बगहा: प्रदेश में सरकारी अस्पताल के हाल कितने अच्छे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है. कभी चमकी बुखार से हफ्ते भर में सैकड़ों बच्चे मर जाते हैं, तो कभी अस्पताल में जरूरी संसाधनों की कमी से मरीज की मौत हो जाती है. ताजा मामला बगहा का है, यहां जिला स्वास्थ्य ने टॉर्च की रोशनी में शव का पोस्टमॉर्टम कर दिया.
टार्च की रोशनी में पोस्टमॉर्टम
पोस्टमॉर्टम से मौत के असली कारणों का पता लगाया जाता है. ऐसे में अगर पोस्टमॉर्टम टार्च की रोशनी में हो तो उस पर सवाल उठना लाजिमी है. बता दें कि मगरमच्छ के हमले में एक किशोर की मौत हो गई थी. जिसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में लाया गया था. जहां वरीय पदाधिकारी के आदेशानुसार लाइट नहीं होने के बावजूद मोबाइल की रोशनी में ही बच्चे का पोस्टमॉर्टम कर दिया गया. इसके बारे में लोगों को जैसे ही जानकारी मिली तो उन्होंने जमकर हंगामा शुरू कर दिया.
पोस्टमॉर्टम करने वाले का अभाव
ईटीवी भारत पहले भी बगहा अस्पताल में बने पोस्टमॉर्टम भवन के मुद्दे पर खबर प्रकाशित कर चुका है. दरअसल नया पोस्टमॉर्टम भवन सालों से बनकर तैयार है और अब उद्घाटन के अभाव में धीरे-धीरे जर्जर भी होता जा रहा है. साथ ही बगहा अनुमंडलीय अस्पताल के पोस्टमॉर्टम से सम्बंधित एक और खबर दिखाई थी कि इस अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करने वाले कर्मी भी नहीं हैं. जिसके अभाव में परिजन निजी कर्मी को पैसा देकर पोस्टमॉर्टम करवाते हैं.