बगहा: बिहार के बगहा में दुर्गा पूजा की खूब चहल-पहल दिख रही है. एक से बढ़कर एक पंडाल बनाए गए हैं. अभी हाल ही में जिस पटखौली इलाके में महावीरी अखाड़ा पूजा के दौरान धार्मिक उन्माद हुआ था, वहां इन दिनों सदभाव और आपसी भाईचारे की अनूठी तस्वीर देखने को मिल रही है. यहां मस्जिद में पांचों वक्त अजान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मंडप में दुर्गापूजा का भव्य पंडाल तैयार हुआ है. जहां मां भगवती केदारनाथ धाम में स्थापित की गई हैं.
गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल: मलकौली पटखौली में करीब 50 वर्षों से एक ही प्रांगण में दोनों भुजाओं की तरह बाईं ओर मस्जिद कायम है तो दाईं ओर जगदम्बा मंदिर स्थापित किया गया है. यहां हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी सौहार्द से सभी पर्व त्योहार मनाते आ रहे हैं. सांप्रदायिक सौहार्द ऐसी है कि अजान के वक्त मंदिर का लाउडस्पीकर बंद कर दिया जाता है. वहीं जब अजान खत्म हो जाता है तो पुनः भक्ति गीतों को बजाकर श्रद्धालु पूजा-अर्चना में लीन हो जाते हैं. इतना ही नहीं मुस्लिमों के मोहर्रम और ईद में हिन्दू उनके साथ कदमताल करते हैं तो हिंदुओ के नवरात्र या नागपंचमी के महावीरी जुलूस में मुस्लिम समाज के लोग अगुवानी कर मोर्चा संभाल लेते हैं.
क्या कहते हैं दोनों धर्मों के लोग?: जगदम्बा आराधक संघ के अध्यक्ष वेद प्रकाश का कहना है कि इस मोहल्ले के एक मुस्लिम नाई द्वारा दान में मांगी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण हुआ है, जो हिंदू जमींदार द्वारा दी गई थी. उसी के बगल में मां जगदम्बा का मंदिर है, जहां 48 वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और एक साथ अजान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दोनों समुदायों के सहयोग से पूजा अर्चना संपन्न होती है. पूजा समिति में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग सदस्य हैं. वहीं, मस्जिद के इमाम हाफिज सनाउल्लाह का कहना है कि नमाज के वक्त लाउडस्पीकर बंद हो जाता है, जिससे हमें कोई परेशानी नहीं होती है.
"इस पटखौली में हमलोग सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल विगत 50 वर्षों से कायम रखे हुए हैं. मंदिर और मस्जिद एक ही प्रांगण में स्थापित है. लिहाजा जब-जब नमाज का वक्त होता है, तब पूजा समिति के लोग लाउडस्पीकर बंद कर देते हैं. जैसे ही अजान खत्म हो जाता है, पुनः देवी-देवताओं के भक्ति गीतों से माहौल भक्तिमय हो जाता है"- अजय मोहन प्रसाद, वार्ड पार्षद
"नमाज के वक्त लाउडस्पीकर बंद हो जाता है, लिहाज हमें कोई परेशानी नहीं होती है. मैं पिछले 9 सालों से मस्जिद का इमाम हूं और यहां हर साल एक साथ अजान और वैदिक मंत्रोच्चार की आवाज गूंजती है. हम सभी लोग मिलजुल कर एक-दूसरे के पर्व-त्योहार में सहयोग करते हैं"- हाफिज सनाउल्लाह, इमाम, पटखौली मस्जिद