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पीएम के आत्मनिर्भरता के मूल मंत्र को साकार करता है बिहार का यह गांव

ग्रामीणों का कहना है कि भले ही सरकार ने यहां विकास का काम नहीं किया है, लेकिन इतना जरूर है कि घर-घर में हुनरमंद लोग मिल जाएंगे. जिस वजह से इन्हें गांव के बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

पश्चिम चंपारण
पश्चिम चंपारण
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Published : Jun 2, 2020, 9:38 AM IST

पश्चिम चंपारण : जिला मुख्यालय अंतर्गत जमादार टोला के लोग अपने आत्मनिर्भरता से महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के सपनों को साकार कर रहे हैं. तकरीबन 200 परिवारों के इस गांव में यहां प्रत्येक घर में हुनरमंद लोग बसे हैं, जिनके रग-रग में उनका पुस्तैनी पेशा समाहित है. इनको किसी भी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए दूसरे गांव और शहर पर निर्भर नहीं होना पड़ता है.

हुनरमंदों के गांव के नाम से जाना जाता है जमादार टोला
कहते हैं कि उम्र थका नहीं सकती, ठोकरें गिरा नहीं सकती, अगर जीतने की जिद्द हो तो परिस्थितियां हरा नहीं सकती. कुछ ऐसा ही नजीर पेश किया है जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर बगहा प्रखण्ड के सिसवा बसन्तपुर पंचायत अंतर्गत जमादार टोला के बाशिंदों ने. जिन्होंने अपने हुनर के दम पर इस गांव को पीएम के सपनों का गांव बना दिया है. अब इस गांव के लोग हुनरमंदों का गांव के नाम से जाने जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रत्येक परिवार में हैं पेशेवर लोग
महात्मा गांधी का कहना था देश के विकास का पहिया तभी गतिमान हो सकता है, जब गांव सशक्त और मजबूत बने. इसी नजीर को यहां के लोगों ने अपने पुस्तैनी कुशलता से सम्भव कर दिखाया है. बेरोजगारी यहां के लोगों से कोसो दूर है. गांव में अधिकांश लोग सिलाई बुनाई में दक्ष हैं, तो कोई बढ़ईगिरी कर फर्नीचर बनाकर बेचता है. लुहार और बर्तन बनाने से लेकर सुनारी करने वाले भी इस गांव में हैं. यहां तक कि किसी आयोजन के लिए टेंट, वीडियोग्राफी की जरूरत हो तो उसके लिए भी शहर नहीं जाना पड़ता है. सब्जी की खेती से लेकर राइस व फ्लोर मिल सहित तेल मशीन और मिठाई सम्बंधित होटल या हलुवाई का पेशा करने वाले भी इस गांव में बसे हैं. मोबाइल रिपेयरिंग और मोटरसायकिल मिस्त्री भी आपको यहां आसानी से मिल जाएंगे.

bagaha
स्थानीय महिला

दर्जनों पंचायतों के लोग इस गांव पर हैं निर्भर
इस छोटे से गांव में जरूरत की छोटी से बड़ी हर मूलभूत आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं. यही वजह है कि लॉकडाउन का भी इनपर कोई खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला. ग्रामीणों का कहना है कि भले ही सरकार ने यहां विकास का काम नहीं किया है, लेकिन इतना जरूर है कि घर-घर में हुनरमंद लोग मिल जाएंगे. जिस वजह से इन्हें गांव के बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

गांव में ही बसता है शहर
चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का कहना है कि इस गांव के लोग बेरोजगार कभी नहीं हुए और ना ही कभी शहर पर निर्भर ही होना पड़ा है. यहां तक कि अन्य दर्जनों पंचायत के बाशिंदे इस गांव पर निर्भर हैं और उनके जरूरतों को इस गांव के कुशल लोग पूरा करते हैं. कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं की पीएम के आत्मनिर्भरता के मूल मंत्र को साकार करने वाले इस गांव में ही शहर बसता है, जो अपने आप मे एक मिसाल है.

पश्चिम चंपारण : जिला मुख्यालय अंतर्गत जमादार टोला के लोग अपने आत्मनिर्भरता से महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के सपनों को साकार कर रहे हैं. तकरीबन 200 परिवारों के इस गांव में यहां प्रत्येक घर में हुनरमंद लोग बसे हैं, जिनके रग-रग में उनका पुस्तैनी पेशा समाहित है. इनको किसी भी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए दूसरे गांव और शहर पर निर्भर नहीं होना पड़ता है.

हुनरमंदों के गांव के नाम से जाना जाता है जमादार टोला
कहते हैं कि उम्र थका नहीं सकती, ठोकरें गिरा नहीं सकती, अगर जीतने की जिद्द हो तो परिस्थितियां हरा नहीं सकती. कुछ ऐसा ही नजीर पेश किया है जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर बगहा प्रखण्ड के सिसवा बसन्तपुर पंचायत अंतर्गत जमादार टोला के बाशिंदों ने. जिन्होंने अपने हुनर के दम पर इस गांव को पीएम के सपनों का गांव बना दिया है. अब इस गांव के लोग हुनरमंदों का गांव के नाम से जाने जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रत्येक परिवार में हैं पेशेवर लोग
महात्मा गांधी का कहना था देश के विकास का पहिया तभी गतिमान हो सकता है, जब गांव सशक्त और मजबूत बने. इसी नजीर को यहां के लोगों ने अपने पुस्तैनी कुशलता से सम्भव कर दिखाया है. बेरोजगारी यहां के लोगों से कोसो दूर है. गांव में अधिकांश लोग सिलाई बुनाई में दक्ष हैं, तो कोई बढ़ईगिरी कर फर्नीचर बनाकर बेचता है. लुहार और बर्तन बनाने से लेकर सुनारी करने वाले भी इस गांव में हैं. यहां तक कि किसी आयोजन के लिए टेंट, वीडियोग्राफी की जरूरत हो तो उसके लिए भी शहर नहीं जाना पड़ता है. सब्जी की खेती से लेकर राइस व फ्लोर मिल सहित तेल मशीन और मिठाई सम्बंधित होटल या हलुवाई का पेशा करने वाले भी इस गांव में बसे हैं. मोबाइल रिपेयरिंग और मोटरसायकिल मिस्त्री भी आपको यहां आसानी से मिल जाएंगे.

bagaha
स्थानीय महिला

दर्जनों पंचायतों के लोग इस गांव पर हैं निर्भर
इस छोटे से गांव में जरूरत की छोटी से बड़ी हर मूलभूत आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं. यही वजह है कि लॉकडाउन का भी इनपर कोई खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला. ग्रामीणों का कहना है कि भले ही सरकार ने यहां विकास का काम नहीं किया है, लेकिन इतना जरूर है कि घर-घर में हुनरमंद लोग मिल जाएंगे. जिस वजह से इन्हें गांव के बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

गांव में ही बसता है शहर
चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का कहना है कि इस गांव के लोग बेरोजगार कभी नहीं हुए और ना ही कभी शहर पर निर्भर ही होना पड़ा है. यहां तक कि अन्य दर्जनों पंचायत के बाशिंदे इस गांव पर निर्भर हैं और उनके जरूरतों को इस गांव के कुशल लोग पूरा करते हैं. कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं की पीएम के आत्मनिर्भरता के मूल मंत्र को साकार करने वाले इस गांव में ही शहर बसता है, जो अपने आप मे एक मिसाल है.

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