पश्चिमी चंपारण (बेतिया) : पुलिस, कोर्ट-कचहरी, ये नाम सुनते ही जहन में अपराध की घटना की बातें उठने लगती हैं. लेकिन सोचिए, एक ऐसा भी गांव हो सकता है, जहां ग्रामीणों को आज तक इनसे कोई वास्ता ही न पड़ा हो. ये बात 100 प्रतिशत सत्य है. बिहार के बेतिया के गौनहा प्रखंड का कटराव गांव पहला ऐसा गांव है, जहां से आज तक कोई थाना नहीं पहुंचा.
जमुनिया पंचायत के कटराव गांव के ग्रामीणों की मानें, तो उन्होंने आज तक थाने की शक्ल तक नहीं देखी, कोर्ट कचहरी तो दूर की बात. आजादी के 73 साल बाद, आज इस गांव का जिक्र इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि बिहार जैसे बड़े राज्य में हर दिन अपराध घटित होता है. ऐसे में इस गांव से आज तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
शांत वातावरण
थारू जनजाति बहुल कटराव गांव की आबादी तकरीबन 1 हजार 500 है. खूबसूरत हरी-भरी वादियों के बीच प्रकृति की गोद में बसा यह कटराव गांव आज देशभर में मिसाल कायम करता नजर आ रहा है. गांव में सभी बेदाग छवि वाले लोग हैं, जो ईमानदारी, अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
क्या नहीं होता लड़ाई-झगड़ा?
इस सवाल पर गांव के लोग बताते हैं कि ऐसा होने पर मामले को बढ़ावा देने से पहले इसे सुलझाने की कवायद होती है. ग्रामीणों का मानना है कि आज के दौर में किसी भी विवाद में थाना, कोर्ट कचहरी में पैसे के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. इन सभी से बचना है तो भाईचारे, प्रेम, सामाजिक सौहार्द बनाना जरूरी है.
बड़े से बड़ा मामला चुटकी में सॉल्व
ग्रामीणों की मानें तो वो बड़े से बड़े विवादों को एक साथ बैठकर सुलझा लेते हैं. चाहे वह भूमि विवाद हो, चाहे आपस में बच्चों का विवाद हो, महिलाओं का विवाद हो, पति-पत्नी के बीच का विवाद हो, भाई-भाई के बंटवारे का विवाद हो, उन तमाम मुद्दों पर हम लोग संजीदगी दिखाते हैं.
गांधी की विचारधारा का प्रभाव
गौनाहा प्रखंड के भितिहरवा में ही राष्ट्रपिता गांधी जी का आश्रम है. आज से 103 साल पहले 1917 में गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन की अलख चंपारण से जगाई थी. वहीं, भितिहरवा से कटोरवा की महज 15 किलोमीटर दूर पड़ता है. ऐसे में यहां के लोग गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित हैं और वे गांधी जी के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल रहे हैं. जब भी कोई पर्यटक भितिहरवा आता है, तो वो इस गांव का दौरा भी जरूर करता है.
थारू जनजाति के बारे में
माना जाता है कि थारू जनजाति के लोग बेहद ही शांत प्रवृत्ति के और आपसी भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं. शायद यही वो वजह है कि थारू जनजाति बहुल इस गांव के लोग आज तक थाने और कोर्ट कचहरी के मसले से दूर हैं.
अद्भुत है गांव-डीजीपी
सोमवार को बेतिया शहर के दौरे पर निकले डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को जब ईटीवी भारत संवाददाता ने इस गांव के बारे में बताया. वो तुरंत इस गांव को देखने आ पहुंचे. उन्होंने यहां के लोगों में कोरोना को लेकर मेंटेंन की जा रही सोशल डिस्टेंसिंग को देखा तो और गदगद हो उठे. डीजीपी पांडेय ने कहा यह गांव अद्भुत है. जहां हर तरफ मार-काट और अपराध होता है. ऐसे में ये गांव पूरे देश के लिए मिसाल कायम कर रहा है.
प्रबुद्ध जनों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि इस गांव के भोले-भाले लोग देश के लिए मिसाल हैं. यह गांव बेमिसाल है. इनसे सीख लेने की जरूरत है. ऐसे दौर में ऐसा गांव होना, ऐसा समाज होना आश्चर्य से कम नहीं है.