम के बारे में जानकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा. विजय पांडे सभी किसानों के लिए प्रेरणा का विषय बने हुए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए विजय ने कहा कि उन्हें खेती से कभी घाटा नहीं हुआ. बावजूद इसके उन्होंने अपने खेतों को नर्सरी में बदल दिया.