बगहा: पश्चिम चम्पारण जिले में संचालित राज्य के एकमात्र अनुसूचित जनजाति बालिका विद्यालय बदहाल स्थिति में (Bagaha Tribal Girls School in bad condition) है. इसे लेकर उच्च न्यायालय काफी गंभीर है. मंगलवार को बगहा एसडीएम डॉ अनुपमा सिंह ने औचक निरीक्षण किया. उन्होंने बताया की विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. विद्यालय का भवन भी जर्जर हो चुका है साथ ही उसका कोई मेंटेनेंस नही किया जाता. जिस मामले में प्रधानाध्यापक से पूछताछ की गई है.
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29 नवंबर को होगी सुनवाई : बिहार शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को हाईकोर्ट ने किया तलब, ये है मामला जनजातीय बालिका विद्यालय की हालत पर हाई कोर्ट चिंतित. वर्ष 2018 में आदिवासी अधिकार फोरम ने उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल कर दिया. लिहाजा पिछले हफ्ते मुख्य न्यायाधीश ने कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग के निदेशक से विद्यालय के बदहाल स्थिति पर नाराजगी जताते हुए अद्यतन स्थिति बताने का आदेश दिया है. अगली सुनवाई 29 नवंबर को होना है।
वर्ष 2013 में राजकीय विद्यालय का दर्जाः हरनाटांड में 1981 से जनजाति बालिका विद्यालय संचालित हो रहा है. वर्ष 2013 में राज्य सरकार ने इसको राजकीय विद्यालय में तब्दील करते हुए दसवीं कक्षा तक पठन पाठन का आदेश दिया. उसके ठीक एक वर्ष बाद 2014 में इस विद्यालय को 10+2 का दर्जा दे दिया गया, लेकिन संसाधनों के नाम पर कुछ मुहैया नहीं कराया गया. यह विद्यालय पहले कमिटी और ट्रस्ट द्वारा संचालित होता था. कक्षा 1 से 8 तक पठन पाठन होता था.
छात्राओं की संख्या घटने लगीः इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में छात्राएं स्कूल छोड़ना शुरू कर दी. अचानक से छात्राओं की संख्या घटने लगी, जिसके बाद बिहार आदिवासी अधिकार फोरम के प्रमोद कुमार सिंह और अशोक कुमार थारू ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. जनहित याचिका दायर करने के बाद न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया. तब विद्यालय में चार शिक्षक डेपुटेशन पर भेजे गए. इसके अलावा पूर्व से कार्यरत शिक्षकों को भी पठन पाठन के कार्य से जोड़ा रखा गया, लेकिन उन्हें अब तक सैलरी नहीं मिली है.
"विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. विद्यालय का भवन भी जर्जर हो चुका है. उसका कोई मेंटेनेंस नहीं किया जाता. जिस मामले में प्रधानाध्यापक से पूछताछ की गई है." -डॉ अनुपमा सिंह, एसडीएम, बगहा
"एसडीएम और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने विद्यालय का जांच किया जिसमें मैने सारी वस्तु स्थिति बता दी। जिसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने सभी समस्याओं के बाबत मेरे द्वारा किए गए पत्राचार की रिपोर्ट मांगी हैं." -लक्ष्मीनारायण काजी, प्रधानाध्यापक
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