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बिहार में बड़े प्यार से रहते हैं अमेरिका, अफ्रीका और जापान.. रूस और जर्मनी को खोने का है गम, जानें पूरी कहानी

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Published : Apr 1, 2022, 3:34 PM IST

Updated : Apr 1, 2022, 5:50 PM IST

अमेरिका, अफ्रीका और जापान (Brothers Named As America Japan Russia Germany Africa) एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते हैं. साथ ही तीनों जर्मनी और रूस को याद कर रो पड़ते हैं. यह सुन आप चौंक गए न.. लेकिन ये बात बिल्कुल सच है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं जानने के लिए आगे पढ़ें पूरी खबर..

America Africa Japan Germany Russia in Bagaha
America Africa Japan Germany Russia in Bagaha

पश्चिम चंपारण (बगहा): बिहार में एक गांव ऐसा है, जहां अगर कोई पहली बार जाए तो चौंक जाएगा. इस गांव में अमेरिका, अफ्रीका और जापान रहते हैं. वहीं रूस (Death of Russia in West Champaran) और जर्मनी (Death of Germany in West Champaran) की मौत हो चुकी है. यही नहीं यहां के शत प्रतिशत लोग हुनरमंद और आत्मनिर्भर भी हैं. इस गांव में गाहे बगाहे सभी देशों की चर्चा प्रतिदिन आम है. दरअसल ये सभी देश आपस में सगे भाई हैं. अमेरिका, अफ्रीका और जापान तीनों (America Africa Japan Germany Russia in Bagaha) भाई यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध को लेकर चिंतित हैं और इस युद्ध को लेकर भाईचारे का एक बड़ा पैगाम दे रहे हैं.

पढ़ें- क्या वजह है कि बिहार के इस गांव में प्याज लहसुन खाने पर लगी है पाबंदी?

रूस और जर्मनी की मौत: पश्चिमी चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के सिसवा बसंतपुर पंचायत अंतर्गत जमादार टोला (jamadar tola bagaha) में पांच भाई अमेरिका, अफ्रीका, जर्मनी, रूस और जापान लोगों के बीच हमेशा ही अपने नाम को लेकर चर्चा का विषय बने रहते हैं. हालांकि रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है. जर्मनी की मौत 2017 में और रूस की मौत 2012 में हो गई थी.

देशों के नाम रखने की ये है कहानी: दरअसल इन लोगों के इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. अमेरिका बताते हैं कि इनके परिवार में इन लोगों के चचेरे भाई अकलू शर्मा हुआ करते थे. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1950 में अकलू भारतीय फौज का हिस्सा बने और इस युद्ध में दुश्मनों की गोली उनकी बांह में लग गई. इलाज कराकर स्वस्थ होने के बाद जब अकलू घर लौटे तो उनके घर एक भतीजा ने जन्म लिया था. ऐसे में उन्होंने अपने भाई से कहा कि इस लड़के का नाम अमेरिका रख दो. साथ ही उन्हीने यह भी सुझाव दिया कि अब आगे जितने बच्चे होंगे उनका नाम क्रमशः अफ्रीका, जर्मनी, रूस और जापान रखना. दरअसल उस समय फौज में अमेरिका, जर्मनी, जापान, रूस व अफ्रीका देशों की खूब चर्चाएं होती थी. लिहाजा एक के बाद एक अन्य भाइयों का जन्म होता गया और इन लोगों का नाम महाशक्तिशाली देशों के नाम पर पड़ता गया.

पढ़ें- बिहार के इस गांव में 200 सालों से नहीं मनी होली, होली खेलने वाले के साथ होता है कुछ ऐसा...


यूक्रेन व रूस को दे रहे संदेश: जापान शर्मा बताते हैं कि उनका परिवार पेशे से बढ़ईगिरी करता है और वे पांचों भाई आपस में मिल जुलकर बड़े ही प्यार से रहते हैं. कभी कभार झगड़ा होता भी है तो तुरंत सुलह हो जाती है. लेकिन अब के जमाने में ऐसा नहीं है. जमीन जायदाद के लिए भाई ही भाई के खून का प्यासा हो जाता है. यही वजह है कि अमेरिका, अफ्रीका और जापान तीनों भाई यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध को लेकर चिंतित हैं. इस युद्ध को ले भाईचारे का एक बड़ा पैगाम दे रहे हैं. उनका कहना है कि आज यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ा है, ये दोनों भी भाई ही हैं ऐसे में दो भाइयों का आपस में लड़ना बहुत खराब है.

"रूस और यूक्रेन आपस में लड़ रहे हैं, यह सुनकर बहुत खराब लगता है. मान लीजिए एक भाई को एक भाई सताए ऐसा नहीं होना चाहिए. भाई का भाई को साथ देना चाहिए. एक दूसरे की मदद करें. एक देश चाहता है कि दूसरे देश को जीतकर अपने में मिला ले, ऐसा नहीं होना चाहिए."- जापान शर्मा

नाम की वजह से दर्ज नहीं हुई एफआईआर: एक बार का वाकया याद करते हुए जापान शर्मा बताते हैं कि गांव के बगल में उनके मौसा का परिवार रहता है, जहां एक बार उनका पड़ोसियों से झगड़ा हुआ. तो वे पांचों भाई मौसा का साथ देने पहुंचे. ऐसे में पड़ोसियों ने पांचों भाइयों का नाम भी केस में दर्ज करा दिया. जब थाने पर पहुंचा तो साहब ने दूसरे पक्ष के लोगों को यह कहकर भगा दिया कि हम शक्तिशाली देशों पर केस नहीं करेंगे.

जमादार टोला के 90 फीसदी लोग आत्मनिर्भर: इतना ही नहीं जिस गांव में ये सभी देश बसते हैं, वहां की एक दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आपको तकरीबन 90 फीसदी लोग आत्मनिर्भर मिलेंगे. लिहाजा इस गांव को हुनरमंदों के गांव के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल जमादार टोला के लोग एक ऐसा नजीर पेश करते हैं , जिसको जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे. बता दें कि यहां के ग्रामीणों को किसी भी छोटी से छोटी चीजों से लेकर महत्वपूर्ण सामग्रियों के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता है. लोग इतने हुनरमंद हैं कि यहां घर-घर में हर तरह का व्यवसाय फलता फूलता है. यहां तक कि मोबाइल बनाने से लेकर फर्नीचर या हर तरह की जरूरतें गांव से ही पूरी हो जाती है.

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पश्चिम चंपारण (बगहा): बिहार में एक गांव ऐसा है, जहां अगर कोई पहली बार जाए तो चौंक जाएगा. इस गांव में अमेरिका, अफ्रीका और जापान रहते हैं. वहीं रूस (Death of Russia in West Champaran) और जर्मनी (Death of Germany in West Champaran) की मौत हो चुकी है. यही नहीं यहां के शत प्रतिशत लोग हुनरमंद और आत्मनिर्भर भी हैं. इस गांव में गाहे बगाहे सभी देशों की चर्चा प्रतिदिन आम है. दरअसल ये सभी देश आपस में सगे भाई हैं. अमेरिका, अफ्रीका और जापान तीनों (America Africa Japan Germany Russia in Bagaha) भाई यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध को लेकर चिंतित हैं और इस युद्ध को लेकर भाईचारे का एक बड़ा पैगाम दे रहे हैं.

पढ़ें- क्या वजह है कि बिहार के इस गांव में प्याज लहसुन खाने पर लगी है पाबंदी?

रूस और जर्मनी की मौत: पश्चिमी चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के सिसवा बसंतपुर पंचायत अंतर्गत जमादार टोला (jamadar tola bagaha) में पांच भाई अमेरिका, अफ्रीका, जर्मनी, रूस और जापान लोगों के बीच हमेशा ही अपने नाम को लेकर चर्चा का विषय बने रहते हैं. हालांकि रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है. जर्मनी की मौत 2017 में और रूस की मौत 2012 में हो गई थी.

देशों के नाम रखने की ये है कहानी: दरअसल इन लोगों के इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. अमेरिका बताते हैं कि इनके परिवार में इन लोगों के चचेरे भाई अकलू शर्मा हुआ करते थे. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1950 में अकलू भारतीय फौज का हिस्सा बने और इस युद्ध में दुश्मनों की गोली उनकी बांह में लग गई. इलाज कराकर स्वस्थ होने के बाद जब अकलू घर लौटे तो उनके घर एक भतीजा ने जन्म लिया था. ऐसे में उन्होंने अपने भाई से कहा कि इस लड़के का नाम अमेरिका रख दो. साथ ही उन्हीने यह भी सुझाव दिया कि अब आगे जितने बच्चे होंगे उनका नाम क्रमशः अफ्रीका, जर्मनी, रूस और जापान रखना. दरअसल उस समय फौज में अमेरिका, जर्मनी, जापान, रूस व अफ्रीका देशों की खूब चर्चाएं होती थी. लिहाजा एक के बाद एक अन्य भाइयों का जन्म होता गया और इन लोगों का नाम महाशक्तिशाली देशों के नाम पर पड़ता गया.

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यूक्रेन व रूस को दे रहे संदेश: जापान शर्मा बताते हैं कि उनका परिवार पेशे से बढ़ईगिरी करता है और वे पांचों भाई आपस में मिल जुलकर बड़े ही प्यार से रहते हैं. कभी कभार झगड़ा होता भी है तो तुरंत सुलह हो जाती है. लेकिन अब के जमाने में ऐसा नहीं है. जमीन जायदाद के लिए भाई ही भाई के खून का प्यासा हो जाता है. यही वजह है कि अमेरिका, अफ्रीका और जापान तीनों भाई यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध को लेकर चिंतित हैं. इस युद्ध को ले भाईचारे का एक बड़ा पैगाम दे रहे हैं. उनका कहना है कि आज यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ा है, ये दोनों भी भाई ही हैं ऐसे में दो भाइयों का आपस में लड़ना बहुत खराब है.

"रूस और यूक्रेन आपस में लड़ रहे हैं, यह सुनकर बहुत खराब लगता है. मान लीजिए एक भाई को एक भाई सताए ऐसा नहीं होना चाहिए. भाई का भाई को साथ देना चाहिए. एक दूसरे की मदद करें. एक देश चाहता है कि दूसरे देश को जीतकर अपने में मिला ले, ऐसा नहीं होना चाहिए."- जापान शर्मा

नाम की वजह से दर्ज नहीं हुई एफआईआर: एक बार का वाकया याद करते हुए जापान शर्मा बताते हैं कि गांव के बगल में उनके मौसा का परिवार रहता है, जहां एक बार उनका पड़ोसियों से झगड़ा हुआ. तो वे पांचों भाई मौसा का साथ देने पहुंचे. ऐसे में पड़ोसियों ने पांचों भाइयों का नाम भी केस में दर्ज करा दिया. जब थाने पर पहुंचा तो साहब ने दूसरे पक्ष के लोगों को यह कहकर भगा दिया कि हम शक्तिशाली देशों पर केस नहीं करेंगे.

जमादार टोला के 90 फीसदी लोग आत्मनिर्भर: इतना ही नहीं जिस गांव में ये सभी देश बसते हैं, वहां की एक दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आपको तकरीबन 90 फीसदी लोग आत्मनिर्भर मिलेंगे. लिहाजा इस गांव को हुनरमंदों के गांव के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल जमादार टोला के लोग एक ऐसा नजीर पेश करते हैं , जिसको जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे. बता दें कि यहां के ग्रामीणों को किसी भी छोटी से छोटी चीजों से लेकर महत्वपूर्ण सामग्रियों के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता है. लोग इतने हुनरमंद हैं कि यहां घर-घर में हर तरह का व्यवसाय फलता फूलता है. यहां तक कि मोबाइल बनाने से लेकर फर्नीचर या हर तरह की जरूरतें गांव से ही पूरी हो जाती है.

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Last Updated : Apr 1, 2022, 5:50 PM IST
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