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पश्चिमी चंपारण में कामधेनु गाय बनी PM आवास योजना, दो बार-दो जगह से लाभ ले चुके दर्जनों परिवार!

बिहार के पश्चिमी चंपारण में पीएम आवास योजना कामधेनु गाय बन गई है. दरअसल, दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बिहार और यूपी में पीएम आवास योजना का लाभ उठाया और उससे मिलने वाले पैसे से अपने सपनों का आशियाना बना लिया. वहीं, कई लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Dec 26, 2020, 5:23 PM IST

पीएम आवास योजना
पीएम आवास योजना

पश्चिमी चंपारण : जिले में पीएम आवास योजना अंतर्गत एक बड़ा मामला उजागर हुआ है. दरअसल, यहां दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें इस योजना के तहत दो जगह लाभ मिला हुआ है. पहले बिहार में पीएम आवास योजना का लाभ उठा चुके ये लोग यूपी में भी योजना के लाभार्थी हैं. वहीं, कई जरूरतमंद लोग पीएम आवास योजना से आज भी महरूम हैं. दूसरी तरफ प्रशासन इस मामले से अनभिज्ञ है. स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले पर जांच और कार्रवाई की मांग की है.

जिले में केंद्र सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना कामधेनु गाय बन गई है. ताजा मामला ठकराहां प्रखंड का है. यहां दर्जनों व्यक्तियों ने बिहार और यूपी दोनो प्रदेशों में आवास योजना की राशि का उठाव कर अपने सपनों का आशियाना बना रखा है. प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ आज भी कई ऐसे जरूरतमंद हैं, जो इस योजना के लाभ के लिए सरकारी मुलाजिमों और दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. ग्रामीणों ने इस मामले का उजागर किया, तो वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी जिम्मेदार अधिकारियों से जांच और कार्रवाई की मांग की है.

ईटीवी भारत के लिए दिलीप की रिपोर्ट

दोनों प्रदेशों में है वोटर लिस्ट और राशन कार्ड में नाम
बिहार-यूपी सीमा पर बसे गंडक दियारा पार के चार प्रखंडों में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जिनका यूपी और बिहार दोनों प्रदेशों में मतदाता सूची सहित राशन कार्ड में नाम अंकित है. यही कारण है कि एक परिवार को आवास योजना के तहत दो बार लाभ मिल चुका है. वहीं, प्रशासनिक मिलीभगत का भी आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं. इस मामले में आवास पर्यवेक्षक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब तक उस मामले की जानकारी प्रशासन तक नही पहुंची है. जब शिकायत मिलेगी तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

की गई कार्रवाई की मांग
की गई कार्रवाई की मांग

योजना में जमकर हुआ है बंदरबांट!
केंद्र सरकार के इस अतिमहत्वाकांक्षी योजना में बंदरबांट की कहानी किसी से छुपी नही है. ईटीवी भारत इससे पूर्व भी इस मामले का खुलासा कर चुका है कि जिला में कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनको बहुमंजिला इमारत होने के बावजूद इस योजना का लाभ मिला हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ जरूरतमंदों को इससे महरूम रखा गया है और योजना का लाभ देने के लिए नजराना मांगा जाता है. ऐसे में कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि यह योजना बेपटरी हो गई है और जरूरतमंद सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं.

पश्चिमी चंपारण : जिले में पीएम आवास योजना अंतर्गत एक बड़ा मामला उजागर हुआ है. दरअसल, यहां दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें इस योजना के तहत दो जगह लाभ मिला हुआ है. पहले बिहार में पीएम आवास योजना का लाभ उठा चुके ये लोग यूपी में भी योजना के लाभार्थी हैं. वहीं, कई जरूरतमंद लोग पीएम आवास योजना से आज भी महरूम हैं. दूसरी तरफ प्रशासन इस मामले से अनभिज्ञ है. स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले पर जांच और कार्रवाई की मांग की है.

जिले में केंद्र सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना कामधेनु गाय बन गई है. ताजा मामला ठकराहां प्रखंड का है. यहां दर्जनों व्यक्तियों ने बिहार और यूपी दोनो प्रदेशों में आवास योजना की राशि का उठाव कर अपने सपनों का आशियाना बना रखा है. प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ आज भी कई ऐसे जरूरतमंद हैं, जो इस योजना के लाभ के लिए सरकारी मुलाजिमों और दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. ग्रामीणों ने इस मामले का उजागर किया, तो वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी जिम्मेदार अधिकारियों से जांच और कार्रवाई की मांग की है.

ईटीवी भारत के लिए दिलीप की रिपोर्ट

दोनों प्रदेशों में है वोटर लिस्ट और राशन कार्ड में नाम
बिहार-यूपी सीमा पर बसे गंडक दियारा पार के चार प्रखंडों में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जिनका यूपी और बिहार दोनों प्रदेशों में मतदाता सूची सहित राशन कार्ड में नाम अंकित है. यही कारण है कि एक परिवार को आवास योजना के तहत दो बार लाभ मिल चुका है. वहीं, प्रशासनिक मिलीभगत का भी आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं. इस मामले में आवास पर्यवेक्षक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब तक उस मामले की जानकारी प्रशासन तक नही पहुंची है. जब शिकायत मिलेगी तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

की गई कार्रवाई की मांग
की गई कार्रवाई की मांग

योजना में जमकर हुआ है बंदरबांट!
केंद्र सरकार के इस अतिमहत्वाकांक्षी योजना में बंदरबांट की कहानी किसी से छुपी नही है. ईटीवी भारत इससे पूर्व भी इस मामले का खुलासा कर चुका है कि जिला में कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनको बहुमंजिला इमारत होने के बावजूद इस योजना का लाभ मिला हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ जरूरतमंदों को इससे महरूम रखा गया है और योजना का लाभ देने के लिए नजराना मांगा जाता है. ऐसे में कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि यह योजना बेपटरी हो गई है और जरूरतमंद सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं.

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