पश्चिम चंपारण : बगहा नगरपरिषद स्थित वार्ड 34 के निवासी आज भी विकास से कोसों दूर हैं. रतनमाला मुहल्ला के इस वार्ड में अब तक पक्की सड़कों का निर्माण नहीं हो पाया है. थोड़ी सी ही बरसात के बाद लोग कीचड़ में चलने को मजबूर हो जाते हैं. साथ ही साथ कई दफा मुहल्ले में नाव चलाने की भी स्थिति आ जाती है. लोगों को यह बात अखर रही कि आस पास के मुहल्लों में पक्की सड़के बन गईं है, तो उनके यहाँ अब तक क्यों नहीं बनी. वार्ड 34 के निवासियों की यह समस्या कई दशकों से है. एक तरफ बारिश की वजह से हुए जलजमाव से लोग परेशान होते हैं तो दूसरी तरफ इनको हरहा नदी के तांडव से त्रस्त होना पड़ता है.
बरसात में जर्जर हो जाती है पुलिया
जलजमाव के बाद कच्ची सड़कों पर कीचड़ जम जाते हैं. जिस वजह से जीवन नरकीय हो जाती है. मुहल्लेवासियों का कहना है कि वार्ड में पक्की सड़के है ही नहीं. एक पुलिया बना है वो भी इस बरसात में जर्जर हो गया है. हरहा नदी जब उफनती है तो पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है, और मुहल्ले के लोग नाव की सवारी कर एक दूसरे के घर आते जाते हैं.लोगों का कहना है कि वार्ड पार्षद से कहने के बाद कई बार अधिकारी इधर का फोटो खींच कर ले गये हैं, लेकिन अब तक कोई निदान नहीं निकला है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं वार्ड पार्षद भी लोगों की समस्याओं पर हामी भरते हुए कहते हैं कि जलजमाव इस वार्ड की मुख्य समस्या है. जब हरहा नदी का पानी इधर घुसता है तो सीने भर तक पानी भर जाता है. और नाव चलाकर आना जाना होता है. उनका कहना है कि वार्ड के 43 कच्ची सड़कों में सिर्फ 7 ही सड़के पक्की हो पाई हैं. बाकी के लिए अभी तक फंड निर्गत नहीं हुआ है. जबकि नगरपरिषद सहित अनुमंडल पदाधिकारी सभी लोग स्थिति को सामने से देख चुके हैं.
लोगों को है विकास का इंतजार
सरकार का मानना है कि विगत एक दशक में विकास की किरणें शहर से लेकर गांवों के सभी हिस्सों तक पहुंच चुकी हैं. लेकिन रत्नमाला इलाके की असलियत देख यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, सरकार के दावों की सच्चाई क्या है? अभी भी यहां के लोगों को विकास का इंतजार है.