बेतिया: बिहार के बेतिया में शिक्षकों के नई नियमावली (Nayi Shikshak Niyamavali) आने के कारण एक लड़के की शादी टूट गई . मामला धनहा के तमकुहा बाजार का है. जहां हाई स्कूल के लिए आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद ही जटहां बाजार, यूपी की युवती से तय हुई थी. यह शादी इसी साल 21 मई को होने वाली थी. जबकि बिहार शिक्षा विभाग ने नई शिक्षक नियमावली 2023 को स्वीकृति प्रदान कर दी. तभी युवती के पिता ने लड़के के परिवार वालों से बात कर शादी तोड़ने का इकरारनामा बनवाया. ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी न हो सके.
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इंटरनेट पर खूब उड़ी शादी टूटने की बात: शनिवार को बेतिया में एक शादी टूटने की बात और इससे जुड़ा इकरारनामा इंटरनेट पर काफी तेजी से वायरल हुआ है. इस इकरारनामे में दावा किया गया है कि बिहार सरकार ने शिक्षक भर्ती का नियम बदल दिया है. इसी कारण आपसी सहमति से इस रिश्ते को यहीं तोड़ा जा रहा है. वहीं इस इकरारनामे में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती के लिए साल 2019 में आयोजित की गई राज्यस्तरीय एसटीईटी परीक्षा में सफल हुए युवक की शादी टूटने की चर्चा जोरों पर है.
लड़के का दावा- पास था एसटीईटी परीक्षा: धनहा स्थित तमकुहा बाजार निवासी लड़के ने कहा कि उसने हाई स्कूल के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा को पास कर लिया था. तभी शादी जटहां बाजार उत्तर प्रदेश की युवती से तय हो गई थी. इस इकरारनामा के बारे में कई लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाएं आगे भी देखने को मिलती रहेंगी.
गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा का नियम बदलने से कई अभ्यर्थियों में निराशा हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि जो सातवें चरण की भर्ती का इंतजार कर रहे थे, अब फिर से परीक्षा में बैठकर बीपीएससी लेवल के परीक्षा में पास कर मेरिट में आना होगा तब जाकर शिक्षक बन पाएगा. इधर बेटी के पिता भोला सिंह ने कहा कि अपनी बिटिया की शादी के लिए सरकारी नौकरी करने वाले लड़के का सपना संजोकर रखा था. इसी लिए उम्मीद थी कि यह लड़का सातवें चरण में शिक्षक बन जाएगा.
नई शिक्षक नियमावली के कारण शादी समाप्त: जबकि इस नई शिक्षक नियमावली ने सभी सपनों को समाप्त कर दिया. इस लड़के समेत कई और लोगों को एक बार फिर से एग्जाम पास करना पड़ेगा. तब जाकर नतीजतन शिक्षक बनने का सपना अब भविष्य के गर्भ में चला गया. इसी कारण अपनी बेटी की शादी गवाहों के सामने दोनों पक्षों की रजामंदी से समाप्त करते हैं. यहीं कारण है कि दोनों ओर से आपसी समझौता के बाद इकरारनामा बनाया गया.