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सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर हो रही हैं दवाईयां, मरीज दर-दर भटकने को मजबूर

अस्पताल के मरीज बताते हैं कि अस्पताल में उन्हें दवाईयां उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इसके लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है. मरीज बाहर की दुकानों से दवाईयां लेने को मजबूर हैं.

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Published : Jul 18, 2019, 8:44 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 11:38 PM IST

बेतिया: एक तरफ राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाईयों का घोर अभाव है, तो दूसरी तरफ बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भारी मात्रा में दवाईयां एक्सपायर होने की वजह से फेंकी जा रही है. अस्पताल प्रबंधन चालाकी से इन दवाईयों को नवनिर्मित भवन के बेसमेंट में ठिकाने लगा रहा है, ताकि किसी को इसकी भनक नहीं लग सके.

अस्पताल अधीक्षक और मरीज का बयान

बेसमेंट में ठिकाने लगाई जा रही हैं दवाईयां
अस्पताल परिसर के नवनिर्मित भवन के बेसमेंट में कार्टन में भर-भर कर एक्सपायर दवाईयों को ठिकाने लगाई जा रही हैं. ये सभी दवाईयां 2010, 2011 और 2012 की हैं, जो अस्पताल में रखी-रखी एक्सपायर हो चुकी है.

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बेसमेंट में ठिकाने लगाई जा रही हैं दवाईयां

दवाईयों के लिए भटकते हैं मरीज
अस्पताल के मरीज बताते हैं कि अस्पताल में उन्हें दवाईयां उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इसके लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है. मरीज बाहर की दुकानों से दवाईयां लेने को मजबूर हैं.

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एक्सपायर दवाईयां

अस्पताल अधीक्षक का बयान
वहीं, इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि यह उनके समय का मामला नहीं है. इसकी सूचना प्रधान सचिव को दे दी गई है. हालांकि इतनी भारी मात्रा में दवाईयों का एक्सपायर होना विभाग की गलती को दर्शाता है.

बेतिया: एक तरफ राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाईयों का घोर अभाव है, तो दूसरी तरफ बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भारी मात्रा में दवाईयां एक्सपायर होने की वजह से फेंकी जा रही है. अस्पताल प्रबंधन चालाकी से इन दवाईयों को नवनिर्मित भवन के बेसमेंट में ठिकाने लगा रहा है, ताकि किसी को इसकी भनक नहीं लग सके.

अस्पताल अधीक्षक और मरीज का बयान

बेसमेंट में ठिकाने लगाई जा रही हैं दवाईयां
अस्पताल परिसर के नवनिर्मित भवन के बेसमेंट में कार्टन में भर-भर कर एक्सपायर दवाईयों को ठिकाने लगाई जा रही हैं. ये सभी दवाईयां 2010, 2011 और 2012 की हैं, जो अस्पताल में रखी-रखी एक्सपायर हो चुकी है.

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बेसमेंट में ठिकाने लगाई जा रही हैं दवाईयां

दवाईयों के लिए भटकते हैं मरीज
अस्पताल के मरीज बताते हैं कि अस्पताल में उन्हें दवाईयां उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इसके लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है. मरीज बाहर की दुकानों से दवाईयां लेने को मजबूर हैं.

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एक्सपायर दवाईयां

अस्पताल अधीक्षक का बयान
वहीं, इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि यह उनके समय का मामला नहीं है. इसकी सूचना प्रधान सचिव को दे दी गई है. हालांकि इतनी भारी मात्रा में दवाईयों का एक्सपायर होना विभाग की गलती को दर्शाता है.

Intro:बेतिया: एक तरफ बिहार के सरकारी अस्पतालों में दवा उपलब्ध नहीं है, तो दूसरी तरफ बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में ट्रक के ट्रक दवाइयां एक्सपायर हुई है। जिन्हें बड़ी चालाकी से अस्पताल प्रशासन बन रहे नवनिर्मित भवन के बेसमेंट में दवाइयों को जमीन के अंदर गाड़ी जा रही हैं। चालाकी इतनी है कि दवा के ऊपर अस्पताल बन जाने पर इन दवाइयों का कभी भी कोई पता ही नहीं लगा पाएगा।


Body:यह देखिए इतनी बड़े गड्ढे में गिराया गया है ट्रक के ट्रक एक्सपायर दवाइयां, यह भी देख लीजिए कई कमरों में कार्टून का भी लगा है जखीरा । जो कभी खुला ही नहीं । यह देखिए एक नहीं बल्कि कई कमरों में पड़ी है एक्सपायर दवाइयां । 2010, 2011, 2012 की है यह एक्सपायर दवाइयां।

सरकारी अस्पतालों में आज जहां दवाइयां नहीं है। वहां पर आज ट्रक के ट्रक दवाइयां निकल रही हैं और उन्हें जमीनदोज किया जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि सरकार की तरफ से आने वाली दवाइयां मरीजों के बीच में वितरण नहीं की गई है। आज उसी का परिणाम है कि यह करोड़ों की दवाइयां एक्सपायर हो गई है। इसके पीछे यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि अस्पतालों में सरकार तो दवाइयां भेज रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन उन दवाइयों को मरीजों में वितरण नहीं कर रही है।




Conclusion:यही नहीं, ना जाने कितने ट्रकों को कालाबाजारी कर खपा दिया गया होगा। यह एक्सपायरी दवाइयां इसके सबूत है। इसी अस्पताल में मरीज आज भी दवाइयों के लिए परेशान है और आज भी उन्हें बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है और वैसे अस्पताल में ट्रक के ट्रक दवा एक्सपायर हो रही है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के ऊपर उंगली उठना लाजमी है।

बाइट- मरीज

अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीके सिंह से पूछने पर उन्होंने बताया कि यह मेरे समय का मामला नहीं है। इसकी सूचना प्रधान सचिव को दे दी गई है, लेकिन इतने भारी मात्रा में दवा का एक्सपायर होना, कहीं ना कहीं विभाग की गलती है। जो कि नहीं होना चाहिए।

बाइट- डॉ. डीके सिंह, अस्पताल अधीक्षक


जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया
पीटीसी
Last Updated : Jul 18, 2019, 11:38 PM IST
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