बेतिया(वाल्मीकिनगर): विधानसभा क्षेत्र स्थित महादेवा गांव के 107 दलित आदिवासी परिवारों भाकपा माले के नेतृत्व में जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि घर उजाड़ने और आगजनी करने के मामले में पुलिस ने पक्षपात पूर्ण कार्रवाई की है.
प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने आरोपियों से मिलीभगत कर प्राथमिकी दर्ज नहीं की. जिस वजह से लाचार होकर वे सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
लूट और आगजनी के खिलाफ कर रहे थे प्रदर्शन
दरअसल, बगहा-2 प्रखंड के महादेवा गांव के आदिवासी परिवारों ने लूट आगजनी कांड को लेकर पीड़ितों के साथ एक न्याय मार्च निकाला था. पीड़ितों ने बताया कि बीते सोमवार को महादेवा, कलवरिनिया डीह टोला के दलित आदिवासी टोले में लूट, आगजनी, अपहरण, और उजाड़ कांड बेखौफ तरीके से अंजाम दिया गया था.
वहीं, जब पीड़ित परिवार लौकरिया थाना पहुंचे तब थानाध्यक्ष ने यह कह कर लोगों को लौटा दिया कि मामला उनके थानाक्षेत्र का नही है. विरोध कर रहे लोगों ने बताया कि कुछ साल पैसे ऐसे ही जिसके लापरवाह रवैया के कारण अपहृत युवक के परिजनों को तीनों थानों का बार बार चक्कर लगाने के कई दिनों बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी. जिसके बाद कटहरवा गोली कांड में 6 युवाओं की जान चली गई थी.
प्रशासन प्रशासन पर लगाया मिलीभगत का आरोप
दलित आदिवासी न्याय मार्च को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि महादेवा, कलवरिनिया डीह टोला की घटना भाजपा-जदयू सरकार के संरक्षण में सामंती अपराधी पुलिस गठजोड़ की साजिश के तहत हुई है. जिसके चलते अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है. माले नेता ने चुनाव पूर्व में अब तक इतनी बड़ी घटना के पुलिस की ओर से कोई पहल नहीं की जाने की निंदा भी की. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और चुनाव आयोग से मामले में संज्ञान लेने की अपील की.
पीड़ितों को मुआवजा दे सरकार
वही मार्च को संबोधित करते हुए भाजपा माले के नेता कामरेड परशुराम यादव ने कहा कि महादेवा में लूट और आगजनी की घटना को पीड़ितों को जिला प्रशासन मुआवजा दे. मैंने कहा कि सरकार आदिवासियों को सरकारी जमीन पर हक का अधिकार दे और गरीबों को पक्का मकान मुहैया कराए.